दिल्ली की सैकड़ों साल पुरानी दो मस्जिदों को रेलवे का नोटिस, 15 दिन का अल्टीमेटम
दिल्ली की दो बड़ी मस्जिदों की दीवारों पर अचानक ही रेलवे की तरफ से एक नोटिस चस्पा कर 15 दिन के अंदर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दे दिया गया।
किन मस्जिदों पर लगाया गया है नोटिस ?
लुटियंस दिल्ली के पॉश इलाके बंगाली मार्केट में एक मस्जिद है जिससे जुड़ा एक मदरसा भी है जिसे 'बच्चों वाली मस्जिद' के नाम से भी बुलाया जाता है। जबकि दूसरी मस्जिद ITO स्थित 'तकिया बब्बर शाह' मस्जिद है। इन दोनों ही मस्जिद पर 19 जुलाई को नोटिस लगा दिया गया जिस पर लिखा है कि '' रेलवे भूमि को अनाधिकृत रूप से अतिक्रमित किया हुआ है। आप लोग अनाधिकृत रूप से रेलवे की ज़मीन पर बने अनधिकृत भवन / मंदिर / मस्जिद / मज़ार को सूचना के 15 दिनों के अन्दर स्वेच्छा से हटा दें, अन्यथा रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत अनाधिकृत रूप से अतिक्रमित भवन, मंदिर, मस्जिद, मज़ार को हटा दिया जाएगा और इस प्रक्रिया में होने वाले नुकसान के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।''
किसकी तरफ से लगा है नोटिस?
उत्तर रेलवे, दिल्ली की तरफ से लगे इस नोटिस में जो गौर करने वाली बात है वो ये कि इस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं है और न ही कोई सरकारी स्टैंप लगी है।
मार्केट मस्जिद पर लगा नोटिस
नोटिस की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हम बंगाली मार्केट स्थित इस मस्जिद पहुंचे, तीन गुंबद वाली इस मस्जिद की बनावट साफ बता रही थी कि मस्जिद बेहद पुरानी है। लेकिन कुछ दिन पहले अतिक्रमण हटाने के नाम पर चले बुलडोज़र के निशान अब भी यहां दिखाई दे रहे थे। मलबा आज भी जस का तस पड़ा था। मस्जिद के गेट के बाहर बांए हाथ पर बने कमरे के दरवाजे और दीवार पर नोटिस चस्पा था, आस-पास रहने वाले लोगों के अलावा भी कुछ लोग दूर से आकर इस नोटिस को पढ़ रहे थे उसकी तस्वीर खींच रहे थे और फिर कुछ दूर जाकर आपस में बातचीत करते हुए चिंता ज़ाहिर कर रहे थे।
रेलवे बोर्ड के नोटिस के नीचे ही मस्जिद की तरफ से भी एक पुराने लेटर की तस्वीर चिपका दी गई है जिसके सब्जेक्ट में लिखा है '' एक्सचेंज ऑफ लैंड'' ( Exchange of Land ) 2001 के इस आदेश के मुताबिक रेलवे ने मस्जिद से 37.45 sqm ज़मीन ली है।
2001 का लेटर जिस पर रेलवे के साथ लैंड ऐक्सचेंज का जिक्र है
समझते हैं पूरा मामला क्या है?
हमने बंगाली मार्केट मस्जिद के जनरल सेक्रेटरी हाफिज़ मतलूब करीम से पूरा मामला समझने की कोशिश की उन्होंने बताया कि ''ये मस्जिद 400 साल से भी पुरानी है जो वक्फ बोर्ड के तहत आती है। साथ ही ये 123 प्रॉपर्टी में भी आती है जिसका एक मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। कुछ महीने पहले यहां LNDO (Land and Development office of Ministry of Housing and Urban affairs ) ने आकर अतिक्रमण हटाने के नाम पर मस्जिद की दीवार को तोड़ दिया था, मस्जिद के जनरल सेक्रेटरी के मुताबिक इस कार्रवाई पर LNDO को कोर्ट में डांट भी पड़ी थी।''
मस्जिद की दीवार जिसे कुछ समय पहले तोड़ दिया गया
मस्जिद के जनरल सेक्रेटरी हाफिज़ मतलूब करीम ने उस गलतफहमी को भी दूर किया जिसमें कहा जा रहा है कि मस्जिद को तोड़ा जाएगा वे बताते हैं कि ''ये मस्जिद का मामला नहीं है, जहां नोटिस लगा है वहां के लिए कहा है कि ''ये रेलवे की ज़मीन है''( मस्जिद से ही सटा है इलाका) 2001 में रेलवे यहां पर लाइन बना रहा था तो वक्फ बोर्ड को इन्होंने अप्रोच किया था, तो रेलवे के अधिकारी आए थे उन्होंने कहा था कि हमें एक रेल की लाइन डालनी है, जिसमें आपकी ज़मीन जाएगी, उसके बदले में हम आपको जगह दे देंगे, और जो तोड़-फोड़ होगी वो भी हम बना कर देंगे, हमने उनसे उस वक़्त भी कहा था कि ये मस्जिद बहुत पुरानी है अगर यहां तोड़-फोड़ की गई तो दूसरी दीवारों पर असर पड़ेगा, तो उन्होंने हमें आश्वासन दिया और उसी के मुताबिक काम किया। और एक बात अच्छी रही कि ये सब काम जो हुआ उसके आदेश उन्होंने लिखित में भी हमें दिए, तो आज जहां नोटिस लगा है वो रेलवे वालों ने ख़ुद बना कर दिया था, ऊपर टाइल भी उन्हीं की तरफ से लगवाई गई थी सारे काम उन्होंने करवा कर दिए थे। हमारे पास जो लेटर है 37.45 Sqm ज़मीन से जुड़ा उसपर लिखा है ''एक्सचेंज ऑफ लैंड'', उस लेटर पर सभी अधिकारियों के साइन हैं । और अब उसी 37.45 गज की ज़मीन पर इन्होंने अतिक्रमण का नोटिस लगा दिया, पूरी मस्जिद की बात नहीं हो रही है।''
किस बात का डर है?
जनरल सेक्रेटरी हाफिज़ मतलूब करीम कहते हैं कि ''जिस आदेश को यहां चस्पा किया गया है उसपर किसी के साइन नहीं जिससे पता चले कि वे रेलवे का आदेश है, ऐसा क्यों?
दूसरा उन्हें अंदेशा है कि जैसे कुछ महीने पहले जल्दबाज़ी में मस्जिद की दीवार तोड़ दी गई थी कहीं फिर से वैसे ही कार्रवाई न कर दी जाए। वे गुज़ारिश करते हैं कि '' वक्फ बोर्ड ने भी अपना पक्ष रखने की तैयारी कर ली है लेकिन हम चाहते हैं कि इस प्रक्रिया में जितना वक़्त लगेगा तब तक रेलवे को इतंज़ार करना चाहिए जल्दबाज़ी में कार्रवाई न की जाए, वे उन पुराने कागजों, दस्तावेजों को पहले देख लें।''
मस्जिद के जुड़े मदरसे में बच्चे भी रहते हैं
मतलूब बताते हैं कि इस मदरसे में बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनके सिर पर कोई साया नहीं हैं, उनके बारे में भी सोचना चाहिए।
तकिया बब्बर शाह मस्जिद पर भी लगा नोटिस
बंगाली मार्केट के साथ ही ITO स्थित पुरानी 'तकिया बब्बर शाह' मस्जिद पर भी रेलवे का हूबहू वही नोटिस चस्पा कर दिया गया है। हमने मस्जिद से जुड़े लोगों से बात की उन्होंने बताया '' ये रेलवे लाइन तो यहां 1931 के आस-पास आई है जबकि ये मस्जिद तो उससे बहुत पुरानी है।''
हमने मस्जिद के सेक्रेटरी अब्दुल गफ्फार से भी बात की उन्होंने भी बताया कि '' मस्जिद के नाम से जुड़ा 'तकिया' का मतलब 'कब्रिस्तान' है यहां एक बहुत पुराना कब्रिस्तान भी था, मस्जिद में पुराना कुआं भी है और इस मस्जिद की बनावट इसके मेहराब, गुंबद साफ बताते हैं कि ये मस्जिद चार-पांच सौ साल पुरानी है।''
मस्जिद का टूट कर गिरा पुराना हिस्सा
अब्दुल भी दावा करते हैं कि उनकी मस्जिद के पास भी पुराने दस्तावेज हैं। साथ ही वे भी कहते हैं कि वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली इस मस्जिद पर जो रेलवे का नोटिस लगा है बोर्ड उसका जवाब देगा।
रेलवे की प्रतिक्रिया नहीं मिली
हमने रेलवे का पक्ष जानने की भी कोशिश की। हमने कई जगह फोन किए पर हमें एक जगह से दूसरी जगह बात करने की सलाह दी गई। हमने CPRO को भी फोन मिलाया लेकिन वहां भी किसी ने फोन नहीं उठाया।
अब देखने होगा कि 19 जुलाई को लगा रेलवे का 15 दिन का अल्टीमेटम ख़त्म होगा तो क्या जल्दबाज़ी में कार्रवाई कर दी जाएगी या फिर मस्जिद के दावों की भी सुनवाई होगी?
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