त्रिपुरा हिंसा फैक्ट फाइंडिंग: हिंसा रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन ने नहीं उठाए उचित कदम!
उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा पिछले दिनों सांप्रदयिक हमलों को लेकर चर्चा में रहा, जहाँ बीजेपी और संघ से जुड़े हिंदूवादी दलों ने मुस्लिम लोगो के घर, दुकान सहित उनकी मस्जिदों पर हमला किया। हिंसा का ये तांडव पूरे राज्य में कई दिनों तक होता रहा और राज्य का पुलिस प्रशासन इस दौरान मूक दर्शक बना दिखा। हालाँकि इस पूरी घटना को लेकर देशभर में सामाजिक और राजनैतिक संगठनों ने निंदा की। इस घटना को लेकर वकीलों की टीम ने हाल ही में त्रिपुरा राज्य का दौरा किया और वहां से फैक्ट एकत्रित कर देश के सामने रखे। ये टीम वकीलों के एक संयुक्त मंच लॉयर्स फॉर डेमोक्रेसी के नेतृत्व में गई थी। इन्होने अपनी फैक्ट फाइंडिग रिपोर्ट में पीड़ितों से बात की और प्रशासन की कार्रवाई को लेकर अपनी राय और माँगें भी रखी हैं।
इनकी रिपोर्ट के मुताबिक़ मोहम्मद युसूफ ने बताया कि वो अमीरुद्दीन(अपने दोस्त) की तरह ही रवा बाजार में किराने की दुकान चलाते थे अब अमीरुद्दीन की दुकान जल गई। वह बीस साल से यहां अपनी दुकान चला रहा है, लेकिन यहां कभी इस तरह की कोई घटना नहीं हुई, अब अचानक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे अपनी दुकान को अपनी आंखों के सामने जलते देखना पड़ा। उनका कहना है कि आगजनी से उन्हें छह लाख रुपये का नुकसान हुआ है। हालाँकि वह आगजनी करने वाले का नाम जानता है, परन्तु उसे डर है की वो अगर ऐसा करेगा तो उसका दुबारा नुकसान हो सकता है इसी कारण वो उनका नाम लेने से हिचक रहे हैं।
इसी तरह 34 वर्षीय मो. आमिर हुसैन जो पानीसागर के रवा बाजार में कंप्यूटर पार्ट्स और इलेक्ट्रिक हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं। उनके घर में आठ सदस्य हैं, वह पिछले दस साल से इसी बाजार में अपनी दुकान चला रहे हैं। उन्होंने इससे अच्छा कारोबार किया। उनकी दुकान के पीछे की तरफ एक हिंदू माणिक देबनाथ का घर था। जब दंगाइयों ने दुकान को जलाने की कोशिश की तो वह हिंदू दंगाइयों के सामने आया और कहा कि उसका घर दुकान से लगा हुआ है. आग लगेगी तो मेरा घर भी जल जाएगा। दंगाइयों ने उसकी दुकान में आग नहीं लगाई बल्कि उसकी दुकान का सामान लूट लिया, जिसमें लैपटॉप, पानी की मोटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल था। दंगाइयों ने उसकी दुकान का दरवाजा तोड़ दिया, प्रिंटर निकाल लिया, उसमें आग लगा दी, जेरोक्स मशीन में तोड़फोड़ की, बिजली और हार्डवेयर का सामान निकाल लिया और उसे जला दिया।
उन्होंने इस जाँच टीम के सदस्य अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी को बताया कि उन्हें लगभग दस लाख रुपये का नुकसान हुआ है लेकिन सरकार ने उन्हें केवल ₹26,800 का मुआवजा दिया है। माणिक देबनाथ के पड़ोसी हिंदू परिवार ने आमिर से पूछताछ करने पर दंगाइयों और आगजनी करने वालों का नाम बताने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने कहा कि वे दंगाइयों के नाम जानते हैं। और अगर जांच एजेंसियां माणिक देबनाथ से पूछताछ करेंगी तो वह जांच एजेंसी को दंगाइयों के नाम बताएंगे.
पानीसागरी के रवा बाजार निवासी 72 वर्षीय मुनव्वर अली ने फैक्ट फाइंडिंग टीम को बताया कि पनीसागर संभाग में 15 अक्टूबर से होने वाली 26 अक्टूबर की मिसल (रैली) के लिए घोषणाएं की जा रही हैं. उस घोषणा में विहिप के लोग कह रहे थे कि जो हिंदू इस रैली में शामिल नहीं होंगे उनका बहिष्कार किया जाएगा. रैली में विहिप के लोग जेसीबी मशीन लेकर आए थे। इस मशीन से उनका इरादा दुकानों और मस्जिदों को नुकसान पहुंचाना था. उन्होंने इसे रवा बाजार की एक दुकान पर आजमाया। हम, गाँव के सभी आदमी, बच्चे, जवान और बूढ़े मस्जिद को बचाने के लिए मस्जिद के पास जमा होने लगे। मस्जिद से रवा बाजार की दूरी 500 मीटर है और वहां से रवा बाजार की दुकानें साफ दिखाई देती हैं। जिन 11 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, उनके मालिक मस्जिद के पास हमारे साथ खड़े थे और अपनी दुकानों को जलते हुए देख रहे थे. हम यहां दो पीढ़ियों से रह रहे हैं। इतनी नफरत हमने इतने सालों में कभी नहीं देखी। राज्य में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाया गया था। जिसका परिणाम इस घटना के रूप में सामने आया है. जब आगजनी हो रही थी, हमने स्थानीय भाजपा विधायक विनय भूषण दास को 7-8 बार फोन किया। उसने एक बार फोन उठाया और कहा कि वह अगरतला में मीटिंग कर रहा है। घटना के बाद से युवक रात की पाली में घरों के बाहर पहरा दे रहे हैं। लोगों में अभी भी दहशत का माहौल है। पुलिस इलाके में पेट्रोलिंग नहीं कर रही है. आदर्श गांव में चुना गया हमारा गांव, ऐसे गांव में ऐसी घटना से गांव का नाम खराब होता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ जब फैक्ट फाइंडिंग टीम मुनव्वर अली से बात कर रही थी तो वहां रंजीत त्रिपुरा नाम का एक 26 वर्षीय गैर-मुस्लिम युवक आया। वहां मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनकी तारीफ की और कहा कि यह लड़का रैली में शामिल नहीं हुआ और आगजनी के बाद हमारी मदद के लिए आगे आ रहा है. जब जांच दल के सदस्य अमित श्रीवास्तव ने उनसे पूछा कि आप रैली में क्यों नहीं गए तो रंजीत ने कहा कि मुझे वे लोग पसंद नहीं हैं. मेरे दोस्त मुसलमान हैं। मुझे इस बात का भी दुख है कि उनकी दुकानें जल गईं।
क्या है पूरी घटना
मध्य अक्टूबर को बांग्लादेश में कई दुर्गा पूजा पंडालों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई थी क्योंकि जब सोशल मीडिया पोस्ट में एक मूर्ति के चरणों में रखी गई कुरान की एक प्रति वायरल हुई थी। इसके बाद के हफ्तों में, देश के विभिन्न हिस्सों में अधिक सांप्रदायिक हिंसा और हिंदू अल्पसंख्यक के सदस्यों पर हमलों की सूचना मिली। इन घटनाओं के विरोध में, त्रिपुरा में कथित तौर पर विश्व हिंदू परिषद, हिंदू जागरण मंच और बजरंगदल द्वारा रैलियां निकाली गईं, जिनमें अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के घरों, दुकानों और मस्जिदों में तोड़फोड़ में हुईं। सोशल मीडिया पर एक कथित ईशनिंदा पोस्ट को लेकर अक्टूबर के मध्य में दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान बांग्लादेश में भीड़ के हमलों में हिंदू मंदिरों और घरों को निशाना बनाया गया था।
वकीलों की रिपोर्ट के मुताबिक 12 मस्जिद, 9 दुकानों सहित तीन मकानों हमला किया गया।
जाँच दल ने आठ मांगे रखीं वो इस प्रकार हैं -
1. सरकार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनानी चाहिए और पूरी घटना की जांच करवाए ।
2. पीड़ितों की शिकायत पर अलग से प्राथमिकी दर्ज की जाए।
3. इस घटना के कारण जिन लोगों के व्यवसाय को आर्थिक नुकसान हुआ है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा दे और इसकी जल्द से जल्द भरपाई की जानी चाहिए ताकि इन निर्दोष लोगों का जीवन पटरी पर आ सके और उनका व्यवसाय और काम सुचारू रूप से फिर से शुरू हो सके।
4. सरकार को चाहिए कि आगजनी और तोड़फोड़ में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों को अपने खर्च पर फिर से बनवाएं।
5. हिंसा की संभावना के बावजूद कोई कार्रवाई न करने वाले पुलिस अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उन्हें तत्काल उनके पद से हटाया जाए और थाने व नए पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जाए।
6. रैली में पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाले नारे लगाने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि राज्य का सौहार्दपूर्ण माहौल फिर से खराब न हो।
7. झूठे और भड़काऊ संदेश बनाने और उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करने वालों के खिलाफ, और उन सभी लोगों और संगठनों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए जो बार-बार लोगों को उकसाते हैं और रैली के लिए हंगामा करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए
8. जो भी इस दंगे में दोषी हैं, और लूटपाट और आगजनी में लिप्त हैं, उसकी बिना किसी भेदभाव के फास्ट ट्रैक कोर्ट में जांच होनी चाहिए।
इस रिपोर्ट के अंत में जाँच दल ने एक प्रमुख बात कही कि ये पूरी हिंसा चरमपंथी संगठनों ने साज़िश के तहत की है और साथ ही उन्होंने प्रशासन को हिंसा होने की संभावना के बावजूद कोई कदम नहीं उठाने को लेकर कहा इससे लगता है इसमें सरकार और प्रशासन मिला हुआ है। साथ ही उन्होंने सत्ताधारी दल और सरकार के मंत्री द्वारा एक पक्ष के लोगो से मिलने की भी निंदा की जबकि इस हिंसा में पीड़ित मुस्लिम परिवारों से सरकार ना कोई भी आदमी नहीं मिला ,जो दिखाता है कि सरकार निष्पक्ष भूमिका में नहीं है।
इस जाँच दल की पूरी रिपोर्ट और सिफ़ारिश यहां पढ़ सकते है -
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