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बंटवारे का दर्द: जो हो चुका या जो किया जा रहा है!

सच कहें तो आज सन् 47 के बंटवारे से भी ज़्यादा सन् 92 में बाबरी मस्जिद गिराकर पैदा किए गए बंटवारे का दर्द गहरा है। फिर 2002 गुजरात दंगों की विभीषिका कौन भूल सकता है। उसके बाद भी 2014 से तो लगातार हिंदू-मुस्लिम के नाम पर तेज़ होती जा रही विभाजन की राजनीति देश को बहुत नुकसान पहुंचा रही है। यह दुख, ये दर्द कैसे दूर होगा मोदी जी!
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि “बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।" लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यह नहीं बताया कि जो बंटवारा आज हो रहा है या किया जा रहा है, उसका दर्द कैसे दूर होगा। आज जो उनकी राजनीति हिंदू-मुस्लिम में भेद कर रही है उस खाई को कैसे पाटा जाएगा। कभी गाय के नाम पर और कभी राम के नाम पर भीड़ हिंसा या मॉब लिंचिंग के शिकार लोगों के संघर्ष और बलिदान को कैसे याद किया जाएगा!    

सच कहें तो आज सन् 47 के बंटवारे से भी ज़्यादा सन् 92 में बाबरी मस्जिद गिराकर पैदा किए गए बंटवारे का दर्द गहरा है। फिर 2002 गुजरात दंगों की विभीषिका कौन भूल सकता है। उसके बाद भी 2014 से तो लगातार हिंदू-मुस्लिम के नाम पर तेज़ होती जा रही विभाजन की राजनीति देश को बहुत नुकसान पहुंचा रही है। यह दुख, ये दर्द कैसे दूर होगा मोदी जी!

और सच बताइए- ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’, विभाजन की विभीषिका को याद करने और सबक़ लेने का दिन रहेगा या पाकिस्तान के बहाने एक बार फिर भारत के मुसलमानों को कोसने और निशाना बनाने का दिन…!

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