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पंजाब: मुआवज़े की मांग कर रहे आंदोलनरत किसानों पर पुलिस ने किया लाठी चार्ज

किसान गन्ने की फ़सल का समर्थन मूल्य 450 रुपये करने और ख़राब फ़सल पर मुआवज़े की मांग को लेकर होशियारपुर के मुकेरियां क़स्बे की शुगर मिल पर आंदोलनरत हैं।
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फ़ोटो साभार : Tribune India

पंजाब में गन्ना किसानों का आंदोलन जारी है। शनिवार को पुलिस ने किसानों पर लाठी चार्ज किया और बीस से ज्यादा किसान नेताओं और महिलाओं को हिरासत में लिया। किसान गन्ने की फ़सल का समर्थन मूल्य 450 रुपये करने और ख़राब फसल पर मुआवजे की मांग को लेकर होशियारपुर के मुकेरियां क़स्बे की शुगर मिल पर आंदोलनरत हैं। संयुक्त गन्ना संघर्ष कमेटी की अगुवाई में किसानों ने जम्मू- दिल्ली हाईवे जाम किया हुआ है। सूबे के विभिन्न इलाकों से किसान वहां पहुंच रहे हैं।

हासिल जानकारी के मुताबिक पुलिस ने गुरु प्रताप सिंह भैणी पसवाल, सहज दीप सिंह, साहिब सिंह जगतपुरा कलां, सतनाम सिंह बगड़ियां, सोनू औलख, अमरजीत सिंह, बलविंदर कौर, वरिंदर कौर, जसवंत सिंह जहांनपुर, कमलप्रीत सिंह काकी सहित कई किसानों को बल प्रयोग के बाद हिरासत में ले लिया। इन्हें तलवाड़ा थाने में लाया गया। इस दौरान किसान संगठनों के पदाधिकारी थाना परिसर में ही धरना-प्रदर्शन पर बैठ गए। आंदोलन कर रहे किसानों ने पुलिस स्टेशन, होशियारपुर के डीसी कांप्लेक्स और एसएसपी दफ्तर का घेराव भी किया। जालंधर रेंज के डीआईजी कार्यालय का घेराव भी किया गया। बाद में किसान फिर धरना स्थल पर डट गए। महिला किसान दविंदर कौर कहती हैं, "पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे किसानों पर लाठी चार्ज किया। यह सरकारी तानाशाही है। अब पुलिस-प्रशासन कह रहा है कि मुख्यमंत्री से बात करवा देंगे। लेकिन जिन नेताओं ने बात करनी थी; उन्हें तो हिरासत में ले लिया गया।"

किसान नेता जसपाल सिंह के अनुसार, "पंजाब की भगवंत सिंह मान सरकार किसानों के आंदोलन से डर गई है और इसलिए ऐसे हथकंडे अख्तियार कर किसान आंदोलन को कुचलने की कवायद की जा रही है लेकिन किसान पीछे नहीं हटेंगे। सरकार ने शुगर मीलें 2 दिसंबर से शुरू करने को कहा था। यह भी नहीं हुआ। अब मिलें 5 दिसंबर से शुरू होंगीं। किसानों का इस सरकार से विश्वास उठ गया है।"

भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहा) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहा ने कहा है किसान जत्थेबंदी के माझा, दोआबा और मालवा से जुड़े किसान मुकेरियां धरने में बड़ी तादाद में शिरकत करेंगे। वह कहते हैं, "हम गन्ना किसानों की मांगों का खुला समर्थन करते हैं। केंद्र और राज्य सरकार कॉरपोरेट घरानों का साथ दे रही है। अन्नदाताओं को धोखा दिया जा रहा है।" विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी मुकेरियां में आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस लाठी चार्ज की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, "किसान गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं, उनकी मांग जायज है। जुलाई-अगस्त की बाढ़ में गन्ने की फसल को नुकसान हुआ था। सरकार को किसानों का हाथ थामना चाहिए। उनके साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए।"

कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी किसानों पर लाठी चार्ज की कड़ी निंदा की है। हालांकि किसान अपने धरना-प्रदर्शन में किसी भी राजनीतिक दल के नेता को नहीं आने देते। उधर, पंजाब के किसानों ने एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन का ऐलान कर दिया है। विभिन्न किसान संगठनों ने 18 जनवरी से चंडीगढ़ में आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। किसान नेता अपने आंदोलन के लिए जगह मुहैया कराने के लिए 8 जनवरी को चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों से मिलेंगे। 18 जनवरी से पहले किसान संगठनों की ओर से पंजाब के गांवों में पोस्टर भी बांटे जाएंगे। इसमें आह्वान रहेगा कि बड़ी तादाद में और पूरी तैयारी के साथ किसान और खेत मज़दूर तथा अन्य वर्गों के लोग किसान मोर्चे में शिरकत करें।

राज्य की राजधानी स्थित किसान भवन में किसान संगठनों की बैठक में यह फैसला लिया गया है। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी के कमलप्रीत पन्नू, बीकेयू मानसा के भोग सिंह और आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा ने शिरकत की। 23 दिसंबर को किसान संगठन समीक्षा के लिए फिर बैठक करेंगे। बलबीर सिंह राजेवाल कहते हैं, "धरना बेशक चंडीगढ़ में लगेगा लेकिन गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी। किसान मोर्चा दिल्ली बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन की तर्ज पर होगा। यह पक्का मोर्चा होगा।"

तो एकबारगी फिर पंजाब से नए किसान आंदोलन का आगाज होने जा रहा है! इस बीच खबर मिली है कि हरियाणा की कुछ किसान जत्थेबंदियां मुकेरियां में आंदोलनरत किसानों के समर्थन में पहुंच रही हैं।

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