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IIT-BHU गैंगरेप मामला: पुलिस की निष्पक्षता और बीजेपी का चाल-चरित्र दोनों सवालों के घेरे में

छात्रा से गैंगरेप के मामले के खुलासे ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या पुलिस को आरोपियों के बारे में पहले से सब मालूम था, लेकिन मामला सत्तारूढ़ दल से जुड़ा होने की वजह से उसने उनकी गिरफ़्तारी में इतनी देर की।
BHU protest
बढ़ता जा रहा छात्रों का हुजूम

IIT-BHU में बीटेक की छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार किए गए तीनों अभियुक्त बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता और पार्टी के आईटी सेल के पदाधिकारी थे। लंका थाना पुलिस ने 27 दिन पहले इन्हें हिरासत में लिया था, लेकिन रसूख इतना तगड़ा था कि तीनों को छोड़ना पड़ गया। पुलिस ने साठ दिन बाद दरिंदों के चेहरों से नकाब उठाया है। सोनभद्र में बीजेपी के विधायक रामदुलार गोंड को नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में आजीवन कारावास और बीएचयू कैंपस में गैंगरेप के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस, सपा समेत सभी विपक्षी दलों ने बीजेपी पर तीखा हमला किया है।

इसी के साथ तमाम बौद्धिक और नागरिक समाज के लोगों ने सवाल उठाया है कि, "जिस पार्टी के नेता-कार्यकर्ता मोरल पुलिसिंग करते घूमते हैं। दूसरों को नसीहत देते रहते हैं। दूसरों को वेलेंटाइन डे तक नहीं मनाने देते, जो प्यार के इजहार करने वालों पर डंडा लेकर हांका लगाते हैं और खुद गैंगरेप जैसे जघन्य वारदात को अंजाम देते हैं। और यही नहीं उस पर पर्दा डालने के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा देते हैं।  छात्रा के साथ हुई दरिंदगी की घटना से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि बीजेपी के लिए चाल-चरित्र और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ जुमला है और कुछ नहीं। महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को बचाने से लेकर छात्रा से गैंगरेप के आरोपियों को बचाने तक की कोशिश बीजेपी को कठघरे में खड़ी करती है। "  

बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने IIT-BHU में बीटेक द्वितीय वर्ष की छात्रा से गैंगरेप के अभियुक्तों में सुंदरपुर स्थित बृज एन्क्लेव कॉलोनी का कुणाल पांडेय, बजरडीहा के जिवधीपुर का आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और इसी मुहल्ले के सक्षम पटेल को गिरफ्तार किया है। तीनों अभियुक्त बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी हैं। कुणाल पांडेय बीजेपी की महानगर इकाई में आईटी विभाग का संयोजक और सक्षम पटेल सह-संयोजक था। आनंद दोनों का हमराही था और वह उनके साथ सभी कार्यक्रमों में शामिल होता था। बीजेपी ने इन्हें हटाने के लिए पहले कभी आदेश निर्गत नहीं किया था। पुलिस ने देर शाम तीनों आरोपियों को रिमांड मजिस्ट्रेट शिखा यादव की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। मामला सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने की वजह से पुलिस के आला अफसर इस मामले में खुलकर बोलने से बच रहे हैं।

दिग्गजों पर भी पड़े आरोप के छींटे

गैंगरेप में गिरफ्तार तीनों अभियुक्त पिछले पांच सालों से बीजेपी से जुड़े थे और आईटी सेल का काम देख रहे थे। इनके रसूख का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश के दिग्गज बीजेपी नेताओं के दौरे में इन्हें खास तवज्जो मिलती थी। चाहे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हों, काबीना मंत्री स्मृति ईरानी हों या आरएसएस के प्रमुख प्रचारक। गैंगरेप के आरोपितों के साथ इनकी व्यक्तिगत तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। तस्वीरें भी इस बात की गवाह हैं कि बीजेपी के दिग्गज नेताओं तक इनकी सीधी पहुंच थी।

रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाला आरोपित कुणाल पांडेय बीजेपी के एक सभासद का दामाद है। सह अभियुक्त सक्षम पटेल मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। वह यहां बजरडीहा में रहता है और बीजेपी के लिए काम करता था। भारतीय जनता पार्टी ने काशी क्षेत्र के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जब वरिष्ठ नेता दिलीप पटेल को सौंपी तो उन्होंने सक्षम पटेल को अपने साथ जोड़ लिया। दिलीप के सभी कार्यक्रमों में सक्षम आता-जाता था। सोशल मीडिया पर बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल की तस्वीरें वही अपलोड किया करता था।

सूत्र बताते हैं कि तीन दिसंबर 2023 को जब लंका थाना पुलिस ने सक्षम के साथ तीनों अभियुक्तों को उठाया तो क्षेत्रीय अध्यक्ष ने उससे दूरी बना ली और उससे सोशल मीडिया की जिम्मेदारी छीन ली। बीजेपी में निजी सहायक रखने का नियम भले ही नहीं है, लेकिन सक्षम पटेल खुद को क्षेत्रीय अध्यक्ष का पीए बताया करता था।

सोशल मीडिया पर गैंगरेप के दो आरोपित कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल के बीजेपी आईटी सेल से जुड़े होने का पुख्ता सबूत भी वायरल हो रहे हैं। 20 अगस्त 2021 का एक पत्र भी वायरल हो रहा है, जिसे खुद कुणाल पांडे ने सोशल मीडिया पर डाला था। बीजेपी के महानगर अध्यक्ष विद्याधर राय की ओर से पार्टी के लेटरहेड पर आईटी सेल के कार्यकर्ताओं की लिस्ट जारी की गई है। इसमें कुणाल पांडे को महानगर वाराणसी आईटी सेल का संयोजक बताया गया है। इस लेटर हेड पर कुणाल ने खुद भी दस्तखत कर रखा है। सक्षम पटेल को बीजेपी आईटी सेल के सह संयोजक के रूप में तैनाती दर्शाई गई है।

भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल से जुड़े तीनों पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अभियुक्तों के परिजन और उनके पड़ोसी भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सुंदरपुर इलाके के बृज एन्कलेव कॉलोनी में कुणाल पांडेय का आवास है, जहां सियापा छाया हुआ है। पड़ोसियों ने सिर्फ इतना बताया कि वो करीब पांच साल से बीजेपी के लिए काम कर रहे था। साल 2021 में अभियुक्त कुणाल की शादी पार्षद मदन मोहन तिवारी की बेटी के साथ हुई थी। सक्षम पटेल और आनंद उर्फ अभिषेक चौहान दोनों बजरडीहा के रहने वाले हैं।

क्षेत्रीय अध्यक्ष ने दी सफाई

गैंगरेप के अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद उठे बवंडर पर न्यूज़क्लिक ने बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल से बात की तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि सक्षम पटेल उनका पीए था। वह कहते हैं, "अजय राय का आरोप सरासर गलत और बेबुनियाद है। बीजेपी संगठन में पीए रखने की कोई परंपरा नहीं है। सक्षम पटेल से मेरा पहले कभी संबंध नहीं रहा। हमने कार्यभार संभाला तो वह मुझसे मिला और खुद को पार्टी का पुराना कार्यकर्ता हुए सोशल मीडिया की जिम्मेदारी उठाने की बात कही। मैंने उसे सिर्फ फोटो खींचने के लिए अपने साथ जोड़ा था। दो महीने पहले ही वह मेरे पास से चला गया था।"

पटेल ने यह भी कहा, "मैंने जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा और शहर अध्यक्ष विद्यासागर राय से जवाब तलब किया है कि आईटी सेल के पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाबत चिट्ठी कब और किसके आदेश से जारी की गई? हमें मौखिक तौर पर बताया गया कि मौजूदा समय में तीनों किसी पद पर नहीं थे। मैंने अभी तक संगठन के किसी नए पद पर नियुक्ति नहीं की है। आईटी सेल में नियुक्ति वाला पहले का पत्र पहले का है। मौजूदा समय में उसका कोई वजूद नहीं है।"

पटेल से जब यह पूछा गया कि आईटी सेल में नियुक्ति के बाबत जो आदेश जारी किए गए थे उसे निरस्त किए जाने के बाबत क्या कोई आदेश जारी किया गया था? इस पर उन्होंने कहा, "पता करके बताएंगे। अभियुक्त भले ही मेरी तस्वीरें खींचा करता था, लेकिन मैं आज तक कभी उसके घर नहीं गया। हमें तो बहुत दिनों बाद पता चला कि वह पटेल है और बिहार का रहने वाला है। बीजेपी किसी मामले में भेदभाव नहीं करती। चाहे कोई अपना हो या फिर पराया। अभियुक्तों को हम बचाएंगे नहीं। कानून अपना काम करेगा। दोषी हैं तो कड़ा एक्शन भी होगा।" 

इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार के स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा है कि आरोपी कोई भी हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। तीनों आरोपियों के बीजेपी से जुड़े होने को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवाल पर मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, "आरोपी कहीं का भी हो, कहीं से आया हो, बीजेपी में शरण ले रखा हो, अगर दोषी है तो सख्त कार्रवाई होगी।"

पुलिस सब जानती थी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में 01 नवंबर 2023 की रात करीब 1.30 बजे आईआईटी बीएचयू की छात्रा टहलने निकली थी। रास्ते में उसे एक मित्र मिला। दोनों कुछ दूर आगे बढ़े ही थे कि कर्मनबीर मंदिर के पास बुलेट सवार तीनों आरोपी कुणाल, सक्षम और आनंद ने उन्हें रोक लिया। ये तीनों पहले से ही घात लगाए बैठे थे। उन्होंने छात्रा के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया। सूत्र बताते हैं कि तीनों अभियुक्त अक्सर रात में बीएचयू में निकलने वाली छात्राओं को निशाना बनाया करते थे। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, दरिंदों ने छात्रा के दोस्त के साथ मारपीट की और बाद में उसके साथ गैंगरेप किया। फिर उसे निर्वस्त्र कर वीडियो बनाया। काफी देर तक उन्होंने छात्रा को बंधक बनाए रखा। बाद में वो मोबाइल फोन लेकर भाग गए।

घटना के अगले दिन आईआईटी बीएचयू के छात्रों ने आरोपियों की गिरफ्तारी और परिसर की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रदर्शन शुरू किया जो दस दिनों तक चला। इस बीच पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से जांच शुरू की। बीएचयू परिसर और गेट पर लगे सौ से अधिक सीसीटीवी फुटेज को देखा, जिससे तीनों आरोपियों की पहचान हुई। घटना के समय इनके फोन नंबर भी वहां सक्रिय पाए गए थे। पुलिस ने जब मोबाइल की सीडीआर फाइल निकाली तो पुलिस का संदेश पुख्ता यकीन में बदल गया और यह भी पता चल गया कि गैंगरेप को अंजाम देने वाले अपराधी कौन हैं?

गैंगरेप की वारदात को लेकर बीएचयू में जब छात्रों ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया तो इस मामले का रुख बदलने के लिए बाउंड्री वाल का मामला खड़ा कर दिया गया। बीएचयू के कुछ छात्रों ने पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लंका स्थित सिंहद्वार पर आंदोलन शुरू किया तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने आकर हंगामा कर दिया। बाद में फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनवाकर तमाम निर्दोष छात्रों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिए गए। पीड़ित छात्रों का आरोप है कि इस मामले में पुलिस की मिलीभगत थी और समूचे मामले में तत्कालीन एसीपी प्रवीण सिंह की भूमिका संदिग्ध रही।

बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने आईआईटी-बीएचयू की छात्रा से गैंगरेप करने वाले के तीनों अभियुक्तों की गिरफ्तारी 30 दिसंबर 2023 की रात में दिखाई है। पुलिस के मुताबिक, चेकिंग के दौरान उन्हें पकड़ा गया। पुलिस ने घटना में इस्तेमाल बुलेट भी बरामद कर ली है। इनका एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है जिसमें तीनों बुलेट पर बैठे हुए हैं। आरोप है कि घटना वाले दिन ये तीनों इसी बुलेट से आईआईटी कैंपस में घुसे थे और आधी रात में दोस्त के साथ टहल रही लड़की को बंधक बनाकर उसके साथ गैंगरेप किया था। घटना के दौरान आरोपियों ने लड़की का वीडियो भी बना लिया था।

आरोप है कि पीड़िता ने पुलिस को तहरीर देते समय अपने साथ गैंगरेप की वारदात का जिक्र किया था, लेकिन अफसरों ने बदनामी का खौफ दिखाते हुए सिर्फ छेड़छाड़ और मारपीट की तहरीर लिखवाई। एफआईआर में गैंगरेप का आरोप तब जोड़ा गया जब छात्रा ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया।

काशी जोन के डीसीपी आरएस गौतम के मुताबिक, "सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की मदद से तीनों आरोपियों को चिह्नित कर सर्विलांस सेल, क्राइम ब्रांच और लंका थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। तीनों के खिलाफ कठोर निरोधात्मक कार्रवाई प्रभावी तरीके से की जाएगी। पर्याप्त सुबूतों के साथ तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। बुलेट मोटरसाइकिल किसी संतोष नाम के व्यक्ति की है, लेकिन उसका इस्तेमाल कुणाल किया करता था। पुलिस ने जब आरोपियों के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो उनकी लोकेशन पहले मध्य प्रदेश और फिर लखनऊ में मिली। वो लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे। वारदात की रात बुलेट पर नंबर प्लेट नहीं थी, लेकिन बाद में जांच का रुख बदलने के लिए उन्होंने नंबर प्लेट लगा ली। पुलिस ने सुनियोजित रणनीति के तहत उदासीनता दिखाई। मामला शांत पड़ता देख तीनों घर लौट आए।"

आरोपियों के ऊपर तक हैं संबंध

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता प्रदीप श्रीवास्तव गैंगरेप की घटना को कुछ अलग तरीके से देखते हैं। वह कहते हैं, "पुलिस ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी जानबूझकर देर से की, क्योंकि इस मामले में सत्तारूढ़ दल बीजेपी के कार्यकर्ता शामिल थे। घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी में अब ज्ञानशीलता, एकता, चरित्र और ईमानदारी बात खत्म हो गई है। बीजेपी से जुड़े जो लड़के गैंगरेप में पकड़े गए हैं उनके ऊपर तक संबंध रहे हैं। जो फोटोग्राफ वायरल हो रही हैं उससे साफ जाहिर है कि उनकी गहरी पैठ रही है। इनकी बड़े नेताओं के साथ वायरल फोटोग्राफ सारी कहानी बयां कर रही हैं। हमें लगता है कि तीन राज्यों में चुनाव के चलते गिरफ्तारी में विलंब हुआ। जिन लड़कों पर फर्जी केस लादकर इस मामले का रूख मोड़ने की कोशिश की गई पुलिस प्रशासन को उनसे माफी मांगनी चाहिए।"

प्रदीप कहते हैं, "बीएचयू के इतिहास की गैंगरेप की यह जघन्यतम घटना थी। विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसी घटना कभी कैंपस में नहीं हुई। अब से पहले कभी गैंगरेप नहीं हुआ। शायद पुलिस बहुत दबाव में थी। उसने पहले जानबूझकर छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखी। बाद में अभियुक्तों को बचाने में जुट गई। गनीमत रही कि तत्कालीन एसीपी प्रवीण सिंह गौतमबुद्धनगर स्थानांतरित कर दिए गए, अन्यथा गैंगरेप का राज कभी खुलता ही नहीं।"

"छात्रा के मजिस्ट्रेटी बयान के बाद ही पुलिस बैकफुट पर आ गई थी जब अपने बयान में गैंगरेप की बात कही। पुलिस सब कुछ जानती थी और वह जानबूझकर अभियुक्तों पर हाथ नहीं डाल रही थी। शायद ऊपर से दबाव रहा होगा। हरी झंडी मिलने के बाद गिरफ्तारी दिखाई गई होगी। पुलिस अभी न्याय कर पाएगी, इसमें संदेह है। उसकी चार्जशीट पर नजर रखने की जरूरत है, अन्यथा तीनों ही अभियुक्त आसानी से छूट जाएंगे। योगी सरकार को चाहिए कि जिस तरह वह दूसरे अपराधियों के घरों को सरकार बुल्डोजर से ढहवा देती है, उसी तरह की कार्रवाई इन तीनों के घरों पर भी होनी चाहिए।”

इनसे सीधे मिलते थे पीएम-सीएम

अभियुक्तों की देर से हुई गिरफ्तारी पर बीएचयू के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने गंभीर सवाल खड़ा किया है। वह कहते हैं, "कितनी अचरज की बात है कि तीनों अभियुक्त बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बेहद करीबी हैं। इनकी पार्टी में इतनी अच्छी पकड़ थी कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से सीधे मिलते थे। दूसरी बात, अगर पुलिस ने उसी समय अभियुक्तों की सीडीआर फाइल निकलवा ली थी तो गिरफ्तारी दो महीने बाद क्यों की गई? वारदात के समय मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव पीक पर था और बीएचयू की घटना से बीजेपी का छीछालेदर हो सकती थी। जिस रोज मतगणना हो रही थी उस दिन तीनों अभियुक्तों को अगर थाने बुलाया गया तो उन्हें क्यों छोड़ा गया? क्या सियासी वजहों से अपराध को छिपाने की कोशिश की गई? कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने जब इस मामले का खुलासा किया तो उनके खिलाफ पुलिस ने फर्जी केस दर्ज कर लिया। आखिर यह कैसा सुशासन है कि अब अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी चुनावी वजहों से टाली जाने लगी है।"

बीजेपी पर हमला करते हुए पूर्व छात्र नेता अनिल यह भी कहते हैं, "बीजेपी के विधायक को रेप में आजीवन कारावास की सजा और अब गैंगरेप में पार्टी के आईटी सेल के लोगों की गिरफ्तारी ने सत्तारूढ़ दल का चेहरा उधेड़कर रख दिया है। इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए, क्योंकि वह बनारस के सांसद भी हैं। बीजेपी के नेताओं और पुलिस अफसरों को उन छात्रों से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने गैंगरेप की घटना के बाद फर्जी मामले दर्ज किए और कराए। इस समूचे मामले में भेलूपुर के तत्कालीन एससीपी प्रवीण सिंह की भूमिका की जांच होनी चाहिए। पुलिस को थाने के उस सीसीटीवी फुटेज को खुर्द-बुर्द नहीं करना चाहिए जब 27 दिन पहले तीनों अभियुक्तों को पुलिस हिरासत में थाने लाया गया था।"

"जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि जब पुलिस ने अभियुक्तों को पहले पकड़ लिया था तो किसके दबाव में सभी को छोड़ा गया? विपक्षी दलों के नेताओं और मुसलमानों के खिलाफ मामूली घटनाओं में उनके घरों को ढहा देने वाली योगी सरकार बीएचयू कैंपस में हुई जघन्य वारदात के बाद खामोश क्यों हैं? इनके घरों पर बुल्डोजर क्यों नहीं चलवाए जा रहे हैं? बीजेपी सरकार के नियम दूसरों के लिए अलग और अपनों के लिए अलग क्यों हैं?

एक अभियुक्त की तस्वीर आरएसएस के एक प्रचारक के साथ भी वायरल हो रही है तो बीजेपी के तत्कालीन संगठन मंत्री के साथ भी। तीनों अभियुक्त बीजेपी के एक विधायक की खोज बताए जा रहे हैं। गैंगरेप प्रकरण में बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल ही नहीं, जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा और नगर अध्यक्ष विद्यासागर राय की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सवाल यह है कि जब 27 दिन पहले तीनों को पुलिस ने उठाया था उसी समय बीजेपी ने उन्हें बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखाया? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े नौ साल के कार्यकाल की यह पहली घटना है जब बीजेपी की इतनी बुरी तरह से छीछालेदर हुई है।

"राष्ट्रवादी एंकर" क्यों नहीं पूछ रहे सवाल

वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने ट्वीट कर मुख्यधारा की मीडिया पर सवाल खड़ा करते हुए लिखा है, "प्रधानमंत्री से लेकर योगी और नड्डा तक ऐसे लड़के कैसे पहुंचे? इनके इतने बड़े गुनाह के बाद भी किसी चैनल पर ये तस्वीरें चल रही हैं क्या? इनके फोटो दिखाकर कोई "राष्ट्रवादी एंकर" बीजेपी से सवाल पूछ रहा है क्या?"

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अखिलेश यादव ने गैंगरेप के अभियुक्तों में बीजेपी के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद करारा हमला बोला है। सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, "ये हैं भाजपा के दिग्गज नेताओं की छत्रछाया में सरेआम पनपते और घूमते भाजपाइयों की वो नयी फसल, जिनकी ‘तथाकथित ज़ीरो टॉलरेंस सरकार’ में दिखावटी तलाश जारी थी लेकिन पुख़्ता सबूतों और जनता के बीच बढ़ते गुस्से के दबाव में भाजपा सरकार को आख़िरकार इन दुष्कर्मियों को गिरफ़्तार करना ही पड़ा, ये वही भाजपाई हैं जिन्होंने बीएचयू की एक छात्रा के साथ अभद्रता की सभी सीमाएं तोड़ दी थीं।"

"देशभर की एक-एक नारी देख रही है कि भाजपा नारी-सम्मान के साथ कैसा मनमाना खिलवाड़ कर रही है और महिला अत्याचार, उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपियों को बचा रही है। आगामी चुनाव में महिलाएं भाजपा को एक भी वोट नहीं देंगी। महिलाएं ही भाजपा की हार का कारण बनेंगी। भाजपा का सच आज जनता के सामने है। जनता आगामी चुनाव में भाजपा को हराकर अपना फ़ैसला भी देगी और महिलाओं के साथ इंसाफ़ करेगी।"

एक्स हैंडल पर भी समाजवादी पार्टी का बयान आया है, "बीजेपी की गारंटी : सत्ता की हनक में भाजपाई करेंगे शोषण ! IIT-BHU में गनपॉइंट पर छात्रा के कपड़े उतरवाकर वीडियो बनाने और गैंगरेप करने वाले आरोपी भाजपा सोशल मीडिया के सदस्य हैं शर्मनाक! प्रदेश में बहन-बेटियां असुरक्षित, बीजेपी वाले ही हैं खतरा। इन आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिले, सरकार न दे संरक्षण।"

गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है, "मैंने उसी समय कहा था कि इस मामले में बीजेपी के लोग शामिल हैं। तब मुझे निशाना बनाते हुए मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। मेरी बात बिल्कुल सच साबित हुई। बीएचयू के स्टूडेंट्स इस मुद्दे को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे। दबाव बढ़ने पर पुलिस ने अब कार्रवाई की। बीजेपी के लिए ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’ बस एक नारा है।"

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेता ने कहा कि मामला बनारस का है, लेकिन अभी तक न वहां के सांसद मोदी और न ही महिला विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक भी शब्द बोला है, लेकिन एक बात साफ है कि बीजेपी न सिर्फ बलात्कारियों को संरक्षण देती है, बल्कि उन्हें ऊंचे पद और शीर्ष नेतृत्व के करीब भी रखा जाता है। ऐसी पार्टी और उनके नेताओं पर धिक्कार है।"

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सोशल मीडिया की चेयरमैन पंखुड़ी पाठक ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है, "आईआईटी बीएचयू की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले कुणाल पांडेय और सक्षण पटेल बीजेपी के पदाधिकारी हैं। क्या इसी वजह से यूपी पुलिस को गिरफ्तारी करने में इतना समय लगा? भाजपा बलात्कारियों और अपराधियों का गढ़ बन चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में उनके ही पदाधिकारियों द्वारा किए गए घिनौने अपराध के लिए कौन जिम्मेदार है?"

समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा और वरिष्ठ नेता मनोज राय धूपचंडी ने कहा है कि, "बीजेपी का  शीर्ष नेतृत्व पीएम, सीएम, डिप्टी सीएम समेत पार्टी के तमाम नेताओं के साथ इनकी अंतरंगता थी। बीजेपी के नेता ही इन्हें संरक्षण दे रहे थे। इनकी तस्वीरें सच्चाई को खुद बयां कर रही हैं। बेटी बचाओ अभियान की असलियत यही है कि भाजपाइयों से बेटी बचाओ। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बेटियां ही सुरक्षित नहीं हैं तो देश कैसे सुरक्षित रहेगा? वैसे भी यूपी की कानून व्यवस्था तो भगवान भरोसे ही चल रही है।"

(लेखक बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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