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एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

एसकेएम ने फ़ैसला लिया है कि अगले महीने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत की जाएगी। 
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संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) ने अपने राष्ट्रव्यापी अभियान का अगला दौर शुरू करने की घोषणा कर दी है। सोमवार को दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी संगठनों की बैठक हुई। एसकेएम की कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा बुलाई गई इस राष्ट्रीय बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आसाम, त्रिपुरा, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

इसमें सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ कि अगले महीने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी। इस सप्ताह के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी घटक संगठन सभी किसानों को अपने सभी कृषि उत्पाद पर स्वामीनाथन कमीशन द्वारा निर्धारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग उठाते हुए धरना, प्रदर्शन, गोष्ठी का आयोजन करेंगे।

इस बैठक में लखीमपुर खीरी कांड में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर इस बात पर भी चिंता जताई गई पुलिस प्रशासन और अभियोक्ता सब मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। मीटिंग में कहा गया कि "यह आश्चर्य का विषय है कि इतने संगीन मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे को इतनी जल्दी जमानत मिल गई जबकि इसी मामले में फंसाए गए किसान अभी भी जेल में बंद हैं। संयुक्त किसान मोर्चा इस खबर से क्षुब्ध है की मोनू मिश्रा के बाहर निकलने के बाद इस मामले के एक प्रमुख गवाह पर हमला किया गया है। मोर्चे ने तय किया कि इस मामले में कानूनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी और मोर्चे की तरफ से किसानों के परिवारों को पूरी कानूनी मदद दी जाएगी।"

मोर्चे ने भारत सरकार द्वारा 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को दिए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की और यह पाया कि 3 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने प्रमुख आश्वासनों पर कुछ भी नहीं किया है। एमएसपी पर जो कमेटी बनाने का आश्वासन था उसका नामोनिशान भी नहीं है। हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान बने केस वापस नहीं लिए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने कुछ केसों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है लेकिन उसकी भी कोई ठोस सूचना नहीं है। देशभर में रेल रोको की केसों के बारे में भी कुछ नही हुआ है।

लखीमपुर खीरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन आयोजित करने का भी निर्णय लिया है।

मोर्चे ने फिर दोहराया कि 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन द्वारा भारत बंद के आह्वान का संयुक्त किसान मोर्चा समर्थन करता है और देश भर में किसान उसमें बढ़-चढ़कर भागीदारी करेंगे।

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