पुतिन ने कज़ाकिस्तान में कलर क्रांति की साज़िश के ख़िलाफ़ रुख कड़ा किया
अमेरिकी राजनयिक इतिहास में यह एक दुर्लभ पृष्ठ होना चाहिए कि अमेरिकी विदेश मंत्री सचमुच अपने खेल से दूर हो गए हैं। कज़ाकिस्तान की घटनाओं पर एंटनी ब्लिंकन की नाराज़गी न केवल बकवास भरी थी, बल्कि अतार्किक भी थी।
ब्लिंकन ने कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट केमेलेविच टोकायेव के उस फैसले पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने अपने देश में गंभीर स्थिति को स्थिर करने में मदद करने के लिए सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) से मदद का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि यह तैनाती क्यों की जा रही है!
मॉस्को ने शुरुआत में ही इस बात पर जोर दिया था कि सीएसटीओ की तैनाती अस्थायी होगी। फिर भी, ब्लिंकन ने कहा कि "हाल के इतिहास का एक सबक यह है कि एक बार रूसी आपके घर में घुस गए तो कभी-कभी उनके लिए उस घर को छोड़ना बहुत मुश्किल होता है"।
रूसी विदेश मंत्रालय ने ब्लिंकन की अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। मंत्रालय ने कहा कि ब्लिंकन ने "अपने विशिष्ट बकवास शैली में" बात की है। बयान में आगे कहा गया कि, "जब अमेरिकी आपके घर में घुसते हैं, तो जिंदा रहना मुश्किल हो सकता है, या इसकी कोई गारंटी नहीं कि आपके साथ लूट या बलात्कार नहीं किया जाएगा। उत्तर अमेरिकी महाद्वीप के रहने वाले इंडियन, कोरियाई, वियतनामी, इराकी, पनामेनियन, यूगोस्लाव, लीबियाई, सीरियाई और कई अन्य दुर्भाग्यपूर्ण लोग हैं जो इन बिन बुलाए मेहमानों को अपने 'घर' में देखने के मामले में खासे बदकिस्मत हैं, और उनके पास इस बारे में कहने के लिए बहुत कुछ होगा।"
मंगलवार को, टोकायेव ने घोषणा की कि सैनिकों की सीएसटीओ टुकड़ी दो दिनों में अशांत मध्य एशियाई देश को छोड़ना शुरू कर देगी, जिसमें 10 दिनों के भीतर पूरी तरह वापसी हो जाएगी! क्रेमलिन ने जवाब दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित ऐसे मामलों पर निर्णय लेना पूरी तरह से कज़ाख सरकार का विशेषाधिकार है!
ब्लिंकन को पता होगा कि दो साल पहले बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद, इराकी संसद ने सभी अमेरिकी सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की थी। लेकिन अमेरिकियों ने अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया है!
फिर भी, ब्लिंकन एक बुद्धिमान व्यक्ति है। सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने जान-बूझकर कुछ निरर्थक बातें कहकर प्रचार-प्रसार का काम किया: ब्लिंकन वास्तव में राष्ट्रपति बाइडेन की मंजूरी की बिना पर सीआईए द्वारा कज़ाकिस्तान में शासन परिवर्तन के प्रयास को ट्रैक पर लाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है।
क्या यह चालाक दिमागों की एक परिचित चाल नहीं है - हवा में धूल उठाकर मूल मुद्दे से ध्यान भटकाना? इस दयनीय मामले में, रूस और चीन के बीच रणनीतिक रूप से स्थित सुदूर देश में शासन परिवर्तन में बाइडेन प्रशासन का विफल प्रयास (जो कि यूक्रेन की तुलना में कई गुना अधिक रणनीतिक है) आंतरिक एशिया के इस विशाल क्षेत्र में अमेरिकी कूटनीति उपहास का कारण बन गई है। और यह नाटो द्वारा कैस्पियन को पार करने की किसी भी सर्वोत्तम योजना को विफल कर देती है।
सबसे बुरी बात यह है कि अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति में अब चीन के पश्चिम में भूगोल का एक बड़ा आर्क होगा, जिसे अमेरिकी प्रभाव के इतने बड़े पैमाने पर कम होने के बाद बैरिकेड्स करना असंभव है। रूस ने यह सब न्यूनतम लागत पर हासिल किया है – वह भी कज़ाकिस्तान में केवल पांच दिवसीय सैन्य मिशन से हासिल किया है।
क्रेमलिन जो कुछ भी जानता है उसका खुलासा करने के बारे में वह अभी मौन है, लेकिन उपलब्ध विवरणों से, जो ज्ञात हुआ वह कलर क्रांति का एक असफल प्रयास था, लेकिन जैसा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि "विनाशकारी आंतरिक और बाहरी ताकतों ने स्थिति का फायदा उठाया है।"
अमेरिका में रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने रूसी दूतावास के वेबपेज पर और अधिक स्पष्ट रूप से लिखा है कि कज़ाकिस्तान में कहर बरपाने के प्रयासों में हजारों जिहादी शामिल थे।
जैसा कि उन्होंने कहा, "कज़ाकिस्तान उन कट्टरपंथियों के हमले में आ गया था, जिन्होंने लोक-शत्रु वाली विचारधारा का प्रचार किया था। हजारों जिहादियों और लुटेरों ने संवैधानिक व्यवस्था को तोड़ने का प्रयास किया... बंदूकधारियों और लुटेरों की मदद से कलर क्रांति का यह एक नया प्रयास है।
न्यूज़वीक को दिए एक अन्य साक्षात्कार में, एंटोनोव ने कहा, "मध्य एशिया में कट्टरपंथी धार्मिक विचारधारा के प्रचार प्रसार पर चिंता गंभीर है। यह मध्य पूर्व और अफ़गानिस्तान में पैदा की जा रही अस्थिरता से पैदा हो रहा है, जो बदले में, मानवाधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के बहाने पश्चिमी सैन्य हस्तक्षेप को बढ़ाता है।”
क्रेमलिन के करीबी सहयोगी, सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने खुले तौर पर आरोप लगाया है कि कज़ाकिस्तान में "विभिन्न प्रमुख ताकतों की विदेशी खुफिया एजेंसियों ने हस्तक्षेप किया है"।
कज़ाख विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक स्पष्ट बयान में कहा कि उनका देश "विदेशों में प्रशिक्षित अच्छी तरह से समन्वित आतंकवादी समूहों के सशस्त्र आक्रमण का शिकार हुआ है। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, हमलावरों में वे लोग शामिल हैं जिनके पास कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के रैंक में सैन्य युद्ध क्षेत्र का अनुभव है।
टोकायव ने खुद "अफ़गानिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों में विदेशी लड़ाकों की भागीदारी के साथ कज़ाकिस्तान के खिलाफ आक्रामकता के मामले में सुव्यवस्थित और अच्छी तरह से तैयार कार्यवाही" के बारे में बात की है। वे मध्य पूर्व के लड़ाके भी थे। उनका मक़सद सत्ता पर कब्ज़ा कर हमारे क्षेत्र पर नियंत्रित अराजकता का एक क्षेत्र बनाने का था।”
पुतिन ने 2014 में यूक्रेन में अमेरिका द्वारा प्रायोजित शासन परिवर्तन के खिलाफ एक समानांतर लाइन खींची है, जहां उकसाने वाले अमरीकी एजेंटों ने राष्ट्रपति विकोर यानुकोविच को भागने के लिए मजबूर किया और सुरक्षा बलों का मनोबल गिराया और इस परिणामस्वरूप पैदा हुए शून्य में, अमेरिकी राजनयिकों ने तुरंत मास्को के प्रति शत्रुतापूर्ण एक कठपुतली शासन को सत्ता सौंप दी थी।
कज़ाकिस्तान में दंगों में विदेशी आतंकवादियों ने भाग लिया, टोकायव ने सोमवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यूरोपीयन परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ बातचीत में कहा और इसे टोकायव के हवाले से कहा गया कि, "मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक आतंकी हमला था।"
“यह अफ़गानिस्तान सहित ज्यादातर मध्य एशियाई देशों में विदेशी बंदूकधारियों की भागीदारी के साथ कज़ाकिस्तान के खिलाफ आक्रामकता का एक सुव्यवस्थित और तैयार कार्यवाही थी। टोकायव ने कहा कि इसमें मध्य पूर्व के आतंकवादी भी भी शामिल थे”। उन्होंने कहा, "उनका इरादा सत्ता पर कब्ज़े के साथ हमारे क्षेत्र में नियंत्रित अराजकता फैलाना था।"
दरअसल, हमले में 16 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, 1,300 से अधिक घायल हुए थे और लगभग 500 पुलिस कारों को जला दिया गया था। कई शहरों में सरकारी भवनों पर एक साथ लक्षित हमले किए गए थे।
षड्यंत्र के सिद्धांत प्रचुर मात्रा में चलाए जा रहे हैं। इसमें तुर्की और इस्राइल की संलिप्तता का पता चला है। कज़ाकिस्तान ने किर्गिस्तान से लगी अपनी सात में से पांच सीमा को बंद कर दिया है। शहर में चर्चा यह है कि पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने कज़ाख क्षेत्र में झरझरा सीमा में घुसपैठ कर सीरिया से किर्गिस्तान तक कठोर युद्ध लड़ने वाले इस्लामी लड़ाकों को भेजा है।
बिश्केक इतना शर्मिंदा और दोषी महसूस कर रहा है कि राष्ट्रपति सदिर जापरोव ने दो दिन पहले सीएसटीओ नेताओं के सामने वीडियोकांफ्रेंसिंग में अपना चेहरा नहीं दिखाया और इसके बजाय अपने प्रधानमंत्री को बातचीत के लिए नियुक्त कर दिया!
इस बारे में और अधिक विवरण निश्चित रूप से सामने आएंगे। यह ज्ञात हो गया है कि कज़ाख अधिकारियों द्वारा पकड़े गए कुछ हज़ार बंदियों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। अनुमानित 16,000 एनजीओ कज़ाकिस्तान में काम कर रहे हैं और कई अमेरिकी संगठनों द्वारा उन्हे वित्त पोषित किया जा रहा है जैसे कि वाशिंगटन स्थित नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी, जो पूर्व सोवियत गणराज्यों में शासन परिवर्तन परियोजनाओं को निधि देता है।
अमेरिका ने जातीय कज़ाख राष्ट्रवादियों, पश्चिमी समर्थक समूहों और युवाओं के साथ व्यापक रूप से नेटवर्क बनाया हुआ है। अमेरिका में शिक्षित "नया कज़ाख समुदाय", सोवियत युग की "रूसीफाइड" पीढ़ी से पूरी तरह से अलग नस्ल है।
कजाज़ास्तान शीत काल के योद्धाओं के लिए एक प्रतिष्ठित ट्रॉफी है। यह झिंजियांग की सीमा में है और बीजिंग की पश्चिम की ओर जाने वाली बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) परियोजनाओं के लिए परिवहन का बड़ा केंद्र है। कज़ाकिस्तान के साथ व्यापार, निवेश, ऊर्जा सहयोग में चीन का बड़ा दांव लगा हुआ है।
मॉस्को के लिए भी, कज़ाकिस्तान की स्थिरता महत्वपूर्ण चिंता का विषय है क्योंकि वहां 35 लाख जातीय रूसी रहते हैं। इसके अलावा, रूस के पास सामरिक संपत्तियां भी हैं जैसे कि बैकोनूर कोस्मोड्रोम और आईसीबीएम के लिए सेरी शगन परीक्षण रेंज। कम आबादी वाला भूभाग आतंकवादी समूहों के लिए संभावित घुसपैठ का मार्ग है।
सीएसटीओ और रूस के बारे में ब्लिंकन की उत्तेजक टिप्पणियों ने फोकस को स्थानांतरित कर दिया है, जो अब कलर क्रांति के प्रयास से दूर हो गया है। बहरहाल, बाइडेन प्रशासन में रूसी फोबिया से सराबोर लोग हारे हुए महुसूस कर रहे हैं।
उनका अनुमान था कि रूस की पश्चिमी सीमा पर मास्को की निगाहें टिकी रहेंगी, और इसलिए वे रूस की 7600 किलोमीटर लंबी खुली दक्षिणी सीमा में घुसपैठ कर सकते हैं। वे इस बात से अनजान थे कि पुतिन निर्णायक प्रतिक्रिया देंगे।
कज़ाकिस्तान में पांच दिनों के लिए सीएसटीओ सैनिकों की कमान को चेचन्या, क्रीमिया और डोनबास में पिछले रिकॉर्ड के साथ एक हॉटशॉट जनरल को नियुक्त करके, क्रेमलिन ने अपना रुख साफ कर दिया है कि अब 'कोई और कलर क्रांति नहीं होगी।'
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