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हिंदी भाषा को लेकर मदुरई में विरोध प्रदर्शन तेज़, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया

एसएफ़आई नेता बाला ने यह भी कहा कि हिंदी थोपना राजभाषा अधिनियम का सीधा उल्लंघन होगा और यदि केंद्र का यह प्रयास जारी रहा तो देशभर में इसका विरोध तेज़ हो जाएगा।
हिंदी भाषा को लेकर मदुरई में विरोध प्रदर्शन तेज़, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया
द हिंदू

एसएफ़आई और डीवाईएफ़आई ने बुधवार को एक प्रदर्शन का आयोजन किया और कहा कि केंद्र सरकार के 'हिंदी थोपने' के प्रयासों ने राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन किया और गैर-हिंदी भाषी राज्यों का अपमान किया है।

स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफ़आई) और डेमोक्रेटिक यूथ फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफ़आई) के सदस्यों ने केंद्र सरकार के हिंदी थोपने के प्रयासों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। ये विरोध प्रदर्शन तल्लाकुलम प्रधान डाकघर के सामने किया गया।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए डीवाईएफ़आई के प्रदेश उपाध्यक्ष एस. मणिकंदन ने कहा कि केंद्र सरकार का दावा है कि हिंदी जानने से युवाओं को रोज़गार मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि, “तमिलनाडु में कारखानों, निर्माण स्थलों और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले अधिकांश युवा हिंदी भाषी लोग हैं। ऐसे में केंद्र को पहले हिंदी भाषी राज्यों में भाषा कौशल को मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए।"

मणिकंदन ने आरोप लगाया कि शिक्षण संस्थानों में हिंदी थोपने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का संयुक्त प्रयास था, ताकि उनके 'एक राष्ट्र' के शासन के सपने को साकार किया जा सके। अगर हम ऐसा होने देते हैं, तो जल्द ही वे लोगों को देशभर में केवल भगवा कपड़ा पहनने के लिए कह सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि ग़ैर-हिंदी भाषी राज्य की विरासत की रक्षा के लिए भाषा के इस तरह के थोपने के “भावनात्मक अवधारणा” का विरोध किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, एसएफ़आई के जिला सचिव जी. बाला ने कहा कि भाषा सीखना या बोलना किसी व्यक्ति का अपना अधिकार है। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने और किसी भी नागरिक को एक विशेष भाषा सीखने के लिए मजबूर करने का कोई अधिकार नहीं है।" उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में "हिंदी थोपने" के ख़िलाफ़ आंदोलन का इतिहास 1960 और 1970 के दशक का है।

एसएफ़आई नेता बाला ने यह भी कहा कि हिंदी थोपना राजभाषा अधिनियम का सीधा उल्लंघन होगा और यदि केंद्र का ये प्रयास जारी रहा तो देशभर में इसका विरोध तेज़ हो जाएगा।

उधर ख़बर है कि विरोध करने वाले 43 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

ज्ञात हो कि एक पार्लियामेंट्री पैनल ने सेंट्रल इंस्टिच्यूट में हिंदी को दिशानिर्देश की भाषा बनाने की सिफारिश की है। इसी को लेकर दक्षिणी राज्यों में विरोध चल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाले पैनल की सिफारिश से दक्षिणी राज्यों केरल और तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में हिंदी भाषा को लेकर फिर विवाद छिड़ गया है। इन दोनों राज्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऐसी किसी सिफारिश को लागू न करने की मांग की है।

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