पंजाब किसानों को टिकैत का समर्थन: BKU ने निकाला ट्रैक्टर मार्च, दिल्ली कूच की चेतावनी दी!
लखनऊ: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के समर्थन में, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के बैनर तले हजारों किसानों ने बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर मार्च निकाला और कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना दिया।
बीकेयू अध्यक्ष नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मेरठ में ट्रैक्टर मार्च में शामिल हुए। टिकैत बंधुओं ने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में पूरे देश के किसान एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने केंद्र को चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों के सामने कोई समस्या पैदा की, तो दिल्ली "किसानों के लिए दूर नहीं होगी।"
मेरठ में किसानों को संबोधित करते हुए बीकेयू अध्यक्ष ने कहा कि, "आज के ट्रैक्टर मार्च के बाद, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) द्वारा उठाए गए मुद्दों के समर्थन में हमारे पास 26 और 27 फरवरी का कार्यक्रम हैं। हमारे ट्रैक्टर सभी दिशाओं से दिल्ली की ओर गाजीपुर बार्डर तक बढ़ेंगे।"
टिकैत ने किसानों से यह भी आग्रह किया कि यदि वे अपनी भूमि की रक्षा करना चाहते हैं तो वे 'आंदोलन' के लिए तैयार रहें।
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, राकेश टिकैत ने कहा कि: "अगर सरकार किसानों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं पर लोहे की कीलें, कंटीले तार और कंक्रीट बैरिकेड्स लगाती है, तो किसान भी अपने गांवों में भी ऐसा करेंगे। हमें भी लोकसभा चुनाव के वक़्त अपने गांवों के आगे बैरिकेडिंग करनी होगी।" अगर वे (सरकार) किसानों को दिल्ली आने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, तो हम भी चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ सरकार और उसके नेताओं को गांव में घुसने की इजाजत नहीं देंगे। अगर वे किसानों के आंदोलन को कुचलने का काम करेंगे, तो कौन उन्हें हमारे गांवों में प्रवेश करने की अनुमति देगा?”
टिकैत ने सवाल किया कि क्या देश में कोई भी आंदोलन बिना डर के हो रहा है? “सरकार ईडी और सीबीआई सहित कई एजेंसियों का इस्तेमाल करके भय का माहौल पैदा कर रही है। दिल्ली नजदीक है और पंजाब दूर, इसलिए हम यूपी में ट्रैक्टर चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ''यह ट्रैक्टर मार्च दिल्ली जाने का एक अभ्यास है।''
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक कानून बनाने की जरूरत पर रोशनी डालते हुए, टिकैत ने कृषि क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों को बाहर करने की जोरदार वकालत की।
उन्होंने कहा, "निजी खिलाड़ियों की कोई भूमिका कृषि में नहीं होनी चाहिए। इसके लिए देश भर में बड़े प्रदर्शन किए जा रहे हैं और इस आंदोलन को और आगे ले जाया जाएगा।"
बुधवार को शामली, मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बागपत, संभल, अमरोहा, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, बरेली और लखीमपुर खीरी के किसानों ने कलेक्टरेट कार्यालय तक ट्रैक्टर मार्च शुरू किया, लेकिन कई स्थानों पर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। जैसे ही किसानों ने कड़ी सुरक्षा को तोड़ने का प्रयास किया, कुछ लोगों को पुलिस बैरिकेड्स हटाते हुए और ट्रैक्टरों के साथ कलेक्टर कार्यालय के अंदर पहुंचते देखा गया।
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय" की मांग कर रहे हैं साथ ही भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 की बहाली, और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे की भी मांग की गई है।
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, शामली बीकेयू के जिला अध्यक्ष कलिन्द्र मलिक ने कहा कि दिल्ली की ओर मार्च कर रहे सभी किसान एमएसपी पर कानून बनाने, स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करने और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। लेकिन सत्तारूढ़ सरकार "किसान विरोधी" है। इसलिए किसानों को दिल्ली जाने से रोका जा रहा है और किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं।''
ट्रैक्टर मार्च के बाद सभी जिला मुख्यालयों पर बीकेयू नेताओं की ओर से ज्ञापन दिया गया, जिसमें एमएसपी समेत कई मुद्दे शामिल थे।
राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की एक महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को होने वाली है, जहां देश भर के किसान आंदोलन की भविष्य की रणनीति तय करेंगे।
मेरठ में बीकेयू के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान सूखा राशन, सिलेंडर, स्टोव, बर्तन और गद्दे के साथ कलेक्टरेट कार्यालय पर एकत्र हुए और कलेक्टर कार्यालय के सामने भट्टी लगा दी गई है और खाना बनाना शुरू कर दिया गया है। माना जा रहा है कि किसान रात भर रुककर विरोध प्रदर्शन करने के इरादे से आए हैं।
इस बीच, पुलिस ने अंतरराज्यीय सीमाओं और यूपी-दिल्ली सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है क्योंकि आंदोलनकारी किसानों ने 26 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में जाने की धमकी दी है।
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