Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

उपचुनाव नतीजे: कहां और कितने वोटों से कौन जीता, कौन हारा?

देश में हुए तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर चुनाव के नतीजे आ गए हैं, जिसमें फिलहाल बहुत बड़ा उलटफेर देखने का मिला है।
EVM

देश में जब तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर उपचुनावों की घोषणा हुई, तो सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की रामपुर और आज़मगढ़ लोकसभा सीट को लेकर हुई, क्योंकि ये दोनों ही क्षेत्र समाजवादी पार्टी और यादवों का गढ़ माना जाता है। ऐसे में एक ओर जहां रामपुर आज़म खान और आज़मगढ़ अखिलेश यादव के लिए भाई धर्मेंद्र यादव के लिए नाक का सवाल बन चुका था, तो भाजपा पर भी दबाव था, कि कैसे यहां भी सेंधमारी की जाए।

रामपुर लोकसभा क्षेत्र में जब वोटों की ग़िनती शुरु हुई तभी लोग कहने लगे कि कुछ भी हो जाए लेकिन आज़म खान का दबदबा आज भी बरकार है, यही कारण है कि उनके कऱीबी असीम रज़ा इतना बड़ा मार्जिन लेकर आगे चल रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे काउंटिंग के राउंड बढ़ते गए भाजपा भी बड़े उलटफेर की तरफ बढ़ने लगी। यानी रामपुर लोकसभा यानी आज़म खान और अखिलेश यादव यहां तक समाजवादी पार्टी के सबसे मज़बूत गढ़ में भाजपा के घनश्यान लोधी ने आज़म खान के करीबी असीम रज़ा को 42 हज़ार 192 वोटों से हरा दिया।

आपको बताते चलें कि रामपुर लोकसभा सीट से ख़ुद आज़म खान सांसद थे, लेकिन विधायकी जीतने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ने का फैसला किया था। आज़म खान ने इस सीट को जेल में रहते हुए जीत लिया था। फिलहाल लंबे कयासों के बाद आज़म ने यहां से अपने करीबी असीम रज़ा को लोकसभा का चुनाव लड़ाया, जिन्हें 3 लाख 25 हज़ार 205 वोट हासिल हुए, वहीं भाजपा के घनश्याम लोधी को 3 लाख 67 हज़ार 397 वोट हासिल हुए।

 

अब बात आज़मगढ़ लोकसभा सीट की...

रामपुर की तरह ही आज़मगढ़ भी समाजवादी पार्टी और यादवों का गढ़ माना जाता है, लेकिन ये कहना ग़लत नहीं होगा कि सपा का अति आत्मविश्वास ही उसके लिए हार का कारण बन गया। काउंटिंग की शुरुआती दौर में तो समाजवादी पार्टी लंबे मार्जिन से आगे चल रही थी, लेकिन एक वक्त अचानक से जो भाजपा ने छलांग लगाई तो सीधा जाकर जीत पर रुकी। यही कारण है कि यहां भाजपा ने सपा को 8679 वोटों के अंतर से हरा दिया।

आज़मगढ़ लोकसभा के अंतर्गत पांच विधानसभाएं आती हैं, बीते विधानसभा चुनाव में ये पांचों सीटें सपा के खाते में आई थीं। यानी इन उपचुनावों में भी सपा के लिए सबकुछ ठीक था। शायद यही कारण रहा कि अखिलेश यादव ने यहां एक भी रैली नहीं की, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब तीन विशाल जनसभाएं कर भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल निरहुआ के लिए वोट मांगे। इतना ही नहीं भाजपा के अन्य नेता भी इस सीट को जीतने के लिए लगातार सक्रिय थे, क्योंकि भाजपा को पता है कि इन सीटों पर सेंधमारी करना आने वाले लोकसभा चुनावों में उन्हें सीधा फायदा पहुंचाएगा। वहीं दूसरी ओर जातीय गणित, यादव परिवार का सदस्य समेत तमाम तरह के मंथन के बाद अखिलेश यादव ने यहां की ज़िम्मेदारी अपने भाई धर्मेंद्र यादव को दी थी, लेकिन उन्हें महज़ 3 लाख 04 हज़ार 089 वोट ही मिले, जबकि भोजपुर सुपरस्टार दिनेश लाल निरहुआ ने 3 लाख 12 हज़ार 768 वोट हासिल कर सीट पर कब्ज़ा कर लिया। आपको बता दें कि आज़मगढ़ लोकसभा सीट से अखिलेश यादव सांसद थे, लेकिन करहल से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी।

पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट...

उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर भी बेहद महत्वपूर्ण उपचुनाव होना था, जहां सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, इसके बावजूद इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को मुंह की खानी पड़ी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी कोई खास कमाल नहीं कर सकी। जबकि अकाली दल(अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने इस सीट को 5822 वोटों के अंतर से जीत लिया है।

आपको बता दें कि इससे पहले भगवंत मान संगरूर सीट से सांसद थे, या यूं कहें कि वे पूरी आम आदमी पार्टी के एकमात्र सांसद थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी, क्योंकि विधानसभा चुनावों में आए नतीजों से उनकी पार्टी को विश्वास था कि जीत उन्हीं की होगी, लेकिन अकाली दल(अमृतसर) सिमरनजीत सिंह मान ने 2 लाख 53 हज़ार 154 वोट हासिल कर जीत हासिल कर ली। जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमैल सिंह को 2 लाख 47 हज़ार 332 वोट ही मिल सके।

त्रिपुरा की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव...

लोकसभा के महत्वपूर्ण उपचुनावों के अलावा चार राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने थे, जिनमें से चार सीटें तो सिर्फ त्रिपुरा की ही थीं। जिनमें से तीन सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल कर ली, जबकि सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत सकी है। बात अगर त्रिपुरा की अगरतला सीट की करें तो यहां कांग्रेस ने भाजपा को 3163 वोटों से हरा दिया, वहीं बाकी की तीन सीट जुबाराजनगर सीट पर 4572, सूरमा सीट पर 4583 जबकि टाउन बारदोवली सीट पर भाजपा को 6104 वोटों के अंतर से जीत मिली।

अगरतला विधानसभा सीट...

बात अगर सिर्फ अगरतला सीट की करें तो यहां भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला था, जिसमें भाजपा प्रत्याशी अशोक सिन्हा को 14 हज़ार 268 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सुदीप राय बरमन ने 17431 वोट हासिल कर सीट जीत ली।

सूरमा विधानसभा सीट...

त्रिपुरा की सूरमा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला था, यहां भाजपा के स्वना दास को 16 हज़ार 677, एक अन्य उम्मीदवार बाबूराम सतनामी को 12094 जबकि सीपीआई(एम) के अंजन दास को 8 हज़ार 415 वोट मिले।

जुबा राजनगर विधानसभा सीट...

त्रिपुरा की एक और विधानसभा सीट जुबाराजनगर में भारतीय जनता पार्टी के मलीना देबनाथ का मुकाबला सीपीआई(एम) के शैलेंद्र चंद्र नाथ के साथ था, जिसमें मलीना देबनाथ को 18 हज़ा 769 जबकि शैलेंद्र चंद्रनाथ को 14 हज़ार 197 वोट हासिल हुए।

टाउन बारडोवाली विधानसभा सीट...

त्रिपुरा की टाउन बारडोवाली विधानसभा सीट पर भी भाजपा ने जीत हासिल कर ली, यहां भी भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था। इस सीट पर भाजपा के मनिक शाह ने 17 हज़ार 181 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस के आशीष कुमार साह को महज़ 11 हज़ार 77 वोट मिले।

आंध्र प्रदेश की आत्मकुर विधानसभा सीट...

आंध्र प्रदेश में सत्ताधारी YSRCP ने आत्मकुर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की। YSRCP उम्मीदवार मेकापति विक्रम रेड्डी 82,888 मतों के बड़े अंतर से जीत गए।

इस सीट पर मुख्य टक्कर YSR कांग्रेस और BJP के बीच थी। YSR कांग्रेस ने अपनी पार्टी की तरफ से मेकापति विक्रम रेड्डी को उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा था जिन्हें 1 लाख 2 हज़ार 241 वोट मिले। जबकि भाजपा ने कुमार गुंडलापल्ली को उम्मीदवार बनाया था, गुंडलापल्ली ने 19 हज़ार 353 वोट हासिल किए।

दिल्ली की राजेंद्र नगर विधानसभा...

दिल्ली में आम आदमी पार्टी का जलवा बरकरार है, एकमात्र सीट राजेंद्र नगर विधासभा में उपचुनाव हुए और आम आदमी पार्टी ने इसे 11 हज़ार 468 वोटों से जीत लिया।

आपको बता दें कि राजेंद्र नगर विधानसभा सीट से विधायक रहे राघव चड्ढा ने राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। राघव चड्ढा के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर हुए उपचुनाव में आप ने जीत की हैट्रिक लगा दी है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दुर्गेश पाठक को 40 हज़ार 319 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी राजेश भाटिया को 28 हज़ार 851 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा।

झारखंड की मंडार विधानसभा सीट...

झारखंड की मंडार विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच राउंड तक कड़ा मुकाबला देखने को मिला, लेकिन एक वक्त बाद कांग्रेस, भाजपा के मुकाबले काफी आगे निकल गई जिसके बाद कांग्रेस ने भाजपा को करीब 23 हज़ार 517 वोटों से हरा दिया।

आपको बता दें कि मांडर विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार शिल्पी नेहा तिर्की ने अपना कब्जा जमाया है। नेहा तिर्की ने भाजपा की गंगोत्री कुजूर को हराकर मांडर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है। शिल्पी की ये जीत महागठबंधन की जीत का चौका है। इससे पहले तीन उपचुनाव में जीत हासिल हो चुकी थी। इतना ही नहीं शिल्पी की जीत के साथ विधानसभा में कांग्रेस की महिला विधायकों की संख्या 5 हो गई है। इस जीत के साथ वो झारखंड विधानसभा में सबसे कम उम्र की विधायक बन गई है। आपको बता दें कि इस जीत के लिए शिल्पी नेहा तिर्की को 95 हज़ार 062 वोट हासिल हुए, जबकि भारतीय जनता पार्टी की गंगोत्री कुजूर को 71 हज़ार 545 वोट मिले।

Image removed.

फिलहाल उपचुनावों में कई लोकसभा और विधानसभा सीटों के नतीजे चौंकाने वाले रहे, खासकर रामपुर और आज़मगढ़ की सीट का मामला। क्योंकि ये दोनों ही सीटें सपा के हाथ से निकलना ये दर्शाता है, कि कहीं न कहीं अपने गढ़ में भी भाजपा के सामने सपा कमज़ोर पड़ती दिखाई दे रही है। या फिर विधानसभा चुनाव के बाद चुप्पी साध कर बैठ जाना भी नुकसानदेह साबित हुआ है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest