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ओमिक्रोन के नए संस्करण का पता चला, यह टीके की सुरक्षा को दे सकता है मात

जैसा कि पहले प्रयोगशाला अध्ययनों के द्वारा सुझाया गया है, और यह सच हो सकता है कि कोविड टीकों के द्वारा प्रदान की गई कुछ सुरक्षा से ओमिक्रोन बचकर निकल सकता है।
omicron

धीरे-धीरे कोरोना वायरस के आधुनिकतम संस्करण ओमिक्रोन के बारे में कुछ तथ्य और आंकड़े सामने आने शुरू हो गए हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक आम एवं बहुप्रचारित धारणाओं की परिकल्पनाओं की सच्चाई की खोज में गहराई से पड़ताल करने में जुटे हुए हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही हमें ओमिक्रोन वैरिएंट से दुबारा से संक्रमित होने की संभावनाओं के बारे में पता चला है।

डब्ल्यूएचओ के निदेशक ने 8 दिसंबर को जेनेवा में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस मोड़ पर किसी भी प्रकार की शिथिलता के प्रति आगाह किया है, जिसकी कीमत “कई जिंदगियों को खोकर चुकानी पड़ सकती है”।

एक बार फिर से संक्रमित होने के बढ़ते जोखिम के दक्षिण अफ्रीकी आंकड़ों के बावजूद, दुनिया के अन्य हिस्सों से भी और अधिक आंकड़ों की आवश्यकता है। डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट की वजह से अपेक्षाकृत मामूली बीमारी हो सकती है, लेकिन फिलहाल इस बारे में कुछ भी निश्चयात्मक बयान जारी नहीं किया जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस घेब्रयेसुस ने अपनी टिप्पणी में कहा है, “हर दिन नए-नए आंकड़े सामने आ रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों को इनका समग्र अध्ययन करने और इनके परिणामों की व्यख्या करने में कुछ और वक्त लगेगा। ऐसे में जब तक पूरी तस्वीर स्पष्ट न हो जाये, हमें किसी भी ठोस नतीजे पर पहुँचने के प्रति सावधान रहना होगा।”  

अब, दो अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रकाश में लाया गया है; इसमें से एक है इस वैरिएंट के ‘छलावे वाले संस्करण’ की खोज, जिसे आम पीसीआर (पॉलीमरेज चैन रिएक्शन) तकनीक के द्वारा पता लगा पाना बेहद कठिन है और दूसरा महत्वपूर्ण पहलू प्रयोगशाला के निष्कर्ष हैं, जो ओमिक्रोन द्वारा टीके से मिलने वाली सुरक्षा से संभावित बच निकलने की ओर इशारा करती है। 

ओमिक्रोन संभवतः टीके सुरक्षा को कमजोर कर सकता है: 

जैसा कि पहले प्रयोगशाला अध्ययनों में सुझाया गया है, यह सत्य हो सकता है कि ओमिक्रोन कोविड टीकों के द्वारा प्रदान की जाने वाली कतिपय सुरक्षा से बच सकता है। हालाँकि, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, स्वीडन और फाइजर-बायोएनटेक सहयोग में दलों के द्वारा किये गए प्रारंभिक अध्ययनों से इस बात का भी संकेत मिलता है कि वर्तमान में उपलब्ध टीकों से बचाव को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। शोधकर्ताओं के द्वारा भी प्रतिरक्षा में सुधार के उपायों के तौर पर बूस्टर खुराक की वकालत की जा रही है। इसका समर्थन करते हुए, जोहान्सबर्ग के विटवाटर्सरैंड विश्वविद्यालय, की विषाणुविज्ञानी पेनी मूर ने अपनी टिप्पणी में कहा है, “हमें संक्रमण को रोकने के खिलाफ टीकों की कम प्रभावशीलता देखने को मिल सकती है। मुझे लगता है कि बूस्टर डोज लेने का तर्क मजबूत है।” पेनी मूर उस शोध-पत्र की सह-लेखिकाओं में से एक हैं जिन्होंने ओमिक्रोन के द्वारा टीके की सुरक्षा से बच निकलने के बारे में अध्ययन किया है। 

चार अलग-अलग अध्ययनों से आये सभी निष्कर्षों में सुझाया गया है कि कोविड-19 महामारी को गतिशील रखने वाले कोरोनावायरस, सार्स-सीओवी-2 के अन्य वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन एंटीबाडीज की शक्ति को कुंद कर सकता है। जब किसी व्यक्ति को टीका लगाया जाता है या पूर्व में उसके द्वारा कोरोनावायरस के संक्रमण का सामना कर रखा होता है तो उसके रक्त में बेअसर करने वाले एंटीबाडीज प्रवाहित होने लगते हैं। ये एंटीबाडीज, प्रतिरक्षा प्रणाली में प्रोटीन अणुओं का एक वर्ग होते हैं, जो वायरल कणों का मार्ग अवरुद्ध या उन्हें बेअसर करने में कारगर होते हैं। 

अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगशाला अध्ययनों में मोटे तौर पर दो प्रकार के दृष्टिकोणों का इस्तेमाल किया है: एक में संक्रमित लोगों से ही निकाले गये वायरस के अणुओं का उपयोग किया जाता है और दूसरा दृष्टिकोण छद्म वायरस अणुओं को उपयोग में लाता है, जो कि अन्य वायरसों (उदहारण के लिए एचआईवी वायरस) के अनुवांशिक रूप से संशोधित स्वरुप हैं, जिनमें कोरोनावायरस के समान ही स्पाइक प्रोटीन मौजूद होते हैं।

एक अध्ययन जिसका नेतृत्व अफ्रीकी स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान, डरबन, दक्षिण अफ्रीका के एलेक्स सिगल द्वारा किया गया, की सूचना के मुताबिक उन 12 लोगों से सीरम हासिल किया गया था, जिन्हें फाइज़र-बायोएनटेक टीकों के द्वारा प्रतिरक्षित किया गया था। जांच में टीका ओमिक्रोन वैरिएंट के मुकाबले 40 गुना कम प्रभावी पाया गया है। सीरम रक्त का वह भाग होता है जिसमें एंटीबाडीज पाई जाती हैं।

इस अध्ययन में भी वैसे ही नतीजे आये हैं जैसा कि अन्य दो अध्ययनों में पाया गया था। इनमें से एक फाइज़र-बायोएनटेक अध्ययन से है, जिसे 8 दिसंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये सूचित किया गया था और दूसरा जर्मनी के फ्रैंकफर्ट, गोएथे विश्वविद्यालय में जीवाणुविज्ञानी सांद्रा सीसेक के द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

चौथे अध्ययन का नेतृत्व स्वीडन के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के जीवाणुविज्ञानी डेनियल शेवर्ड और बेन मुरेल ने किया था। उन्होंने इसमें हिस्सा ले रहे दो अलग-अलग समूहों में ओमिक्रोन के खिलाफ एंटीबाडीज को बेअसर करने के स्तर में गिरावट को पाया था - इसमें से एक समूह में 17 स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे जो पूर्व में संक्रमित थे और दूसरे में 17 स्वीडन के रक्तदाता थे।

इन अध्ययनों के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए मुर्रेल ने कहा है कि अध्ययनों के निष्कर्ष एक जैसे हैं और बेअसर करने वाले एंटीबाडीज ओमिक्रोन को पूरी तरह से परास्त नहीं कर सकते है। उन्होंने आगे कहा- “इसका आकार अभी भी सवाल के लिए कुछ अधिक है।”

प्रारंभिक प्रयोगों के नतीजे सुझाते हैं कि ओमिक्रोन द्वारा टीके से बचाव पर काफी हद तक प्रभाव पड़ा है, हालाँकि प्रभाव किस मात्रा में पड़ा है इसका पता लगाना अभी शेष है।

ओमिक्रोन का नया गुप्त संस्करण:

द गार्जियन ने 7 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के द्वारा ओमिक्रोन के ‘छलावे वाले संस्करण’ के की पहचान कर लेने के बारे में सूचित किया है। इसमें पाया गया है कि जब सामान्य पीसीआर परीक्षण किया जाता है तो छलावा संस्करण को अन्य वैरिएंट से अलग नहीं किया जा सकता है।

दुनिया भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों के द्वारा आरटी-पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल प्रॉक्सी के तौर पर ओम्निक्रोन वैरिएंट की जल्द से जल्द पहचान करने के लिए किया जा रहा है। किसी भी वैरिएंट की आनुवंशिकी का वास्तविक विश्लेषण जीनोम सिक्वेंसिंग तकनीक के आधार पर ही किया जा सकता है, लेकिन इसमें अधिक समय लगता है। हालाँकि, आरटी-पीसीआर टेस्ट, को एक प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जरिये कुछ तेजी से पता लगाने का मार्ग बनता है।

ओमिक्रोन में 50 से अधिक म्यूटेशन हो चुके हैं (जीन में कुछ-कुछ बदलाव), जिनमें से कुछ में स्पाइक प्रोटीन में कुछ अमीनो एसिड का गायब होना भी शामिल है। अमीनो एसिड किसी भी प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक्स के तौर पर काम करते हैं और इन्हें प्रतीकात्मक तौर पर वर्णाक्षरों के द्वारा नामित किया जाता है। ये अमीनो एसिड विभिन्न प्रकार के संयोजनों में गुंथे होते हैं और एक प्रोटीन बनाते हैं। ओमिक्रोन में एक अमीनो एसिड गायब है; यह है एस-जीन लक्ष्य। इस लापता एस-जीन लक्ष्य का आरटी-पीसीआर के द्वरा पता लगाया जा सकता है और इसे प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। महत्वपूर्ण रूप से, अल्फा के पिछले वैरिएंट को भी इसी प्रॉक्सी तकनीक से पहचाना जा सका था।

लेकिन ‘छलावे वाले संस्करण’ में एस-जीन लक्ष्य गायब नहीं है और इस प्रकार, इसे आरटी-पीसीआर तकनीक से नहीं पकड़ा जा सकता है। हाल के दिनों में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में एकत्र किये गये नमूनों में छलावे वाले संस्करण को देखा गया है।

शोधकर्ताओं को इस छलावे वाले संस्करण के प्रसार के स्वरुप के बारे में अभी भी निर्णायक जानकारी नहीं हो सकी है; इसलिए इस बात को नहीं कहा जा सकता है कि यह सामान्य ओमिक्रोन वैरिएंट वाले स्वरुप (पैटर्न) का ही पालन करेगा या नहीं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

‘Stealth Version’ of Omicron Detected, Evasion of Vaccine Protection in Laboratory Experiments

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