यूपी चुनाव: नतीजों के पहले EVM को लेकर बनारस में बवाल, लोगों को 'लोकतंत्र के अपहरण' का डर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने के पहले ही वाराणसी, सोनभद्र, बरेली और सुल्तानपुर में जमकर बवाल हुआ। इन सभी जिलों में ईवीएम और बैलेट पेपर की गलत ढंग से हैंडलिंग को लेकर हंगामा, नारेबाजी, तोड़फोड़ और पथराव की घटनाएं हुईं। वाराणसी में मंगलवार की देर रात बड़ी संख्या में सपा समर्थक सड़कों पर उतर आए। कई जगह जाम लगाया और वाहनों में तोड़फोड़ की। पीलीकोठी और गोलगड्डा पर उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। बजरडीहा इलाके में भी देर हंगामा होता रहा। ईवीएम में हेराफेरी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच मेरठ के हस्तिनापुर में सपा प्रत्याशी का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह दूरबीन से स्ट्रांग रूम की पहरेदारी करता नजर आ रहा था।
उत्तर प्रदेश की 403 सीटों के लिए मतदान हो चुका है और प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में बंद हो चुके हैं। बनारस की सभी आठ सीटों के मतों की गिनती पहड़िया मंडी में की जानी है। यहां अलग-अलग कमरों में वोटिंग मशीनें रखी गई हैं, जिनकी हिफाजत के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए हैं। बनारस में बवाल तब खड़ा हो गया जब 8 मार्च की शाम सपा कार्यकर्ताओं ने ईवीएम से भरी एक गाड़ी पकड़ ली और आरोप लगाया कि ईवीएम से भरी दो गाड़ियां पहले ही निकाली जा चुकी हैं। सत्तारूढ़ दल को चुनाव जिताने के लिए जिले के अफसर मशीनों की हेराफेरी करा रहे हैं।
अखिलेश यादव ने बुलाई तत्काल प्रेस कॉन्फ्रेंस
बनारस में ईवीएम के मुद्दे पर बवाल तब बढ़ा जब सपा कार्यकर्ताओं की शिकायत पर पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने लखनऊ में साझा प्रेसवार्ता की। दरअसल, इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब ईवीएम लदी गाड़ी का चालक राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। जिस गाड़ी पर ईवीएम लदी थी उसके साथ कोई पुलिस फोर्स नहीं थी। इसी बात पर पहड़िया मंडी परिसर में हंगामा होने लगा और विपक्षी दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता ईवीएम लदी गाड़ी के आसपास धरने पर बैठ गए और हंगामा व नारेबाजी करने लगे। हंगामे की सूचना पर भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया। सपा कार्यकर्ता अफसरों की बात मानने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद नोकझोंक बढ़ती चली गई।
मीडिया के सामने अखिलेश ने दावा किया कि वाराणसी में मतगणना स्थल से ईवीएम ले जाते एक वाहन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पकड़ लिया है। इससे पहले दो गाड़ियों से ईवीएम बाहर भेजा जा चुका है। अखिलेश ने यहां तक कहा, "बनारस का डीएम गड़बड़ी करा रहा है। मैं उसे बहुत अच्छे से जनता हूं। यह डीएम किसके अंडर में काम कर रहा है, ये सब जानते हैं। चुनाव आयोग को जिलाधिकारी बनारस पर त्वरित रूप से कार्रवाई करनी चाहिए। मुझे चुनाव आयोग से कोई उम्मीद नहीं है। लोकतंत्र को बचाने के लिए लोगों को खुद लड़ना पड़ेगा। मैंने काउंटिंग सेंटर पर जैमर की भी मांग की है, ताकि कोई टेक्निकल ब्रीच ना पैदा हो सके।" अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि कितने आश्चर्य की बात है कि जो भविष्यवाणी सत्ता में बैठे लोग करते हैं वह एग्जिट पोल में हूबहू कैसे आ सकता है? देर रात सपा सुप्रीमो ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि मतगणना में घालमेल रोकने के लिए तीन दिनों तक डटे रहें। जब देश के किसान अपनी जायज मांगों के लेकर साल पर धरना दे सकते हैं, तो तीन दिनों तक उन्हें भी ईवीएम की कड़ी पहरेदारी करनी होगी।
डीएम-कमिश्नर की सफाई
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आरोपों पर वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने सफाई देते हुए कहा, "ईवीएम का चुनावी ईवीएम से कोई वास्ता नहीं है। सभी उम्मीदवारों को बुला लिया गया है, मतदान के दिन इस्तेमाल की गई ईवीएम की सूची उन्हें मेल कर दी गई है। हार्ड कॉपी आज दी जा रही है। इन 20 ईवीएम (प्रशिक्षण के लिए) को अलग से वाहन में रखा जाता है। नंबरों का मिलान किया जा रहा है और उम्मीदवारों को दिखाया जा रहा है कि ये वोटिंग वाले ईवीएम नहीं हैं। पहड़िया मंडी में यहां एक मजबूत कमरा है। वोटिंग हुई ईवीएम वहां रखी हुई हैं। बैरिकेडिंग की गई है, जिसे तोड़ने का कोई कारण नहीं है। एक अन्य ईवीएम (प्रशिक्षण के लिए) के लिए दूसरे स्ट्रांग रूम और गोदाम हैं। ट्रेनिंग वाली ईवीएम का चुनावी ईवीएम से कोई वास्ता नहीं।" हालांकि, सपा कार्यकर्ता डीएम के खिलाफ नारेबाजी करते रहे और किस भी अफसर की बात मानने के लिए कतई तैयार नहीं हुए। रात करीब दो बजे तक हंगामा और नारेबाजी का दौर चलता रहा।
इस बीच ईवीएम के मुद्दे पर वाराणसी के डिविजनल कमिश्नर दीपक अग्रवाल गलती मानी और कहा, "ट्रेनिंग के लिए ले जाए जाने वाले ईवीएम के मूवमेंट में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। हालांकि ईवीएम वोटिंग वाले ईवीएम से पूरी तरह अलग हैं। प्रत्याशी इसका मिलान कर सकते हैं। जो ईवीएम गाड़ी में मिली हैं, उनका मिलान पोलिंग में यूज हुई ईवीएम से किया जा सकता है। अगर कोई ईवीएम मतदान वाली मिलती है तो हमें दोषी मान लिया जाए। वोटिंग वाले ईवीएम से छेड़छाड़ इम्पॉसिबल है। थ्री लेयर सिक्योरिटी होती है।"
देर रात चुनाव आयोग के एक अफसर ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा, “बनारस में ईवीएम को स्ट्रॅांग रूम में ले जाने के दौरान एक राजनीतिक दल के कुछ सदस्यों ने वाहन को रोक दिया और अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि वाहन में वोटों की गिनती के लिए ईवीएम हैं। आरोपों के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने मंगलवार को कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। मतगणना ड्यूटी के लिए नियुक्त कर्मचारियों का यह दूसरा प्रशिक्षण है और इन मशीनों का प्रयोग प्रशिक्षण में हमेशा व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।”
देर रात बढ़ा बवाल
यूपी के कई जिलों में ईवीएम को लेकर खड़े हुए विवाद के सामने आने के बाद बनारस में देर रात हजारों सपा कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए। ईवीएम से लदी गाड़ी के पकड़े जाने के बाद शहर के कई हिस्सों में सपा समर्थक प्रदर्शन और नारेबाजी करने लगे तो आला अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पहड़िया मंडी परिसर से दो वाहनों पर ईवीएम लदकर कहीं भेजी जा रही हैं, जिसमें से सिर्फ एक ही वाहन पकड़ में आ सका है।
ईवीएम पकड़ी जाने की सूचना शहर में आग की तरह फैलती चली गई। रात करीब दस बजे के बाद स्थिति बिगड़नी शुरू हुई। पहड़िया मंडी के बाहर 20 से 25 हजार लोगों का हुजूम जुट गया और हंगामा करने लगा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पांडेयपुर के पास बाहर से आने-जाने वाली गाड़ियों की आवाजाही रोक दी गई। एक तरफ सपा कार्यकर्ता नारेबाजी और हंगामा करते रहे तो दूसरी ओर, पुलिस के जवान उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे। पहड़िया मंडी में विवाद तब ज्यादा बढ़ गया जब एक डिप्टी एसपी ने प्रदर्शनकारियों को गोली मारने धमकी दी। इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई।
शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके हरतीरथ, अंबिया मंडी, पीलीकोठी, छोहरा, नेशनल इंटर कालेज, मनहर और गोलगड्डा इलाके में भीड़ जुटनी शुरू हो गई। रात दस बजे सबसे पहले हरतीरथ तिराहे के पास चक्का जाम किया गया और बाद में गोलगड्डा आदि स्थानों पर। मुस्लिम बहुल बजरडीहा में भी स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
गोलगड्डा हंगामा कर रही भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो पथराव शुरू हो गया। इस घटना में कई सपा कार्यकर्ता और पुलिस के जवान घायल हो गए। यहां भाजपा का झंडा लगी एक एसयूवी गाड़ी उधर से गुजर रही थी। लोगों ने उसे रोका और गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया। बाद में सुरक्षा बलों ने गाड़ी में बैठे लोगों को बचाते हुए बाहर निकाला। गोलगड्डा तिराहे पर रोडवेज की एक बस में भी तोड़फोड़ की गई। यहां पुलिस अफसर का वाहन चला रहा एक जवान जख्मी हो गया।
मीडिया व डीएम निशाने पर
पहाड़िया काउंटिंग स्थल के बाहर नारेबाजी और हंगामा कर रहे हजारों लोगों का हुजूम खासतौर पर डीएम कौशलराज शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए, जमकर नारेबाजी कर रहा था। नारेबाजी और हंगामा कर रहे विपक्षी दलों के हजारों कार्यकर्ताओं का गुस्सा गोदी मीडिया को लेकर भी था। पहड़िया मंडी में जितनी देर तक बवाल और हंगामा हुआ, प्रदर्शनकारियों के निशाने पर बनारस के डीएम-कमिश्नर और मीडियाकर्मी ही रहे।
कई मीडियाकर्मियों को कैमरा अपने बैग में छिपाकर जहां-तहां छुपते हुए देखा गया। कई मीडियाकर्मी विद्युत कर्मियों के लिए बनाए गए एक छोटे से पंडाल में छुपे हुए थे। बाद में पुलिस ने उन्हें अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया। इस दौरान पहाड़िया मंडी के बाहर सपा कार्यकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक रिपोर्टर के साथ मारपीट भी की और उसका कैमरा भी क्षतिग्रस्त कर दिया। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इस बात से था कि मीडिया एकतरफा कवरेज कर रहा है। वह सही समाचारों का प्रसारण करने के बजाए, सरकार के गुणगान में जुटा है।
मौके पर विपक्ष के प्रत्याशी
पहड़िया स्थित मतगणना स्थल पर विपक्षी दलों के सभी प्रत्याशी देर रात तक जमे हुए थे। पुलिस के सभी आला अफसर उन्हें देर रात तक समझाते और मनाने की जुगत में लगे रहे। रात करीब डेढ़ बजे डीएम कौशलराज शर्मा और कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने प्रत्याशियों के बीच पहुंचकर कहा कि शहर की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इसका हल नहीं निकाला गया तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। प्रत्याशियों से बात करते हुए जब डीएम तमतमा गए तो राजेश मिश्र, सुरेंद्र पटेल आदि ने उन्हें समझाया। बाद में कांग्रेस के राजेश मिश्र, सपा के सुरेंद्र पटेल, पूजा यादव, सुभासपा के अरविंद राजभर आदि ने चुनाव प्रेक्षक को पत्र सौंपा और आग्रह किया कि मतगणना ड्यूटी से बनारस के डीएम व कमिश्नर को बाहर रखा जाए। इन दोनों अफसरों की नीयत साफ नहीं है। सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर के साथ बदसलूकी के समय ही चुनाव आयोग से बनारस के अफसरों की शिकायतें की गई थी, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। संदेह है कि ये दोनों अफसर मतगणना में हेराफेरी करा सकते हैं।
चुनाव प्रेक्षकों की मौजूदगी में कई चरणों में चली बैठक में अंत में तय किया गया कि ईवीएम की जांच की जाए। वहीं अधिकारियों ने भरोसा दिया कि इसके बाद भी गड़बड़ी मिली तो चुनाव निरस्त किया जाएगा। इसके बाद गाड़ी से सभी 20 ईवीएम उतार कर अंदर ले जाई गईं और जांच करने पर पता चला कि उसमें बटन पर चुनाव निशान की जगह अल्फा, बीटा, गामा आदि प्रतीक चिन्ह मिले। जांच प्रक्रिया देर रात दो बजे तक चली और यह बात सामने निकलकर आई कि वो डेमो मशीनें थीं, यानी उनका इस्तेमाल ट्रेनिंग के लिए हुआ था। बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट खोल कर भी लोगों को दिखाया गया, साथ ही वीवीपैट भी प्रत्याशियों के सामने प्रदर्शित किया गया। उसमें किसी प्रकार की पर्ची व पेपर रोल नहीं मिला। हालांकि सभी मशीनों की जांच को लेकर प्रत्याशी दबाव बनाते रहे तो प्रशासन रैंडम चेकिंग पर पर ही अड़ा रहा। ईवीएम के बैलेट यूनिट व कंट्रोल यूनिट के नंबर न दिए जाने का सवाल उठाए जाने पर इसे तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कर्मियों को बुलाया गया। इस पूरी प्रक्रिया से डीएम और कमिश्नर को दूर रखा गया।
ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सपा कार्यकर्ता काफी सशंकित हैं। निर्वाचन आयोग व पुलिस-प्रशासन पर अविश्वास जताते हुए उन्हें चौकन्ना रहने का निर्देश दिया गया है। सैकड़ों कार्यकर्ता रात-दिन पहड़िया स्थित मतगणना स्थल पर डटे हुए हैं। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल में दस मार्च को मतगणना के लिए सूबे में 81 प्रभारी नामित किए हैं। वाराणसी में एमएलसी वासुदेव यादव को यह जिम्मेदारी दी गई है। साथ अन्य जिलाध्यक्षों का पत्र भी लिखा है।
खुल गई अफसरों की कलई
बरेली के बहेड़ी में कूड़े की गाड़ी में बैलेट पेपर्स से भरे तीन बॉक्स मिलने के बाद वहां हंगामा शुरू हो गया। हालांकि, बरेली के डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने कहा कि ये आरओ की गलती से हुआ है। टीम इलेक्शन से जुड़ी सामग्री ला रही थी। जिसे गलती से कूड़े की गाड़ी में रख दिया गया और कोई मामला नहीं है। आपको स्ट्रांग रूम दिखा दिया गया। सब कुछ पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है।
दूसरी ओर, सोनभद्र में बैलेट पैपर्स से भरे बॉक्स मिलने के बाद राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास सपाइयों ने हंगामा किया। उनका आरोप था कि प्रशासनिक अधिकारी बैलेट पेपर को बदलवाने का प्रयास कर रहे हैं। जिसमें एसडीएम की गाड़ी और एक पिकअप हैं। दोनों को मतगणना केंद्र के बाहर रोका गया है। हंगामा करते देख मौके पर एडीएम के अलावा डिप्टी एसपी फोर्स के साथ पहुंच गए। सोनभद्र में सपाइयों ने आरोप लगाया कि अधिकारी बैलेट पेपर बदलने का प्रयास कर रहे थे।
जालौन में स्ट्रांग रूम परिसर में बार-बार आ जा रही एक कार से सपा कार्यकर्ताओं ने प्लास, छैनी और हथोड़ा बरामद किया, जिसे लेकर कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। सुरक्षा को देखते हुए स्ट्रांग रूम के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सुल्तानपुर के लंभुआ से सपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक संतोष पांडे ने एक वीडियो अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया। जिसमें एक डीसीएम पर कुछ बॉक्स लदे हुए थे। वीडियो के वायरल होते ही सपा कार्यकर्ता मंडी गेट पर पहुंचे और हंगामा करने लगे। खबर मिलते ही एएसपी विपुल श्रीवास्तव भारी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसी भी प्रकार की धांधली की बात को सिरे से खारिज किया। उधर पूरे मामले पर डीएम रवीश गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में जो ईवीएम के खाली बक्से थे उन्हें मंडी में शिफ्ट कर रहे थे।
अखिलेश के दावों में कितना दम?
यूपी विधानसभा के चुनाव में इस बार सबूतों के साथ आरोप गंभीर लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक वीडियो दिखाते हुए कहा है, "यूपी में अनगिनत वीडियो मिले हैं जिसमें साफ तौर पर दिखता है कि कई स्थानों पर ईवीएम चोरी हुई है। उत्तर प्रदेश में ईवीएम के रख-रखाव, प्रबंधन और चुनाव आयोग के अफसरों को लेकर कई गंभीर सवाल उठे हैं। उंगली गोदी मीडिया उर्फ गुल्लू मीडिया पर भी उठी है। बनारस में मोदी के रोड शो में जमकर भीड़ दिखाई गई, जबकि ज्यादा भीड़ सपा के रोड शो में थी। एग्जिट पोल के नतीजे इसलिए भाजपा के पक्ष में दिखाए जाते हैं ताकि ईवीएम की गड़बड़ियों को ढंका जा सके।"
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनाव विश्लेषक अमितेष पांडेय कहते हैं, "ईवीएम को लेकर जो वीडियो सामने आए हैं वह स्थानीय अफसरों के साथ ही चुनाव आयोग की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। अगर ईवीएम मूवमेंट का निर्देश चुनाव आयोग की तरफ से रहता है तो इसको सार्वजनिक चुनाव से पहले क्यों नहीं किया जाता? अगर गाड़ियों में ईवीएम ले आई ले जाई जाती है तो इसकी जानकारी उससे पहले सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती? अगर मूवमेंट की जानकारी सार्वजनिक कर दी जाएगी तो ईवीएम को लेकर सवाल खड़े नहीं होंगे। अगर नहीं की जा रही है, इसका मतलब सच में ईवीएम के साथ कुछ धांधली हो रही है? अगर ईवीएम मशीनें कूड़े के ढेर में मिल रही है तो इसकी जवाबदेही किसकी है? इसका जवाब कौन देगा? "
अमितेश यह भी कहते हैं, "क्या मीडिया सिर्फ एक पार्टी विशेष का प्रचार करने के लिए है? ईवीएम को लेकर, ईवीएम मशीनों के बाहर लाने और ले जाने को लेकर, इसकी जानकारी मीडिया क्यों नहीं दे रहा है? भाजपा के तमाम बड़े नेता, यूपी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, अनुराग ठाकुर आदि अखिलेश यादव का मजाक उड़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि वह हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जो ईवीएम और मतपत्रों के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, इसकी जांच कराने की बात क्यों नहीं हो रही है? अखिलेश यादव का मजाक उड़ाकर क्या इन वायरल हो रहे वीडियो की खबर को दबाने की कोशिश क्यों हो रही है? "
अपडेट:
डीएम/जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, नलिनी कांत सिंह ने मंगलवार को जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी और राजनैतिक दलों को बिना मूवमेंट प्लान शेयर किए बिना ही ईवीएम को प्रशिक्षण कार्य के लिए यूपी कॉलेज भेजा।
नलिनी कांत की इस लापरवाही की वजह से वाराणसी के प्रत्याशियों में बहुत बड़े भ्रम की स्थिति फैली। जिसे नियंत्रित करने में वाराणसी जिले की छवि गंभीर रूप से धूमिल हुई। ऐसी गंभीर अनियमितता के कारण नलिनी कांत सिंह अपर जिलाधिकारी (आपूर्ति) को ना सिर्फ ईवीएम नोडल प्रभारी के कार्य से अवमुक्त कर दिया गया बल्कि निर्वाचन के सभी कार्यों से हटा दिया गया। नलिनी कांत की जगह पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व संजय कुमार को ईवीएम का नोडल प्रभारी बनाया गया है।
(लेखक विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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