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गोवा सरकार के 4 आयरन ऑर ब्लॉकों की नीलामी के बाद अवैध खनन का खतरा बढ़ा  

कम से कम दो कंपनियों ने अपने पहले के स्वामित्व वाले अपने आयरन ऑर ब्लॉकों को बरकरार रखा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इन ब्लॉकों के पट्टों के नवीनीकरण को रद्द कर दिया था।
Illegal Mining

नई दिल्ली: अरबपति व्यवसायी अनिल अग्रवाल की लंदन स्थित मुख्यालय वाली कंपनी वेदांता ग्रुप, गोवा में लगे अवैध खनन के आरोपों के बावजूद, एक ब्लॉक से आयरन ऑर निकालने को तैयार है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले इसके संचालन को निलंबित कर दिया था। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि वेदांता ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा चार आयरन ऑर ब्लॉकों की गई नीलामी में से एक, यानी बिचोलिम आयरन ऑर ब्लॉक को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है।  

फरवरी 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता समूह की बिचोलिम आयरन ऑर परियोजना सहित 88 खनन पट्टों को नवीनीकृत करने के गोवा सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। राज्य सरकार ने नए पट्टे जारी करने के बजाय उन पट्टों का नवीनीकरण किया है जहां खनन गतिविधियों को सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध करार दिया था।

वास्तव में, अप्रैल 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि वर्ष 2007 के बाद से गोवा में चल रही सभी खनन गतिविधियों को अवैध माना जाएगा। गोवा में सत्ता में फिर से चुने जाने के लगभग आठ महीने बाद, भाजपा के नेतृत्व वाली प्रमोद सावंत सरकार ने चार आयरन ऑर ब्लॉकों की नीलामी के लिए एक निविदा जारी की थी, जिसमें वेदांता ने बिचोलिम ब्लॉक जीता है।

यह पहला उदाहरण है कि तटीय राज्य में सरकार द्वारा खनिज ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है, लेकिन खनन पट्टे देने के लिए कोई नीति तैयार किए बिना यह प्रक्रिया शुरू की गई है।

“जिस तरह से खनन गतिविधियों को फिर से शुरू किया जा रहा है, उसमें पारदर्शिता की भारी कमी है। जनता से राय तक नहीं ली गई है। हालांकि गोवा सरकार के पास सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित, खनन पट्टों के अनुदान पर कोई नीति भी नहीं है, जिसे 2016 में वापस ले लिया गया था। कोई नीति न होने की वजह से और पिछले साल गोवा खनिज विकास निगम के गठन के बावजूद, राज्य सरकार ने आयरन ऑर ब्लॉकों की नीलामी कर दी," उक्त बात पर्यावरण एनजीओ गोवा फाउंडेशन के राहुल बसु ने बताई, जिनकी याचिकाओं पर गोवा में सभी खनन को अवैध करार दिया गया था और राज्य से नीति के अनुसार नए पट्टे जारी करने का आदेश दिया था। 

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार को कम से कम 313 स्थानों पर राज्य भर में पड़े आयरन ऑर के भंडार को संभालने के तंत्र पर निर्णय लेने की शक्तियां दी थी। इन ढेरों में विशाल 733 मिलियन टन निम्न-श्रेणी का आयरन ऑर शामिल है।

बासु के अनुसार, “गोवा खनिज नीति 2013 में निर्देश गया दिया था कि पहले निकाले गए आयरन ऑर, जो राज्य में अवैध खनन बंद होने के बाद से पड़ा हुआ है, को नए पट्टे देने से पहले साफ किया जाना था। राज्य सरकार ने आयरन ऑर के सभी ढेर को साफ करने से पहले ही नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है।” 

इस बीच, एक अन्य निजी फर्म, राजाराम एनएस बांदेकर एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने मोंटे डी सिरिगाओ खानों के लिए सफलतापूर्वक बोली लगाकर अपने खनन पट्टे को "बरकरार रखा" है, जिसे उसने पिछले सप्ताह ई-नीलामी के तीसरे दौर में जीता था।

इससे पहले, 88 खनन पट्टों को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया गया था क्योंकि अप्रैल 2014 के शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुसार नए लाइसेंस जारी करने के बजाय, गोवा सरकार ने वेदांता की बिचोलिम परियोजना सहित पुराने खनन ब्लॉकों के पट्टों का नवीनीकरण किया था। सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने फरवरी 2018 के फैसले में गोवा की खनन गतिविधियों के बारे में निम्नलिखित टिप्पणी की थी जिसमें उसने 88 पट्टों के नवीनीकरण को रद्द कर दिया था:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "प्राथमिक लाभार्थी, निश्चित रूप से, खनन पट्टा धारक, एक निजी संस्था थी, और कीमत का भुगतान औसत गोवावासी द्वारा किया गया था, जिसे प्रदूषित वातावरण का सामना करना पड़ा और राज्य की पारिस्थितिकी को नुकसान हुआ।" 

बहरहाल, वेदांता ने फरवरी 2018 के आदेश के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की थी जिसे पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। समीक्षा याचिका की अस्वीकृति के कुछ सप्ताह बाद, राज्य सरकार ने राज्य द्वारा संचालित खनिज विकास निगम के गठन के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों के सदन से बाहर जाने के बीच, गोवा विधानसभा में एक विधेयक पारित किया था।

सरकार ने दावा किया था कि नया खनिज विकास निगम राज्य में एक व्यवस्थित तरीके से खनन को फिर से शुरू करने में सक्षम होगा। लेकिन कार्यकर्ताओं और विपक्षी राजनीतिक दलों ने अवैध खनन के आरोपियों को मैदान से बाहर कैसे रखा जाए, इस पर विधेयक में चुप्पी के लिए इस की आलोचना की थी। जीएमडीसी, जो गोवा में पिछली भाजपा सरकार की सत्ता के अंत में बनाई गई थी, को कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के आरोपियों को ठेके देने के लिए  पिछले दरवाजे खोलने के रूप में आरोप लगाया था।

30 सितंबर, 2022 को गोवा सरकार ने राज्य में चार आयरन ऑर ब्लॉकों की नीलामी के लिए बोली आमंत्रित करने के लिए निविदा जारी की थी। बिचोलिम के अलावा, सिरिगाओ-मायेम, मोंटे डी सिरिगाओ और कलाय आयरन ऑर ब्लॉक के लिए भी बोलियां आमंत्रित की गई थीं। बिचोलिम ब्लॉक 8,49,23,950 टन के कुल उपलब्ध खनिज संसाधनों के साथ लगभग 478.50 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।

सालगांवकर शिपिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने एक और आयरन ऑर ब्लॉक के लिए सफलतापूर्वक बोली लगाई गई थी। बोली केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एमएसटीसी लिमिटेड के माध्यम से आयोजित की जा रही है।

बोली दस्तावेजों के अनुसार किसी भी कंपनी को खनन शुरू करने या नीलामी से पहले, पर्यावरण मंजूरी, वन मंजूरी, वन्यजीव मंजूरी और भूजल निकासी सहित प्रत्येक खनन ब्लॉक के लिए 16 मंजूरी लेना जरूरी है। लेकिन सफल बोलीदाता तुरंत खनन कार्य शुरू कर सकते हैं यदि उनकी ये मंजूरी अभी भी वैध हैं। जाहिर तौर पर, अधिकांश खनन पट्टों की पर्यावरणीय मंजूरी, जिसका नवीनीकरण गोवा सरकार द्वारा 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था, अभी भी वैध हैं।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 1 अक्टूबर, 2022 को समाचार एजेंसी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक साक्षात्कार के दौरान प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को बताया कि 86 खनन पट्टों की पर्यावरण मंजूरी जारी है।

पीटीआई ने सीएम के हवाले से बताया कि, “नवंबर 2023 तक आयरन ऑर की ताजा निकासी शुरू हो जाएगी। 86 खनन पट्टों के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) मिली हुई है और वे तुरंत ओर निकालना शुरू कर सकते हैं। लाइव ईसी का इस्तेमाल कंपनियां अगले दो वर्षों के लिए नीलामी जीतने के बाद कर सकती हैं और फिर उन्हें खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम के अनुसार नए ब्लॉक के लिए आवेदन करना होगा।“ 

यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कितनी स्वीकृतियां अभी भी बिचोलिम खनन परियोजना के लिए वैध हैं। बिचोलिम आयरन ऑर परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी पहली बार 17 नवंबर, 2005 को केंद्र सरकार द्वारा दी गई थी। मंजूरी की वैधता बाद में सितंबर 2007 में बढ़ा दी गई थी, जब आयरन ऑर ब्लॉक गोवा स्थित डेम्पो माइनिंग कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का था। 2009 में, डेम्पो समूह की सभी खनन संपत्तियों को वेदांता समूह की सहायक कंपनी सेसा गोवा लिमिटेड ने 1,750 करोड़ रुपये में अधिग्रहित कर लिया था।

वेदांता को एक प्रश्नावली ईमेल की गई थी, जिसमें अन्य प्रश्नों के साथ-साथ यह पूछा गया था कि कितनी मंजूरी अभी भी वैध हैं और किस नई तारीख में कंपनी बिचोलिम आयरन ऑर ब्लॉक से खनन फिर से शुरू करने की योजना बना रही है। कंपनी से यह भी पूछा गया था कि खनन फिर से शुरू होने पर पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उसके द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं, यदि कोई हो तो उसकी क्या योजना बनाई जा रही है। वेदांता के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी क्योंकि यह बहुत ही शुरुआती चरण में है।

संयोग से, वेदांता सहायक सेसा गोवा, जिसके पास खनन गतिविधियों को रोकने के लिए बिचोलिम आयरन ऑर ब्लॉक का स्वामित्व था, न्यायमूर्ति एमबी शाह जांच आयोग द्वारा की गई जांच के बाद तटीय राज्य में सबसे बड़े अवैध खननकर्ता के रूप में उभरा था। 2007 और 2012 के बीच पांच साल की अवधि में आयरन ऑर के अवैध खनन से कंपनी द्वारा की गई आय के संदर्भ में, सेसा गोवा से बरामद होने वाली राशि 20,924 करोड़ रुपये आंकी गई थी।

विशेष रूप से, खनन कार्य फिर से शुरू होने के लिए तैयार हैं, भले ही इससे गोवा सरकार के अवैध खनन के कारण राज्य में बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक को नुकसान होना तय है।  डिवीजन बेंच ने अपने फरवरी 2018 के आदेश में कहा था कि:

"हमारे प्राकृतिक संसाधनों का क्रूर और बड़े पैमाने पर शोषण हमारे आयरन ऑर खनन क्षेत्र की पहचान है - पर्यावरण के लिए चिंता में कमी और खानों के आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण को नुकसान है। खनन पट्टा धारकों का एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना लगता है (चाहे कैसे भी) और रवैया यह लगता है कि यदि कानून के शासन को ठंडे बस्ते में डालने की जरूरत है, तो ऐसा भी किया जाएगा।

गोवा सरकार को अभी भी अवैध आयरन ऑर खनिकों से 35,000 करोड़ रुपये की वसूली करनी बाकी है, यह आंकड़ा एमबी शाह जांच आयोग ने राज्य के खजाने को होने वाले नुकसान के रूप में निर्धारित किया था।

एमबी शाह जांच आयोग के आधार पर, शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने अप्रैल 2014 में निम्न फैसला सुनाया था:

"परिणामस्वरूप, हम घोषणा करते हैं कि: (i) गोवा में पट्टेदारों के डीम्ड खनन पट्टे 22.11.1987 को समाप्त हो गए थे और गोवा में डीम्ड खनन पट्टों की अधिकतम 20 वर्ष की नवीनीकरण अवधि 22.11.2007 को समाप्त हो गई थी और परिणामस्वरूप खनन के 22.11.2007 के बाद के पट्टे अवैध थे।”

रिपोर्टों के अनुसार, बिचोलिम आयरन ऑर ब्लॉक को हासिल करने के लिए नीलामी प्रक्रिया में बोली लगाने वाले कम से कम पांच कॉर्पोरेट समूहों लाइन में थे। हालांकि, वेदांता समूह जिसने राजस्व का 63.55 प्रतिशत सरकार के साथ साझा करने का वादा किया है, बिचोलिम ब्लॉक की सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी है।

लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

मूलतः अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

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