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यूपी विधानसभा सत्र:  मणिपुर पर हंगामा, नहीं पेश हो सका अनुपूरक बजट

सत्र के लिए पहले दिन विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में था, लेकिन सबसे पहले मणिपुर पर निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
UP Assembly Session

यूपी विधानसभा के मानसूत्र सत्र में पहले ही दिन खूब हंगामा हुआ, विपक्षी नेता आवाज़ उठाते हुए वेल में उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे, जिसके कारण स्पीकर सतीश महाना विधानसभा की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

सदन के जल्दी स्थगित हो जाने के कारण ही योगी सरकार की ओर से अनुपूरक बजट पेश नहीं किया जा सका। अब इस सत्र में जब भी अनुपूरक बटज पेश होगा तब विपक्ष कि चुनौतियों और पिछले कुछ सालों के कामों को देखते हुए सरकार बजट में जिन विधेयकों को पेश कर सकती है, वो कुछ ऐसे हो सकते हैं...

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जैसे लोक कल्याण संकल्प पत्र में राज्य सरकार ने होली और दीपावली पर मुफ्त सिलिंडर देने का वादा किया था। बजट में इसकी घोषणा भी की गई। इस दीपावली योजना को जमीन पर उतारने के लिए राज्य सरकार अनुपूरक बजट में इंतजाम कर सकती है। प्रदेश में उज्ज्वला योजना के करीब 1 करोड़ 74 लाख लाभार्थी हैं। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष का बजट पेश करते हुए किसानों को निजी नलकूपों से सिंचाई के लिए बिजली बिल में 100 प्रतिशत छूट देने की घोषणा की थी। बजट में धनराशि आवंटित करने के बावजूद इस घोषणा पर अमल नहीं हो पाया है। ऐसे में अनुपूरक बजट के जरिए इसके लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाया जा सकता है। इसके अलावा मुफ्त टैबलेट और स्मार्टफोन देने के लिए राज्य सरकार अनुपूरक बजट में व्यवस्था कर सकती है। 2023-24 के बजट में इस योजना के तहत 3,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मगर 40 लाख युवाओं के बीच टैबलेट और स्मार्टफोन बांटने के लिए सरकार को और धन की जरूरत होगी।

इन चीज़ों के अलावा और भी बहुत से विधेयक हैं, जिनका ज़िक्र कर योगी सरकार अपने बजट में पटल पर रख सकती है। हालांकि यहां सवाल ये है कि अनुपूरक बजट पेश करने की ज़रूरत सरकार को क्यों पड़ गई? तो इसका सीधा सा जवाब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव हैं। उससे पहले सरकार जितना हो सके अपने वादों को पूरा कर ज़मीन पर उतरना चाहती है। क्योंकि इस प्रदेश में मामला 80 लोकसभा सीटों का है।

आपको बता दें कि सत्र के लिए पहले दिन विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में था, लेकिन सबसे पहले मणिपुर पर निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि स्पीकर लगातार ये कह रहे थे कि यूपी में सिर्फ इसी प्रदेश के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, ऐसे में विपक्ष ने सरकार की नियत पर सवाल खड़े किए, और वेल में उतरकर नारेबाज़ी शुरू कर दी। इसी के बाद सत्र की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

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दरअसल चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री योगी पर तंज किया, मणिपुर का मुद्दा उठाते हुए अखिलेश ने कहा, 'जानते हैं आपकी मजबूरी'। उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री योगी को बोलना चाहिए। इस पर विधानसभा स्पीकर सतीश महाना ने उन्हें नियमावली देखने को कहा। अखिलेश ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं बची, जहां पर मणिपुर की घटना की निंदा न हुई हो।

उन्होंने आगे कहा, 'क्या हम अपेक्षा नहीं कर सकते कि नेता सदन इस पर कुछ बोलें। इस पर स्पीकर ने कहा कि वो जहां बोलना होगा बोलेंगे।

वहीं इससे पहले विपक्षी नेता गले में टमाटर और लहसुन की माला पहनकर साइकिल से सदन पहुंचे। सरकार के खिलाफ स्लोगन लिखी तख्तियां उनके हाथ में थीं। विधानसभा की सीढ़ियों पर बैठकर सपा विधायक डीजल-पेट्रोल महंगा होने, ओबीसी-एससी-एसटी आरक्षण, महिला अपराध के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।

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वहीं सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बात की, उन्होंने कहा कि "सदन में सार्थक चर्चा करनी चाहिए। सरकार हर स्तर पर जवाब देने को तैयार है। उत्तर प्रदेश ने पिछले 6 सालों के दौरान विकास की एक नई ऊंचाई को छुआ है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोगुना किया गया। बीमारू राज्य की श्रेणी से हम बाहर आ चुके हैं। 25 करोड़ की जनता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है। पूर्वांचल के 40 जिले सूखा प्रभावित हो गए है। हम इसके समाधान के मुद्दों पर चर्चा को तैयार है।"

ख़ैर... योगी आदित्यनाथ के विकास वाले तथाकथित वक्तव्यों से दूर सरकारी आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में 1.26 लाख और माध्यमिक विद्यालयों में करीब 60 हज़ार पद खाली हैं। इसी तरह पुलिस विभाग, तकनीकी संवर्ग से लेकर विभिन्न विभागों में 6 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। हालत यह है कि शिक्षा आयोग के गठन के नाम पर साल भर से चयन प्रक्रिया ठप है। कई भर्तियां तो 2015 से अभी तक अधर में लटकी हुई हैं। ग्रामीण इलाकों में आजीविका का संकट गंभीर है।

इन पदों को भरने और इसके लिए आवाज़ उठाने के लिए संयुक्त युवा मोर्चा ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी समेत सभी विपक्षी दलों के नाम पत्र लिखा था। यानी सत्र के पहले दिन कार्यवाही ठीक से हुई होती, तो सरकार के सामने सवालों का और मुद्दों को लंबा चिट्ठा होने वाला था।

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