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“राजनीतिक षड्यंत्र” में फंसाए जा रहे लोगों के न्याय में विलंब क्यों: सोरेन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 28 जून की शाम रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से रिहा हुए। 
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फ़ोटो साभार :X/@HemantSorenJMM

जैसा कि पूर्व में ही राज्य के कई विधि विशेषज्ञ राजनीतिज्ञों ने अपने अनुमानों में यही कहा था कि “हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ ईडी के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। केस में कोई दम नहीं है। लेकिन तब भी उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी सूरत में जेल से बाहर नहीं आने दिया जाएगा।” 

अंततोगत्वा हुआ वैसा ही, झारखंड हाई कोर्ट के अहम फैसले से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 28 जून की शाम रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार से रिहा हुए। 

जेल परिसर के बाहर उनके स्वागत में जुटे लोगों और वहां उपस्थित मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए जो बातें उन्होंने कहीं, मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के साथ साथ न्याय-व्यवस्था की स्थितयों को लेकर काफी गौरतलब हैं।

हेमंत सोरेन ने पहले तो देश की न्यायतंत्र के प्रति अपनी पूरी आस्था और आभार प्रकट करते हुए कहा कि– 

“आपको तो पता ही है और पूरा देश भी जानता है कि मैं किसलिए जेल गया। अंततोगत्वा न्यायायलय ने अपना न्याय सुनाया है और उसी के तहत मैं आज बाहर हूँ।  

मैं न्यायालय का आदर करता हूँ और न्याय पालिका पर भरोसा भी है। लेकिन अक्सर ये चिंता सताती है कि जिस प्रकार से आज राजनेता, समाजसेवी और लेखक-पत्रकार जैसे महत्वपूर्ण लोगों को, उनकी सत्ता विरोधी आवाज़ों को बंद करने के लिए सुनियोजित साजिशों से जेलों में बंद कर दिया जा रहा है, यह भी देश से छुपा नहीं है। इन्हें न्याय पाने में जो वक़्त लगता है, वो वक्त सामान्य समय से काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वर्तमान में लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है। 

एक झूठी और मनगढ़ंत कहानी गढ़कर मुझे 5 महीनों तक जेल में रखा गया। इसी तरह से आप देख रहें हैं कि देश के अलग अलग हिस्सों में कहीं पत्रकार बंद हैं तो कहीं सरकार के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले। उनकी आवाज़ को कुचलने का काम किया जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में हैं। कईयों को मंत्री रहते हुए जेल में डाल दिया जा रहा है। और न्याय की प्रक्रिया इतनी लम्बी हो रही है कि दिन-महीना नहीं बरसों लग जा रहें हैं। 

कहीं न कहीं से जो लोग पूरी शिद्दत के साथ अपने राज्य, समाज और देश के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, उन सब में बाधाएं डाली जा रहीं हैं। 

आज मैं बहुत कुछ नहीं कहूँगा। ये एक सन्देश है, इस राज्य के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए कि किस तरीके से हमारे विरुद्ध षड्यंत्र रचा गया। लेकिन जो भी न्यायालय का आदेश है, किन बातों को उसमें उद्धृत किया गया है आप खुद देखिये और देश की जनता को बताइये।” 

सचमुच, हेमंत सोरेन द्वारा कही गयी बातें किसी भाषण का हिस्सा नहीं थीं, झारखण्ड हाई कोर्ट ने 55 पृष्ठों में दिए गए फैसले में कहा है कि- प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रार्थी पर बड़गाई की 8.86 एकड़ ज़मीन कब्जा का जो आरोप लगाया गया है, उसके समर्थन में कोई सीधा लिंक नहीं दिखा पाया। ईडी का पूरा मामला संभावनाओं पर आधारित लगता है। इस बात का कोई पक्का सबूत नहीं दे पायी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ज़मीन घोटाले की अवधी के दौरान हेमंत सोरेन सत्ता में नहीं थे। कथित अधिग्रहण से पीड़ित किसी भी शख्स ने पुलिस में शिकायत दर्ज़ नहीं करायी। 

ईडी के वकील ने हाई कोर्ट के फैसले को 48 घंटे तक रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सके, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे ठुकराते हुए हेमंत सोरेन को यह कहते हुए बेल दी कि- यह मानने का पर्याप्त कारण है कि याचिकाकर्ता अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रिहा किये जाने के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कोई अपराध किये जाने की कोई आशंका नहीं है। 

उधर प्रदेश की राजनीति में भी हेमंत सोरेन की रिहाई से काफी सरगर्मी आ गयी है। 

राज्य के मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने सोशल मीडिया पर त्वरित टिप्पणी देते हुए लिखा- सच परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। गठबंधन के सभी घटक दलों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है- साजिश के तहत हेमंत सोरेन को झूठे मुकदमे में फंसाकार जेल भेजा गया। झारखंड में चुनी हुई सरकार को गिराकर लोकसभा चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की गयी। लेकिन न्यायपालिका ने ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ कर दिया। 

प्रदेश के वाम दलों की ओर से भाकपा माले ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि- राजनीतिक द्वेष के कारण हेमंत सोरेन को पांच महीने से जेल में रखकर प्रताड़ित किया जा रहा था। जिसके खिलाफ बीते लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश के आदिवासियों ने भाजपा के खिलाफ भारी मतदान कर अपने प्रतिवाद को दर्ज़ किया। हेमंत सोरेन की रिहाई से भाजपा की बौखलाहट काफी बढ़ गयी है। क्योंकि राज्य में होनेवाले विधान सभा चुनाव को लेकर उसे अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा है। 

उधर, हेमंत सोरेन की रिहाई के स्वागत में जगह जगह व्यापक पैमाने पर लगाया गया पोस्टर- ‘साजिशों का हुआ अंत–आ गया अपना हेमंत’ काफी चर्चा में है। 

इधर अपनी रिहाई के दूसरे ही दिन हेमंत सोरेन ने रांची स्थित बिरसा मुंडा की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद भारी संख्या में उपस्थित कार्यकर्त्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि– “विगत पांच महीनों से जेल में रहने के बाद आज मैं आपके बीच में खड़ा हूँ। अब ताबूत में आखिरी कील ठोकने का वक़्त आ गया है। हवा उड़ाई जा रही है कि वक़्त से पहले ही झारखंड में विधान सभा चुनाव हो सकते हैं तो इस मंच से मैं ये खुली चुनौती दे रहा हूँ कि भाजपा के लोग जब चाहें चुनाव करा लें, इस बार इस  राज्य की जनता उनका पूरी तरह से सफ़ाया कर देगी।” 

बहरहाल, प्रदेश भाजपा से ताज़ा-ताज़ा केन्द्रीय मंत्री बने और रांची के सांसद महोदय का दावा कि-ज़ल्द ही राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी, के बीच राज्य की गोदी मीडिया ने भी आनन् फानन नैरेटिव गढ़ने का खेल शुरू कर दिया है। जिसमें- क्या चम्पई की कुर्सी जायेगी? जैसे जुमलों फेंके जा रहें हैं। जबकि मुख्यमंत्री समेत INDIA गठबंधन के सभी घटक दल व नेता, हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने को गठबंधन सरकार के और अधिक मजबूत-एकजुट होने की बातें कह रहें हैं। 

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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