अग्निपथ के ख़िलाफ़ दिल्ली में भी गर्म रहा माहौल; कांग्रेस ने रोकी ट्रेन, 24 घंटे बाद रिहा हुए वाम कार्यकर्ता
देशभर में अग्निपथ के विरोध में आज भारत बंद का मिला जुला असर दिखा। वहीं दिल्ली की सड़कें भी विरोध प्रदर्शन के कारण प्रभावित रहीं। एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी का सत्याग्रह जंतर-मंतर पर जारी रहा, वहीं दूसरी तरफ उसके छात्र इकाई एनएसयूआई ने सेंट्रल दिल्ली की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही वाम छात्र युवा संगठनों ने भी जंतर मंतर पर प्रदर्शन का आह्वान किया था, परन्तु दिल्ली पुलिस ने उन्हें प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी। इस दौरान संसद मार्ग और जंतर-मंतर पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। हालांकि आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई सीवाईएसएस ने अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ जंतर मंतर के पास अपना विरोध जताया।
हालंकि इस बीच रविवार को प्रदर्शन के कारण हिरासत में लिए गए स्टूडेंट फेडरशन ऑफ़ इण्डिया और भारत की जनवादी नैजवान सभा (DYFI) के कार्यकर्ताओं की रिहाई मंदिर मार्ग थाने से हुई, जहां मजिस्ट्रेट ने इन पर लगे मुकदमे को खारिज़ किया और सभी को 24 घंटे से अधिक हवालात में रहने के बाद रिहा कर दिया गया। हालांकि, आठ महिला कार्यकर्ता और राज्यसभा सांसद ए ए रहीम को कल देर रात लगभग दस घंटे की हिरासत के बाद छोड़ दिया गया था।
मंदिर मार्ग थाने के बाहर आज सुबह से ही कल रात में रिहा किए गए महिला कार्यकर्ता जिसमें जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष भी शमिल थीं, और उनके साथ ही DYFI के राष्ट्रिय अध्यक्ष ए ए रहीम भी अपने अन्य साथियों के साथ हवालात में बंद अपने कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए डटे हुए थे।
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"पुलिस ने नागरिक होने के हमारे विशेषाधिकार का उल्लंघन किया"
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने DYFI और SFI के कर्यकर्ताओं को कल यानी रविवार को दिल्ली के संसद मार्ग पर प्रदर्शन के बाद हिरासत में ले लिया था। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 107 और 151 के तहत हिरासत में लिया था। हालांकि, विशेष कार्यपालक दंडाधिकारी बाला कौशिक ने अपने आदेश में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के आरोप को हटा दिया। सभी को बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी इस हिरासत को अवैध बताया। हालांकि, ये मुद्दा अभी यहीं खत्म नहीं हुआ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद ए ए रहीम ने मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के बाहर न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी आरोप के दस घंटे की हिरासत में रखा। इस दौरान उन्हें तीन पुलिस थानों के बीच दौड़ाया गया था। उन्होंने कहा, "मैं एक नागरिक के रूप में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने आया था। जब दिल्ली पुलिस ने हमें हिरासत में लिया, तो वे मेरे बारे में जानते थे कि मैं एक राज्यसभा का सदस्य हूँ। फिर भी उन्होंने मुझे अवैध हिरासत में रखा। मैं इस मुद्दे को उठाने के लिए राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू से अलग से मिलूंगा और संसद की विशेषाधिकार समिति के पास भी जाऊंगा और इसके ख़िलाफ़ कोर्ट भी जाऊंगा क्योंकि उन्होंने एक नागरिक होने के मेरे विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है।”
रिहाई के बाद, प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें विरोध से पहले मौखिक चेतावनी दी गई थी। एसएफआई कार्यकर्ता और जेएनयू के छात्र हरेंद्र शर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पूरे प्रकरण ने यह दिखा कि सरकार न तो प्रदर्शनकारियों की आवाज़ सुनना चाहती है और न ही कोई विरोध चाहती है।
उन्होंने बताया कि, ''मजिस्ट्रेट ने कहा कि हमें इजाजत लेनी चाहिए थी। लेकिन दिल्ली पुलिस अनुमति देती कहां है? हमने विरोध के बारे में संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचित किया था, लेकिन उसने अनुमति देने से इनकार कर दिया। यदि वे हमें अनुमति देने से इनकार करते हैं, तो क्या हमें विरोध नहीं करना चाहिए और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दूसरा, हमारी हिरासत के दौरान, हमें अपनी हिरासत की स्थिति के बारे में लगातार अंधेरे में रखा गया। पहले उन्होंने कहा कि हमें वसंत कुंज में रखा जाएगा फिर अन्य जगहों पर। आखिरकार हमें मंदिर मार्ग थाने लाया गया। रात के अंधेरे में हमें अपने फोन और सामान जमा करने के लिए कहा गया। फिर हमें बंद कर दिया गया। हवालात भरी हुई थी इसलिए उन्होंने हमें बारमदे में सोने को कहा। इस दौरान पुलिसकर्मी गाली-गलौज करते रहे। यह मूल रूप से हमारे शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए एक मानसिक प्रताड़ना की कवायद थी।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी प्रियांश मौर्य ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उन्हें 24 घंटे की हिरासत के दौरान खाना भी नहीं दिया गया था। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "जब हमने खाने के बारे में पूछा, तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि खाना देने के लिए कोई विशेष आदेश नहीं है।"
हिरासत में रहे मयूख विश्वास जो छात्र संगठन SFI के राष्ट्रिय महसचिव भी हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि भाजपा सरकारें अग्निपथ के खिलाफ़ असहमति की आवाज़ों को दबाने की होड़ में हैं। उन्होंने कहा, "हमारे एक दोस्त को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह असम में एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहा था। उत्तर प्रदेश में हमारे साथियों को सहारनपुर में भी गिरफ्तार किया गया है। बिहार में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई है। लेकिन हम फिर से सड़कों पर उतरेंगे जब तक कि प्रदर्शनकारी छात्रों की मांगें नहीं मान ली जाती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज की छात्रा अहाना सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस का असंवेदनशील व्यवहार ऐसा था कि जबरदस्ती हिरासत में लेने के दौरान मेरे कपड़े फाड़ दिए गए। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने कहा, "जब मेरे कपड़े फट गए, तब भी पुलिसकर्मी कहती रहीं कि कपडे फट गए हैं, लेकिन मीडिया में तो फिर भी नहीं आया। इस दौरान वो एक राक्षसी मुस्कान मुस्करा रहे। इससे ज्यादा अत्याचारी हमने न देखा और न सुना था। पहले भी पुलिस हिरासत में लेते समय हमारी पिटाई हुई है, लेकिन ऐसा दुर्व्यवहार नहीं होता था। हमें चोट के निशान दिखाई दे रहे थे, लेकिन मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट में उनकी पहचान शून्य थी।
आगे उन्होंने कहा कि पुलिस का काम लोगों की रक्षा करना है, लेकिन कल (रविवार) को वो एक भक्षक लग रही थी।
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने दोपहर में मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के बाहर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मीडियाकर्मियों से कहा कि पुलिस ने हिरासत की स्थिति के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी सूचित नहीं किया था। छात्रों को एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया गया था।
उन्होंने कहा, "पहली बात हम यह कहना चाहते हैं कि हमारे संगठनों, एसएफआई और डीवाईएफआई की सरकार की जनविरोधी नीतियों से लड़ने की ऐतिहासिक विरासत है और हम अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे थे क्योंकि यह सशस्त्र बलों के निजीकरण और अनुबंध को प्रोत्साहित करती है। अगर सरकार को लगता है कि वह हमें झुका सकती है तो ये उसका भ्रम है , हम फिर से विरोध करेंगे। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा कल (रविवार) की बर्बरता ने हाल के दिनों में दमन का एक नया अध्याय लिखा है। हमारी महिला साथियों को पीटा गया, घसीटा गया और पेट में लात मारी गयी। इतना ही नहीं, विरोध में हमारे साथ शामिल हुए राज्यसभा सांसद ए ए रहीम को 10 घंटे तक अवैध हिरासत में रखा गया और तीन अलग-अलग स्टेशनों के बीच दौड़ाया गया। यहां तक कि विरोध के लाइव प्रसारण के दौरान पत्रकारों पर भी हमला किया गया।
अग्निपथ पर टिप्पणी करते हुए, घोष ने कहा कि अग्निपथ योजना का रोजगार सृजन से कोई लेना-देना नहीं है और यह सशस्त्र बलों के अनुबंध को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा, 'इस योजना का रोजगार सृजन से कोई लेना-देना नहीं है। इसका राष्ट्र निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार स्थायी नौकरियों को दे । हम पूछना चाहते हैं कि रेलवे, सेना या किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पदों को क्यों नहीं भरा जा रहा है? योजना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय कह रहे हैं कि भाजपा कार्यालय में सुरक्षा गार्डों की भर्ती में बल से सेवानिवृत्त होने वाले जवानों को वरीयता दी जाएगी। अगर सरकार नौकरी देने में दिलचस्पी रखती है, तो जवानों के जीवन को सुरक्षित करने वाले स्थायी रोजगार क्यों न दे? आप उन्हें पेंशन क्यों नहीं दे रहे हैं? विभिन्न राज्यों में विरोध प्रदर्शनों में अब इस नीति के खिलाफ व्यापक गुस्सा क्यों है? सिर्फ इसलिए कि सरकार और उसके अधिकारी कह रहे हैं कि रोजगार पैदा करना उनका काम नहीं है। कृपया इस विनाशकारी नीति को वापस लें। यह ही राष्ट्रहित में है!"
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पुलिस ने सभी आरोपों से किया इनकार
कार्यकर्ताओं के हिरासत में लिए जाने और पुलिस कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए उप पुलिस आयुक्त नई दिल्ली, अमृता गुगुलोथ ने न्यूज़क्लिक को बताया, “महिला छात्राओं को रात में रिहा कर दिया गया था। जहां तक सांसद ए ए रहीम की नजरबंदी का सवाल है तो हमें पहले उनके सांसद होने की जानकारी नहीं थी। वह विरोध करने के लिए छात्रों को अपने साथ लेकर आए थे और जब पुलिस ने उन्हें रोका तब भी वो नहीं रुके और चलते रहे। इसलिए हमने सभी को हिरासत में लिया। हमें जैसे ही जानकारी हुई कि वो सांसद हैं, हमने तुरंत रिहा कर दिया। लेकिन वो अपनी मर्जी से अंदर रहे। उन्होंने कहा कि वो अपने साथियों को छोड़कर नहीं जाएंगे।
हमने उनसे महिला कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी पर पूछा तो उन्होंने कहा हम जानते हैं कैसे हिरासत में लिया जाता है। ये कोई नया आरोप नहीं है, हर बार हिरासत के बाद कार्यकर्ताओं द्वारा ऐसे आरोप लगाए जाते हैं।
‘अग्निपथ’ का विरोध कर रहे युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ट्रेन रोकी, कई हिरासत में लिए गए
कांग्रेस की युवा इकाई भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सेना में भर्ती की नयी ‘‘अग्निपथ योजना’’ के विरोध में सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में कनॉट प्लेस के निकट शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन को रोक दिया। हालंकि पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने रेल पटरी को खाली कराया और करीब आधे घंटे बाद ट्रेन की आवाजाही फिर से शुरू हुई।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 16 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। इससे पूर्व पुलिस कर्मियों ने उन्हें रेल पटरी और स्टेशन से हटाने की कोशिश भी की।
युवा कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली के शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन पर युवा कांग्रेस के साथियों ने अग्निपथ योजना के खिलाफ रोकी ट्रेन। अग्निपथ स्कीम के खिलाफ देशभर के युवाओं ने भारत बंद का आह्वान किया है। हम देश के युवाओं के साथ हैं। सरकार मनमानी करते हुए कोई भी फैसला नहीं ले सकती।’’
युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी. वी. ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार को अग्निपथ योजना को वापस लेने की जरूरत है। युवा कांग्रेस इस देश में बेरोजगार युवाओं के लिए लड़ेगी जो देश की सेवा करना चाहते हैं।’’ युवा कांग्रेस सदस्यों ने पास स्थित कनॉट प्लेस में भी विरोध प्रदर्शन किया।
देश के कई हिस्सों में युवा विवादास्पद रक्षा भर्ती योजना का विरोध कर रहे हैं। विरोध प्रदर्श की वजह से ही देश में सैकड़ों ट्रेन रद्द कर दी गई हैं। जबकि इसका सबसे अधिक असर बिहार में दिख रहा है जहाँ पिछले कई दिनों से इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। 'अग्निपथ’ योजना के खिलाफ गुस्सा का सरकार को भी एहसास है। इसलिए ही सरकार ने इस योजना में कई बदलाव किए हैं। सरकार ने शनिवार को पैरामिल्ट्री फ़ोर्स में इन सेवानिवृत अग्निवीरों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया है। देशभर में तेज़ होते प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए यह बताया कि मंत्रालय ने CAPFs और असम राइफल्स में होने वाली भर्तियों में अग्निपथ योजना के अंतर्गत 4 साल पूरा करने वाले अग्निवीरों के लिए 10% रिक्तियों को आरक्षित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मंत्रालय ने आगे कहा कि उन्होंने CAPFs और असम राइफल्स में भर्ती के लिए अग्निवीरों को निर्धारित अधिकतम प्रवेश आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट देने का निर्णय किया है और अग्निपथ योजना के पहले बैच के लिए यह छूट 5 वर्ष होगी। हालंकि ये सभी सरकारी वादे युवाओं के गुस्से को कम करने में नकाम ही रहे हैं। उनका कहना है कि ‘अग्निपथ’ योजना की वापसी से कम उन्हें कुछ भी मंज़ूर नहीं है।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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