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रास्ते खुले: दिल्ली पुलिस ने टिकरी और ग़ाज़ीपुर बार्डर से बैरिकेड हटाए

किसान आंदोलन वाली जगह से दिल्‍ली पुलिस ने बैरिकेड्स हटाने शुरू कर दिए हैं। कंटीली तारें हटाकर रास्‍ता बनाया जा रहा है। इसी के साथ साफ़ हो गया है कि रास्ते किसने बंद किए थे। अब देखना है कि क्या इसी तरह सरकार भी बातचीत के बंद रास्ते को खोलती है या नहीं।  
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करीब एक साल से बंद पड़े दिल्‍ली-उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली-हरियाणा बॉर्डर खुल रहे हैं। किसान आंदोलन वाली जगह से दिल्‍ली पुलिस ने बैरिकेड्स हटाने शुरू कर दिए हैं। कंटीली तारें हटाकर रास्‍ता बनाया जा रहा है। इसी के साथ साफ़ हो गया है कि रास्ते किसने बंद किए थे।

बहुत समय से इस बात को लेकर विवाद चल रहा था किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली बॉर्डर पर रास्ते बंद हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली गई, सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियां भी कीं, लेकिन किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया कि रास्ते उन्होंने नहीं दिल्ली पुलिस ने बंद किए हैं। और अब यह बिल्कुल साफ़ हो गया है। क्योंकि दिल्ली पुलिस ने रास्ते खोलने शुरू किए हैं।

दिल्‍ली पुलिस ने गुरुवार रात से ही टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर रास्‍ता खोलने की तैयारी शुरू कर दी थी। शुक्रवार को इसमें तेजी आई। 100 से भी ज्‍यादा की संख्‍या में पुलिसकर्मी बैरिकेड्स और कंटीली तारें हटाते नजर आए। नेशनल हाइवे - 9 और 24 को खोल दिया गया है।

इसे देखते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने भी दोहराया कि रास्‍ते किसानों ने नहीं रोक रखे हैं। उन्होंने रास्ते खोलने को सही बताया और कहा कि अब किसान संसद में जाकर अपनी फसल बेचेंगे।

आपको मालूम है कि दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बार्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर किसान 11 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। यहां हजारों किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं, लेकिन सरकार ने बातचीत के दरवाज़े बंद कर रखे हैं। इसी गतिरोध के चलते दिल्ली पुलिस ने आंदोलन स्थलों के आसपास काफी सुरक्षा बल तैनात कर रास्ते बंद कर रखे थे। 26 जनवरी की लाल किले वाली घटना के बाद गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में बैरिकेड लगाकर और सड़क पर कीलें बिछाकर आवाजाही बिल्कुल रोक दी गई थी। जिससे आम लोगों को बहुत परेशानी हो रही थी। अब जब कोर्ट में यह मामला पहुंचा और किसानों ने साफ कर दिया कि रास्ता बंद करने में उनकी कोई भूमिका नहीं तब दिल्ली पुलिस ने मजबूर होकर रास्ते खोलने शुरू किए हैं। अब देखना है कि क्या इसी तरह सरकार भी बातचीत के बंद रास्ते को खोलती है या नहीं।  

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