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मिस्र में मानवाधिकार उल्लंघन के रिकॉर्ड को देख अधिकार संगठनों का अमरीका से उसकी सैन्य सहायता रोकने का आह्वान

मानवाधिकार समूहों ने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया कि वे मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता पर मिस्र का निराशाजनक रिकॉर्ड देखते हुए उसे खुली सैन्य सहायता न दे।
मिस्र में मानवाधिकार उल्लंघन के रिकॉर्ड को देख अधिकार संगठनों का अमरीका से उसकी सैन्य सहायता रोकने का आह्वान

मध्य पूर्व आई ने कल 22 अप्रैल, 2021 को सूचित किया कि 14 अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने अमेरिकी सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें मिस्र को सैन्य सहायता को रद्द करने और वहां तेजी से गिरते मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए इसे सशर्त बनाने के लिए आग्रह किया। हस्ताक्षरकर्ता में डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ (डीएडब्ल्यूएन), द कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे), द प्रोजेक्ट ऑन मिडिल ईस्ट डेमोक्रेसी (पोमेड) और ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) सहित अन्य संगठन शामिल हैं।

समूहों का कहना है कि "हम प्रशासन को दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा वैवर का उपयोग वित्तीय वर्ष 2020 के लिए मिस्र को 300 मिलियन डॉलर की विदेशी सैन्य वित्त व्यवस्था के लिए न करे,  जो मानवाधिकार मानकों को पूरा करने की शर्त पर आधारित है। इसका इशारा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिकी कांग्रेस की मिस्र को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर लगाई गईं शर्तों को नजरंदाज करने पर था।

समूह ने जो बाइडेन को उनके पिछले साल के चुनावी वादों को याद दिलाया जहाँ उन्होनें कहा था कि ट्रम्प के “पसंदीदा तानाशाह",  मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के लिए अब और खाली चेक नहीं।

मिस्र को वार्षिक अमेरिकी सैन्य सहायता लगभग 1.3 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है।

मिस्र पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता के दमन के लिए सुर्खियों में रहा है, जब 2013 के सैन्य तख्तापलट के बाद तत्कालीन सेना प्रमुख एल-सिसी ने मिस्र के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को सैन्यबल द्वारा कुर्सी से हटा दिया था। सिसि शासन में हजारों आलोचकों और विपक्षी सदस्यों, लेखकों, पत्रकारों, वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रमुख मुस्लिम ब्रदरहुड नेताओं और सदस्यों को जेल में डाल दिया गया है।

अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में मिस्र की जेलों में 60,000 से अधिक राजनीतिक कैदी हिरासत में हैं। प्रशासन पर बार-बार यह आरोप लगता रहा है कि वे कैदियों से झूठे बयानों और दूसरों के बारे में झूटई जानकारी निकलवाने के लिए बेहद क्रूर, अमानवीय  और अत्याचारी विधियों का इस्तेमाल करता है। मानवाधिकार और प्रेस स्वतंत्रता संगठनों की हालिया रिपोर्टों ने भी देश के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर चिंता व्यक्त की है।

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