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यूपी: अपराध पर अंकुश के लिए डीजीपी के सर्कुलर में 'हिंदू पंचांग' का ज़िक्र!

पूर्व डीजीपी बोले “हिंदू पंचांग की बात करना मूर्खता है। शायद एक वर्ग को खुश करने के लिए ऐसा कहा गया होगा।”
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों और अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विजय कुमार ने राज्य भर के पुलिस अधिकारियों को उस समय का पता लगाने के लिए पंचांग या हिंदू कैलेंडर का उपयोग करने का निर्देश दिया है, जिस समय के दौरान अपराध होने की संभावना है। इसी के अनुसार निगरानी बढ़ाने का भी निर्देश दिया।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी द्वारा 14 अगस्त को जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि "रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चला है कि "हिंदू पंचांग के 'कृष्ण पक्ष' की 'अमावस्या तिथि' के एक हफ़्ते पहले एवं एक हफ़्ते बाद रात के वक़्त अपराध की अधिक घटनाएं होती हैं।"

न्यूज़क्लिक के पास आदेश की एक कॉपी है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है, “प्रदेश के सभी जिलों में घटित घटनाओं का विश्लेषण करने पर पाया गया कि हिंदू पंचांग की अमावस्या तिथि से एक हफ़्ते पहले व एक हफ़्ते बाद की रात्रि में अधिक घटनाएं घटित होती हैं। यह विश्लेषण हर महीने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के स्तर पर किया जाना चाहिए।”

सर्कुलर में कहा गया है कि 16 अगस्त, 14 सितंबर और 14 अक्टूबर को अमावस्या की तिथि है और अधिकारियों को इसके एक हफ़्ते पहले और बाद में सतर्क रहना चाहिए।

सर्कुलर में कहा गया है कि अमावस्या की तारीख से एक हफ्ते पहले और एक हफ्ते बाद तक क्राइम मैपिंग की जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि रात्रि गश्त अधिक 'प्रभावी ढंग से' की जानी चाहिए। सर्कुलर में आगे लिखा है कि इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, इस सर्कुलर के साथ हिंदू 'पंचांग' कैलेंडर की एक कॉपी भी अटैच की गई है।

सर्कुलर के मुताबिक, “अपराध की रोकथाम पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। प्रदेश में मजबूत पुलिसिंग के माध्यम से आम नागरिकों के बीच सुरक्षा का माहौल स्थापित करना है। इसके लिए ज़रूरी है कि रात्रि गश्त को अधिक से अधिक प्रभावी ढंग से किया जाए, ताकि आम जनता में अपनी सुरक्षा के प्रति विश्वास का भाव पैदा हो सके।”

डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को एक योजना तैयार करने के लिए क्राइम हॉटस्पॉट की पहचान करने और इस अवधि के दौरान आपराधिक घटनाओं की मैपिंग करने के लिए कहा। कुमार ने स्थानीय पुलिस को अपराध घटना विश्लेषण के अनुसार पुलिस प्रतिक्रिया वाहनों (पीआरवी) के लिए रूट योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, सर्कुलर के निर्देशों के अनुसार क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (CCTNS) और डायल 112 को अलर्ट मोड पर रहना होगा।

हालांकि इस बीच, 'पंचांग के अनुसार' अपराध पर अंकुश लगाने के डीजीपी के आदेश से राज्य में बहस छिड़ गई है।

यूपी के पूर्व डीजीपी विभूति नारायण राय ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सर्कुलर में हिंदू पंचांग का उल्लेख करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

पूर्व डीजीपी कहते हैं, “यह सच है कि कृष्ण पक्ष में अमावस्या से एक हफ़्ते पहले और एक हफ़्ते बाद तक अपराध बढ़ जाते थे, क्योंकि पूर्णिमा के बाद हर रात चंद्रमा का आकार घटता जाता है। जब मैं 1978 से 1995 तक पुलिस अधिकारी था, तब हमने भी गश्त बढ़ा दी थी, खासकर ग्रामीण इलाकों में। कारण यह था कि ग्रामीण इलाकों में सड़क और बिजली नहीं थी और ऐसे इलाकों में डकैती होती थी। लेकिन अब मैंने डकैतियों के बारे में नहीं सुना है क्योंकि गांव तारकोल की सड़कों से जुड़े हुए हैं और रात में बिजली की आपूर्ति भी की जाती है। हिंदू पंचांग की बात करना मूर्खता है। शायद एक वर्ग को खुश करने के लिए ऐसा कहा गया होगा।”

राय ने कहा, "डीजीपी के पास अपने दावों को साबित करने के लिए कुछ डेटा होना चाहिए। आज हमारा देश संरचनात्मक परिवर्तन (बिजली और सड़क) की दृष्टि से काफ़ी आगे बढ़ चुका है।"

पूर्व आईपीएस अधिकारी एस.आर. दारापुरी ने कहा, “पुलिस विभाग उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए क्राइम मैपिंग करता है जहां से चोरी, सेंधमारी और डकैतियों के ज़्यादातर मामले सामने आते हैं। पुलिस मैपिंग और संकेत प्राप्त करते समय एक फैक्टर टाइम, तारीख और स्थान डालती है। इसके बाद एक अधिकारी अपराधों को रोकने के लिए नीति बनाता है। यह सच है कि अमावस्या के दौरान अपराध बढ़ जाते हैं, लेकिन पंचांग शब्द का उपयोग करना समझ में नहीं आता है।”

एक अन्य पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने कहा कि "यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि यूपी में मौजूदा भाजपा सरकार के आने के बाद, हर योग्य अधिकारी को डर रहता है कि कहीं मुख्यमंत्री उससे नाराज़ न हो जाएं। ऐसा लगता है जैसे हम अभी भी किसी मध्ययुगीन काल में जी रहे हैं जहां अंधविश्वास और पौराणिक कथाएं ज़्यादा हावी हैं। संक्षिप्त में कहें तो, अधिकारियों का एक वर्ग अपने राजनीतिक मास्टर को खुश करने के लिए काम कर रहा है और उनके राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है, जो पूरी तरह से धार्मिक स्वरों से जुड़ा हुआ है।"

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

UP: DGP’s Circular Asks Officers to Use Hindu 'Panchang', Cites Rise in Crime During 'Amavasya'

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