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तिरछी नज़र: अ गवर्नमेंट दैट लीक्स

सरकार जी ने फुल प्रूफ योजना तैयार की है। लीक की फुल प्रूफ योजना। दस वर्ष में सत्तर पेपर लीक हुए। उनहत्तर तक कोई बड़ा हंगामा हुआ? नहीं हुआ। 
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तीकात्मक तस्वीर। कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य के X हैंडल से साभार

सरकार जी तीसरा टर्म शुरू कर चुके हैं। सरकार जी का हरेक कार्यकाल किसी न किसी विशेष कार्य के लिए जाना जाता रहा है। नेहरू जी ने एम्स और आईआईटी खोले, भाखड़ा नांगल बनवाया। इंदिरा गांधी ने पोखरण में पहला परमाणु विस्फोट किया, बांग्लादेश का युद्ध जीता और आपातकाल लगाया। राजीव गांधी एक ओर कंप्यूटर क्रांति के जनक रहे तो दूसरी ओर राम जन्मभूमि का ताले का खुलना और शाहबानो का केस जैसे काम भी उन्हीं के कार्यकाल में हुए। नरसिम्हा राव जी और मनमोहन की जोड़ी ने देश को संसार के लिए खोला। अटल जी ने भारत पाक मैत्री की शुरुआत करनी चाही। ऐसे ही यह वाले सरकार जी अन्य चीजों के साथ एक विशेष चीज के लिए जाने जायेंगे। और वह चीज है लीक, 'अ गवर्नमेंट दैट लीक्स'।


अब देखो, सरकार जी ने फुल प्रूफ योजना तैयार की है। लीक की फुल प्रूफ योजना। दस वर्ष में सत्तर पेपर लीक हुए। उनहत्तर तक कोई बड़ा हंगामा हुआ? नहीं हुआ। यह सरकार जी की फुल प्रूफ योजना का ही परिणाम था कि उनहत्तर पेपर लीक बिना हंगामे के ही गुजर गए। सत्तरवें में भी हंगामा इस लिए हो रहा है क्योंकि सरकार जी की चार सौ पार की योजना परवान न चढ़ सकी। अगर चार सौ पार की योजना सफल हो जाती तो नीट की पेपर लीक योजना भी सफल हो जाती। सारी गलती जनता की ही है। चार सौ पार की योजना फेल जो कर दी।

सरकार जी के राज में लीक की यह योजना केवल पेपर लीक तक ही सीमित नहीं है। यह और जगह भी फैल चुकी है। सरकार जी के काल में भवन निर्माण में भी इतनी उन्नति हुई है कि जब चाहो, वहां भी लीक हो जाए। अब देखो, राम मंदिर बना है, भव्य बना है। सरकार जी ने बनवाया है। बताया तो यही जा रहा है कि जो राम को लाये हैं और मंदिर वहीं बनवाये हैं। देखिए, लोग मकान की छत पड़वाते हैं तो ध्यान रखते हैं कि लीक न करे। तीन तीन दिन पानी भरवा कर रखते हैं कि कहीं लीक तो नहीं कर रही। वाटर प्रूफिंग करवाते हैं। पर सरकार जी ने विशेष ध्यान रखा कि मंदिर की छत लीक जरूर करे। जैसे राम लला का सूर्य अभिषेक हो उसी तरह वर्षा ऋतु में राम लला का वर्षा स्नान भी हो। इसके लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया। अब लोगबाग इस पर भी कार्टून बना रहे हैं, व्यंग्य लिख रहे हैं। बहुत ही गलत बात है।

सरकार जी ने यह लीक स्कीम पेपर लीक और राम मंदिर की छत लीक होने तक ही सीमित नहीं रखी है। यह अयोध्या की सड़कों पर भी है। राम पथ भी लीक तकनीक से बनाया गया है। पहले पानी सड़क के अंदर लीक करता है। फिर नीचे की ज़मीन को खोखला करता है और सड़क धंस जाती है। यह है सड़क लीक स्कीम की विधि जो अयोध्या के राम पथ पर और अन्य एक्सप्रेस वे पर अपनाई जा रही है। अयोध्या के राम पथ पर स्कीम जरा ज्यादा ही कामयाब रही जो पहली बारिश में ही सफल हो गई। अब राम पथ वाली इसी आधुनिक लीक स्कीम से देश के सारे 'वे' बनाये जायेंगे जिससे वे पहली ही बारिश में धस जाएं।

अब सरकार जी ऐसे तो नहीं हैं कि सिर्फ अयोध्या का ही विकास करें और बाकी जगह रह जाएं। सरकार जी तो पूरे देश के सरकार जी हैं। सारे देश का विकास करेंगे। अपनी इस लीक स्कीम को सारे देश में लागू करेंगे। कुछ जगह कर चुके हैं, शेष जगह करना है। अब हमारी दिल्ली की ही बात लें, पहले दिल्ली में बारिश के आगमन का पता मिंटो (अब शिवाजी) ब्रिज के नीचे डीटीसी की बस फंसने की फोटो आने से चलता था। पर अब जब से प्रगति टनल बनी है, सरकार जी ने उसका उद्घाटन किया है, तब से दिल्ली में वर्षा ऋतु के आगमन की निशानी जलमग्न प्रगति टनल बन चुकी है। सभी अख़बार और न्यूज़ चेनल प्रगति टनल की ही जलमग्न फोटो दिखाते हैं। और खासियत यह है कि प्रगति टनल में पानी कहाँ से रिसता है, लीकेज कहाँ से होती है पता ही नहीं चल रहा है। प्रगति टनल की लीकेज इतनी गुप्त तरीके से बनाई गई है कि देश ही नहीं, विदेश के वैज्ञानिक भी लगे हुए हैं यह पता लगाने में कि इस टनल में लीक कहां से हो रही है। लेकिन अभी तक सभी असफल रहे हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार जी इस लीक स्कीम का लाभ दिल्ली को ही दें। ठीक है, दिल्ली देश की राजधानी है, राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र है। पर मुंबई भी तो वित्तीय राजधानी मानी जाती है। सरकार जी ने अभी छ आठ महीने पहले मुंबई में अटल सेतु का उद्घाटन किया था। उसकी सड़कों को भी लीक तकनीकी से बनाया गया था। पहली बारिश में ही उसकी सड़कों में पानी लीक कर गया और दरारे पड़ गईं। तो मुंबई को भी सरकार जी की इस नई लीक तकनीक से लाभ पहुंचा है।

सरकार जी ने बड़े अमीर शहरों का ही ध्यान नहीं रखा, बिहार जैसे गरीब राज्य का भी ध्यान रखा। वहां भी लीक तकनीक ने बहुत काम किया है। इस लीक तकनीक ने पुलों के ऊपर तो काम किया ही, पुलों की जड़ो में भी काम किया है। वहां पिछले दस साल में अधिकतर समय डबल इंजन की ही सरकार रही है। उसका लाभ अब आ कर मिला है। कोई कहता है, दस दिन में आठ पुल गिरे हैं। कोई बताता है, पंद्रह दिन में बारह ढहे हैं। मतलब लाभ इतना है कि उसका हिसाब तक नहीं हो पा रहा है।

सरकार जी के राज में वन्दे भारत ट्रेन भी लीक हो जाती है। बाकी ट्रेन लीक हों या न हों, वन्दे भारत जरूर लीक होती है। नई लीक तकनीक से बनी है ना। जब बुलेट ट्रेन चलेगी, अगर चली तो, उसमें भी यह ध्यान जरूर रखा जायेगा कि वह लीक हो, उसके सारे डिब्बे लीक हों और अच्छा हो कि हर सीट पर लीक की सुविधा हो। तभी हम आधुनिक, वर्ड क्लास भारत बना पाएंगे।

यह मत सोचिये कि रेल लीक होती है पर हवाई जहाज के यात्रियों को सरकार जी की इस लीक स्कीम का कोई लाभ नहीं मिलता है। नहीं, नहीं ऐसा नहीं है। ठीक है, हवाई जहाज ज्यादा ऊँचा उड़ता है। कई बार बादलों के भी ऊपर उड़ता है। नहीं, नहीं, राडार से बचने के लिए नहीं। शायद लम्बी दूरी तय करने के लिए, ईंधन की कम खपत के लिए उड़ता हो। अब बादलों से, बारिश से ऊपर उड़ता है तो हवाई जहाज में तो लीक नहीं हो सकता है। तो सरकार जी का लीक कार्यक्रम हवाई अड्डे पर कर लिया गया। तीन तीन हवाई अड्डे पर लीक का कार्यक्रम हुआ। ढह गए।

यह जो सरकार जी की लीक योजना है, मतलब लीक स्कीम है, नई नहीं है। जानकर लोग बताते हैं कि नोटबंदी भी लीक हो गई थी। दल को और दल के सदस्यों को लीक हो गई थी। दल ने और दल के सदस्यों ने नोटबंदी से पहले ही जम कर ज़मीन खरीदी थी और ऑफिस और मकान बनवाये थे। ऐसा उस समय के अखबारों में छपा था। लीक ने वहां भी समुचित काम किया था।

ऐसा नहीं है कि सरकार जी हमेशा लीक करते रहे हैं और करवाते रहे हैं। अगर उन्होंने निन्यानवें बार लीक किया है तो एक बार ध्यान रखा कि लीक नहीं हो और हरगिज़ नहीं हो। जी हां, रफाल विमान की कीमत के बारे में ध्यान रखा कि वह बिलकुल भी लीक न हो। जब उच्चतम न्यायलय ने भी कीमत पूछी तो भी लीक प्रूफ, सील बंद लिफाफे में दी। सरकार जी ने चाहा था लीक न हो तो लीक नहीं हुई। अभी तक लीक नहीं हुई है।

तो हम कह सकते हैं, लीक होना या नहीं होना, लीक करना या न करना, पूरी तरह सरकार जी के हाथ में है। जब सरकार जी चाहते हैं तब लीक हो जाती है, जब सरकार जी नहीं चाहते हैं, लीक नहीं होती है। इतने योग्य हैं हमारे सरकार जी। 'अ गवर्नमेंट दैट लीक्स' के सरकार जी। सरकार जी हैं तो सबकुछ मुमकिन है। लीक भी मुमकिन है।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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