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जानिए, 11 राज्यों की 56 सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनावों के बारे में

बिहार विधानसभा चुनाव के अलावा देश में मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित 11 राज्यों की 56 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इसमें से 54 विधानसभा सीटों के लिए 3 नवंबर को वोट डाले जायेंगे, जबकि मणिपुर की दो विधानसभा सीटों के लिए 7 नवंबर को वोटिंग होगी। सभी के परिणाम 10 नवंबर 2020 को आएंगे।
चुनाव

ऐसे वक्त में जब सबकी निगाहें बिहार विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं, उसी बीच 11 राज्यों में 56 अन्य विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। ये चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के साथ-साथ विपक्षी दलों के लिए भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। कुछ जानकार इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में किए गए कामों के जनमत परीक्षण के रूप में भी देख रहे हैं।

बता दें कि वर्तमान में देश भर की राज्य विधानसभाओं में 63 सीटें खाली हैं। इसमें से 54 विधानसभा सीटों के लिए 3 नवंबर को वोट डाले जायेंगे, जबकि मणिपुर की दो विधानसभा सीटों के लिए 7 नवंबर को वोटिंग होगी। सभी के परिणाम 10 नवंबर 2020 को आएंगें।

चुनाव आयोग ने शेष सात विधानसभा सीटों पर उपचुनावों अभी नहीं कराने का फैसला किया है। ये खाली सीटें केरल, तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल में हैं। चुनाव आयोग ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि इन राज्यों में मुख्य सचिवों और चुनाव अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।

गौरतलब है कि इसके साथ ही 7 नवंबर को बिहार में वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट के लिए भी उपचुनाव होंगे। बता दें कि फरवरी में जद (यू) के सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो की मृत्यु के बाद खाली हुई है। इस सीट से महागठबंधन ने कांग्रेस के प्रवेश मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, एनडीए ने इस सीट से जेडीयू के नेता सुनील कुमार को प्रत्याशी बनाया है। सुनील कुमार जेडीयू के दिवंगत सांसद बैद्यनाथ महतो के पुत्र हैं।

वैसे मंगलवार को सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसके बाद गुजरात में आठ विधानसभा सीटें हैं। उत्तर प्रदेश में सात; ओडिशा, नागालैंड, कर्नाटक और झारखंड में दो-दो और छत्तीसगढ़, तेलंगाना और हरियाणा में एक-एक सीटों पर उपचुनाव होना है।

सबसे अहम मध्य प्रदेश का उपचुनाव

मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की जरूरत इस साल मार्च में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के 22 विधायकों के भाजपा में पाला बदलने के बाद पड़ी है। विधायकों के इस दलबदल से कमलनाथ की 15 महीने पुरानी सरकार गिर गई थी। इसके बाद कांग्रेस के तीन अन्य  विधायकों ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन किया और भाजपा में शामिल हो गए। अन्य तीन सीटें विधायकों की मौतों के कारण खाली हैं।

2018 के विधानसभा चुनावों में 230 सदस्यीय सदन में कांग्रेस ने 114 सीटों और भाजपा ने 109 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में कांग्रेस ने चार निर्दलीय, दो बसपा विधायकों और एक सपा विधायक के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि बाद में सिंधिया के दलबदल के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 88 हो गई है।

अभी राज्य में 107 विधायकों के साथ राज्य में शिवराज सिंह की सरकार है। विधानसभा उपचुनावों में भाजपा को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम नौ सीटें जीतने की जरूरत है। दूसरी ओर कांग्रेस को राज्य की सत्ता में वापसी के लिए 28 सीटें जीतने की जरूरत है।

उपचुनावों में भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेता कमलनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

गुजरात में आठ सीटों पर उपचुनाव

गुजरात में राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया है। कांग्रेस ने यहां 2017 में 77 सीटें जीतकर 1995 के बाद से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। उपचुनावों में वह अपनी सभी आठ सीटें जीतने की कोशिश में है।

वहीं, गुजरात भाजपा के नए प्रमुख सीआर पाटिल ने 2022 के विधानसभा चुनावों में सभी 182 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उप-चुनाव पाटिल के लिए अग्नि परीक्षा है। फिलहाल उपचुनावों में भाजपा ने आठ में से पांच टिकट उन कांग्रेस विधायकों को दिए हैं, जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए इस्तीफा दे दिया कि भाजपा राज्यसभा चुनाव में अपनी सभी सीटों पर जीत हासिल कर सके।

फिलहाल मध्य प्रदेश के विपरीत गुजरात भाजपा के लिए उपचुनाव के परिणामों की तत्काल बहुत प्रासंगिकता नहीं है। वह इस उपचुनाव में जितनी भी सीटों पर जीत हासिल करेगी वह बोनस होगा। विधानसभा में भाजपा की 103 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 65 सीटें हैं। हालांकि, इन उप-चुनावों में इसका प्रदर्शन विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं के मूड को इंगित करेगा।

उत्तर प्रदेश में सात सीटों पर उपचुनाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सीटों पर 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है। चुनाव नतीजे 10 नवंबर को जारी किए जाएंगे। जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें टूंडला (फिरोजाबाद), बुलंदशहर, नौगांवा सादात (अमरोहा), घाटमपुर (कानपुर नगर), बांगरमऊ (उन्नाव) और मल्हनी (जौनपुर), देवरिया सदर सीटें शामिल हैं।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सात सीटों में एक पर सपा का कब्जा था, शेष 6 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

इस बार के चुनाव की खास बात यह है कि चारों प्रमुख दल भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। उपचुनाव में भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

वहीं, कांग्रेस और बसपा के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन उपचुनाव से उम्मीदें जरूर हैं। कांग्रेस और बसपा को अगर एक सीट पर भी कामयाबी मिल जाती है, तो 2022 के चुनाव में दोंनों के पास सरकार पर निशाना साधने और अपनी ताकत बताने का एक आधार मिल जाएगा।

अन्य 13 सीटों पर उपचुनाव

इसके अलावा कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड, नगालैंड और मणिपुर की दो-दो सीटों पर उपचुनाव होना है। वहीं, हरियाणा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ की एक-एक विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। गौरतलब है कि 11 राज्यों में से सिर्फ मणिपुर की दो सीटों पर 7 नवंबर को चुनाव होना है।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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