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यूपी-बिहार बजट: वादे हैं, वादों का क्या!

उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष ही चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार ने बजट में कमोबेश सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। उधर, बिहार में अभी विधानसभा चुनाव हुए ही हैं इसलिए वहां के बजट में प्रवासी मजदूरों के कल्याण जैसे अनेक सामाजिक मुद्दों को लेकर थोड़ी उदासीनता दिखी।
yogi nitish

पिछले दिनों पेश देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के 5वें और अंतिम पूर्ण बजट और राजनीतिक लिहाज से सबसे सक्रिय राज्यों में से एक बिहार के बजट में वादों की भरमार है। और क्यों न हो? खासकर, उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष ही चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार ने बजट में कमोबेश सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। उधर, बिहार में अभी विधानसभा चुनाव हुए ही हैं इसलिए वहां के बजट में प्रवासी मजदूरों के कल्याण जैसे अनेक सामाजिक मुद्दों को लेकर थोड़ी उदासीनता दिखी। दोनों ही राज्य भाजपा शासित हैं (भले ही बिहार में भाजपा सरकार में छोटे भाई की भूमिका में है) और केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना को दोनों ही राज्यों में परवान चढ़ाने की पुरजोर कोशिश हो रही है लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए नई योजनाएं लाने के जरिये उप्र सरकार इस मामले में बिहार सरकार की तुलना में ज्यादा संजीदा दिखाई पड़ रही है। उप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2021-22 का पेपरलेस बजट, जिसे विपक्ष पहले ही विकासलेस बजट करार दे चुका है, 5 लाख, 50 हजार 270 करोड़ रुपये का है जबकि बिहार का बजट 2,18,303 करोड़ रुपये का है।

कोविड संबंधित लॉकडाउन तथा लक्ष्य की तुलना में कम राजस्व प्राप्ति के कारण दोनों ही राज्यों को वित्तीय संकट से जूझना पड़ा, पर खासकर, अगले साल होने वाले चुनाव की वजह से योगी सरकार ने ‘आल इज वेल‘ का संदेश देने और उप्र की एक अलग ब्रांडिंग करने की कोशिश की। उप्र के इस वर्ष की बजट थीम आत्मनिर्भरता के जरिये सशक्तिकरण है और सरकार का हर घर जल, हर घर बिजली, हर गांव सड़क और हर गांव डिजिटल, हर घर खेत और हर हाथ नौकरी का वादा है।

केंद्र सरकार की ही तरह योगी सरकार और नीतीश कुमार सरकार के लिए भी दुखती रग साबित हो रहे बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं के आक्रोश को कम करने के लिए दोनों ही राज्यों में उन्हें पर्याप्त रोजगार मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया है तो आधी आबादी यानी महिलाओं को एक बार फिर से सब्ज़बाग़ दिखाये जाने की तैयारी शुरू हो गई है। उप्र में महिलाओं के लिए दो नई योजनाओं ‘मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण‘ तथा ‘महिला सामर्थ्य योजना‘ तथा ब्याज मुक्त ऋण का ऐलान किया गया। इन योजनाओं के लिए कुल 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बिहार में महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए विशेष योजना की घोषणा की गई है। कृषि कानूनों की वापसी, किसानों के प्रदर्शन और उनके गुस्से को झेल रहे इन राज्यों में किसानों को रिझाने के लिए दोनों ही राज्य सरकार ने उनकी आय दोगुनी करने का वही नारा दुहराया है जो केंद्र के स्तर पर पहले ही फ्लाप साबित हो चुका है। योगी सरकार ने किसानों के लिए नलकूपों से मुफ्त पानी, सहकारी समितियों से रियायती दर पर फसली कर्ज का प्रावधान, लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बजट में प्रावधान किया है। बिहार में सिंचाई की योजनाओं के साथ साथ गोवंश के लिए अस्पताल, गो पालन, मछली पालन, सोलर स्ट्रीट के वादों के जरिये किसानों को भरमाने की कोशिश की गई है।  

बजट और राज्य के भौगोलिक आकार तथा सामाजिक रुझान को देखते हुए जहां उप्र में बुनियादी ढांचों, पर्यटन स्थलों के विकास , अयोध्या में राम मंदिर, वाराणसी, चित्रकूट, विंध्याचल आदि पर विशेष फोकस दिया जा रहा है वहीं बिहार में चुनावी घोषणाओं को अमली जामा पहनाने का काम किया जा रहा है जिसके तहत 2021-22 के बजट में 7 निश्चय पार्ट-2 के लिए 4671 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। महिलाओं की उच्च शिक्षा के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

किसानों के आक्रोश का दंश झेल रही योगी सरकार ने किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 से आत्म निर्भर कृषक समन्वित विकास योजना संचालित करने की योजना बनाई है जिसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत 600 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। खेतों में काम करने वाले लोगों-किसानों, खेतिहर मजदूरों को दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री बीमा योजना के तहत कवर किया जाएगा। पेंशन योजना के लिए निर्धारित 3100 करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा किसानों को मिलेगा।

किसानों को मुफ्त पानी की सुविधा के लिए 700 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं जबकि रियायती दरों पर किसानों को फसली ऋण उपलब्ध कराये जाने के लिए अनुदान के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 15 हजार सोलर पंपों की स्थापना का लक्ष्य का निर्धारित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर खेत तक पानी पहुंचाने के साथ पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ‘पर ड्राप मोर क्राप‘ का नारा दिया था। योगी सरकार ने इसे अमली जामा पहनाने का प्रयास किया। सरकार की योजना आठ सिंचाई परियोजना को पूरा करने की है जिससे 16,41,000 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी जिससे लगभग साढ़े 40 लाख किसानों को फायदा मिलेगा। उप्र सरकार ने सबको 2024 तक पीने का पानी उपलब्ध कराने की योजना बनाई है और जल जीवन मिशन (ग्रामीण) योजना के तहत सभी घरों में पाइप से पानी मुहैया कराने के लिए बजट में 15, 000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके लिए शहरी निकायों में घरेलू कनेक्शन के साथ सर्व सुलभ जल आपूर्ति तथा अमृत शहरों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सरकार ने 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है।

शराबबंदी तथा स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए साइकिल के प्रयोगों के जरिये कई साल पहले ही बिहार की महिलाओं के वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बना चुके नीतीश सरकार ने एक बार फिर से आधी आबादी अर्थात महिलाओं को और लुभाने के लिए इस कार्यकाल के पहले बजट में कई प्रावधान किए हैं। इस वोट बैंक को पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लेने के लिए इंटर पास करने पर अविवाहित लड़कियों को 25 हजार रुपये जबकि ग्रेजुएशन करने पर 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है।  महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। महिलाओं को उद्योग के लिए पांच लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा, 5 लाख रुपये तक का लोन पर बिना किसी ब्याज के मिलेगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। महिलाओें को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा की गई है। कार्यालयों में आरक्षण के अनुरुप महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी। उच्च शिक्षा में छात्राओं को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। उच्चतर शिक्षा से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम के लिए 600 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है।

इस आधी आबादी पर योगी सरकार की भी नजर है। तीन तलाक से निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का चाहे उप्र की भाजपा सरकार को जितना चुनावी लाभ मिला हो पर प्रदेश की सभी महिलाओं को चुनावी सौगात देने में योगी सरकार भी ज्यादा पीछे नहीं रही है। 2021-22 के बजट में राज्य सरकार ने महिलाओें के लिए दो नई योजना का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना को और बेहतर कर लागू करने का फैसला किया गया है। महिलाओं और बच्चें में कुपोषण की समस्या के निदान के लिए मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना वित्तीय वर्ष 2021-22 से आरंभ की जाएगी। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। पुष्टाहार कार्यक्रम के लिए 4094 करोड़ रुपये तथा राष्ट्रीय पोषण अभियान के लिए 415 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 से महिला सामर्थ्य योजना के नाम से एक नई योजना अमल में लाई जाएगी जिसके लिए 200 करोड़ रुपये बजट में प्रस्तावित हैं। महिला शक्ति केंद्रों की स्थापना के लिए 32 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अभ्युदय कोचिंग योजना के तहत सरकार टैबलेट देने का भी कार्य करेगी जिसके लिए 20 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। 

स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान करने वाले सर्वाधिक मुफीद क्षेत्र खादी एवं ग्रामोद्योग योजना से जुड़ी मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के तहत सामान्य महिला एवं आरक्षित वर्ग के लाभार्थियों को 10 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त ऋण और सामान्य वर्ग के पुरुषों के लिए 4 फीसदी सालाना ब्याज पर बैंकों से ऋण मुहैया कराया जाएगा।

लॉकडाउन के आरंभ में प्रवासी मजदूरों की समस्या से निपटने में उप्र और बिहार दोनों ही सरकारों की खासी किरकिरी हुई थी। उप्र सरकार ने इससे सीख लेते हुए प्रवासी मजदूरों के लिए एक विशेष योजना तथा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक नई स्वास्थ्य स्कीम लागू करने का प्रावधान किया है जिसके लिए पांच लाख रूपये का हेल्थ कवर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मनरेगा के लिए भी उप्र में 5,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। लॉकडाउन के आरंभ होने पर लाखों की संख्या में अपने राज्य वापस लौटे मजदूरों के लिए मनरेगा योजना ने एक रक्षक की भूमिका निभाई थी। इसके अतिरिक्त, जल जीवन मिशन (ग्रामीण)  के लिए 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। प्रदेश में व्यापारियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा जिसमें व्यापारी के साथ दुर्घटना होने पर 10 लाख का बीमा कवर दिया जाएगा। जाहिर है, बिहार सरकार के लिए प्रवासी मजदूरों के कल्याण से संबंधित कोई भी ठोस योजना उसकी प्राथमिकता में नहीं थी, जो इस बड़े सामजिक मुद्वे पर उसकी उदासीनता बताती है।

उप्र में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए एक जनपद-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना आरंभ की गई है जिसके लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। उप्र स्टेट स्पिनिंग कंपनी की बंद पड़ी कताई मिलों की परिसंपत्तियों का पुनरोद्धार कर पीपीपी मोड में औद्योगिक पार्क, क्लस्टर इत्यादि स्थापित किए जाएंगे जिसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के लिए 100 करोड़ रुपये तथा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पारंपरिक कारीगरों के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए 30 करोड़ रुपये और माटीकला की परंपरागत कला एवं कारगरों के संरक्षण के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है। वस्त्रोद्योग क्षेत्र में 25,000 रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है और पावरलूम बुनकरों को रियायती दर पर बिजली दी जाएगी।

उप्र में बुनियादी ढांचे को भी खासी तरजीह दी गई है और विभिन्न एक्सप्रेस-वे तथा गांवों को सड़क से जोडने के लिए बजट में प्रावधान किया जा रहा है। एयर कनेक्टिविटी, आईटी एवं इलेक्ट्रोनिक्स, स्वच्छ भारत मिशन में इजाफा करने पर सरकार का पूरा जोर है। बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए सभी बच्चों को मिड डे मील सहित विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान किया गया है जबकि माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई गई है। जिस मंडल में राज्य विश्वविद्यालय नहीं है वहां राज्य विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाएगा।

बिहार में युवा शक्ति को बिहार की प्रगति का वाहक करार देने के जरिये उन्हें बेहतर प्रशिक्षण दिए जाने तथा उद्यमी बनाने का चारा डालने की कोशिश की गई है। वहां 2025 तक सात निश्चय-2 के तहत सात निश्चय तय किए गए हैं। बाजार की मांग के अनुसार, पुराने शिक्षण संस्थानों को भी आधुनिक बनाया जाएगा। सभी आईटीआई एवं पोलिटेक्निक कालेजों को उत्कृष्ट बनाया जाएगा। हर जिले में कम से कम एक मेगा स्किल सेंटर खुलेगा जिसमें शिक्षण संस्थानों से दूर रहने वाले कारीगरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। तीन नए मेडिकल कालेज खोलने की प्रक्रिया चल रही है तथा 14 पोलिटेक्निक कालेज खोले जा चुके हैं। स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उद्यमिता पर जोर है। कौशल विकास तथा उद्यमिता विभाग का गठन किया जाएगा। युवाओं को स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज मिलेगा जिसमें 5 लाख रुपये की सब्सिडी राशि होगी। हर जिले में मेगा स्किल सेंटर, हर प्रमंडल में टूल रूम बनाने की योजना है। कक्षा 6 से ऊपर के सभी बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा तथा प्रशिक्षण दिया जाएगा। विदेशों में स्टडी करने के इच्छुक बच्चों को डिजिटल काउंसलिंग सिस्टम विकसित की जा रही है।

जाहिर है दोनों ही प्रदेशों, खासकर उप्र की सरकार ने दिल खोलकर सभी वर्गों के लिए जनकल्याणकारी और मोहक प्रतीत होने वाली योजनाओं की सौगातें बांटी हैं पर ये सौगातें कितनी कागजी रह जाती हैं या और कितनी जमीनी स्तर पर आकार ले पाती हैं और कारगर साबित होती हैं, ये केवल आने वाला समय ही बता सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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