Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

जलवायु परिवर्तन के अध्यायों को हटाने के लिए टीचर फोरम ने की एनसीईआरटी की अलोचना, दोबारा जोड़ने की मांग

टीएसीसी ने एक बयान में कहा कि छात्रों को जलवायु संकट की जटिलता को समझने की ज़रूरत है अगर वे इसके साथ समझदारी से जुड़ते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं।
जलवायु परिवर्तन के अध्यायों को हटाने के लिए टीचर फोरम ने की एनसीईआरटी की अलोचना, दोबारा जोड़ने की मांग

नई दिल्ली: बड़े पैमाने पर आक्रोश के बाद छात्रों के पाठ्यक्रम से जलवायु और मौसम परिवर्तन से जुड़े महत्वपूर्ण अध्यायों को हटाने के लिए एनसीईआरटी की आलोचना करने के लिए शिक्षक फोरम ने भी कदम उठाया है और इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और अध्यायों को फिर से जोड़ने का आग्रह किया है।

हाल ही में जारी एक बयान में, टीचर्स अगेंस्ट क्लाइमेट क्राइसिस (टीएसीसी) ने कहा कि कक्षा 6 से 12 वीं के पाठ्यक्रम में ग्रीनहाउस प्रभाव, मौसम, जलवायु और लोकप्रिय पर्यावरण आंदोलनों पर अध्याय महत्वपूर्ण थे और इन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए था।

टीएसीसी, दिल्ली और उसके आस-पास स्थित कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों का एक गैर-वित्त पोषित, बिना पार्टी वाला संगठन है। इस संगठन ने कहा कि उनका मानना है कि जलवायु संकट "हमारे समय की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक बन गया है और विभिन्न स्तरों पर विशेष रुप से युवाओं द्वारा इस संकट से निपटने के लिए व्यवस्थित परिवर्तन की आवश्यकता है।”

यह याद किया जा सकता है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने COVID -19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के कारण "सामग्री भार को कम करने" के लिए कक्षा 6 से 12 वीं के पाठ्यक्रम में कई बदलाव किए हैं। अधिकारियों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस शैक्षणिक सत्र के लिए लगभग 30% पाठ्यक्रम कम कर दिए गए हैं।

हालांकि टीएसीसी ने स्वीकार किया कि COVID-19 महामारी ने "नियमित पढाई करने के कार्यक्रम में व्यवधान" पैदा किया था और एनसीईआरटी का उद्देश्य अन्य सामग्री की नकल करने वाली सामग्री को हटाकर छात्रों के कार्यभार को कम करना था या जिसे वह "वर्तमान संदर्भ में अप्रासंगिक" मानता था। इसने जोर देकर कहा कि भारतीय मानसून और जलवायु परिवर्तन विज्ञान जैसे अन्य विषयों पर हटाए गए अध्याय पढ़ाई के लिए आवश्यक थे।

हटाए गए अध्यायों में कक्षा 11 के भूगोल पाठ्यक्रम से ग्रीनहाउस प्रभाव पर एक संपूर्ण अध्याय, कक्षा 7 के पाठ्यक्रम से मौसम, जलवायु और पानी पर एक अध्याय और कक्षा 9 के पाठ्यक्रम से मानसून के बारे में जानकारी शामिल है।

इस फोरम ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि चिपको आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन जैसे लोकप्रिय जन आंदोलनों के बारे में जानकारी "लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन" पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में "लोकतांत्रिक राजनीति" पाठ्यक्रम से हटा दी गई थी।

टीएसीसी ने कहा, "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि पूरे भारत में सीनियर स्कूल के छात्रों को इस तरह की अद्यतन जानकारी के सार को सुलभ और समझने में आसान तरीके से बताया जाए।"

फोरम ने कहा, छात्रों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण, मानसून पैटर्न और बदलती मौसम प्रणाली से कैसे परस्पर क्रिया करते हैं। उसका मानना है कि छात्रों को प्रासंगिक, तर्कसंगत, सटीक और नई जानकारी प्रदान की जानी चाहिए।

टीएसीसी ने कहा कि युवाओं के कार्य और उनके हस्तक्षेप जलवायु संकट को समझने और उससे निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

टीएसीसी के बयान में कहा गया कि "इस कार्रवाई को जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता, इसके कारणों और इसकी विशाल पहुंच के व्यवस्थित ज्ञान पर आधारित होने की आवश्यकता है। छात्रों को जलवायु संकट की जटिलता को समझने की जरूरत है अगर वे इसके साथ समझदारी से जुड़ते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं। हाल के वर्षों में यह जुड़ाव आम तौर पर कक्षा में शुरू हुआ है।"

टीएसीसी ने कहा कि उन्होंने एनसीईआरटी से उन अध्यायों को पाठ्यक्रम से हटाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था और मांग की थी कि उन्हें बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि जलवायु संकट के विभिन्न पहलुओं को सभी सीनियर स्कूल के छात्रों को कई भाषाओं और विषयों में पढ़ाया जाए क्योंकि यह कई विषयों के साथ जुड़ा है।

(लेखक इंटर्न हैं)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest