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अवसाद के लक्षण वाले लोगों में मस्तिष्काघात का जोखिम ज़्यादा : अध्ययन

मुख्य शोधकर्ता रॉबर्ट पी मर्फी ने कहा, “अवसाद दुनियाभर में लोगों को प्रभावित करता है और इसका किसी व्यक्ति के जीवन पर बड़े पैमाने पर असर हो सकता है।”
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार

आयरलैंड स्थित गॉलवे विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन के अनुसार अवसाद के लक्षण वाले लोगों में मस्तिष्काघात (स्ट्रोक) का जोखिम ज्यादा होता है। 

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अवसाद के लक्षण वाले लोगों के स्ट्रोक के बाद ठीक होने और सामान्य जीवन में लौटने की संभावना काफी कम होती है।

मुख्य शोधकर्ता रॉबर्ट पी मर्फी ने कहा, “अवसाद दुनियाभर में लोगों को प्रभावित करता है और इसका किसी व्यक्ति के जीवन पर बड़े पैमाने पर असर हो सकता है।”

उन्होंने कहा, “हमारा अध्ययन प्रतिभागियों के लक्षणों, जीवनशैली और अवसाद रोधी दवाओं के इस्तेमाल सहित अन्य कारकों के आधार पर अवसाद और मस्तिष्काघात के जोखिम के बीच की कड़ी की एक विस्तृत तस्वीर मुहैया कराता है।”

मर्फी ने कहा, “हमारा अध्ययन दिखाता है कि अवसाद के लक्षण किसी व्यक्ति के मस्तिष्काघात से पीड़ित होने का जोखिम बढ़ाते हैं। यह जोखिम दुनियाभर में सभी उम्र वर्ग के लोगों में समान स्तर पर पाया गया है।”

अध्ययन के नतीजे ‘जर्नल न्यूरोलॉजी’ के ताजा अंक में प्रकाशित किए गए हैं। इस अध्ययन में यूरोप, एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, खाड़ी क्षेत्र और अफ्रीका के 32 देशों के 26,877 वयस्कों को शामिल किया गया।

कुल प्रतिभागियों में मस्तिष्काघात का शिकार हो चुके 18 प्रतिशत लोगों में अवसाद के लक्षण थे। वहीं, बिना अवसाद के लक्षण वाले ऐसी प्रतिभागियों की संख्या 14 फीसदी दर्ज की गई, जिन्हें मस्तिष्काघात नहीं हुआ था।

अध्ययन में यह भी देखा गया कि अवसाद के लक्षण वाले प्रतिभागियों में बिना लक्षण वाले लोगों के मुकाबले मस्तिष्काघात का शिकार होने का खतरा 46 फीसदी अधिक था। इसमें पाया गया कि जिन प्रतिभागियों में अवसाद के पांच या उससे ज्यादा लक्षण थे, उन्हें बिना लक्षण वाले लोगों की तुलना में मस्तिष्काघात होने का जोखिम 54 प्रतिशत अधिक था।

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