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यूपी: वेतन कटौती के ख़‍िलाफ़ KGMU के संविदा कर्मचारी हड़ताल पर

कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया गया जबकि सार्वजनिक छुट्टियों के लिए वेतन काटा गया। उन्होंने श्रम कानूनों के तहत कैशलेस चिकित्सा उपचार, मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधाओं की भी मांग की।
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लखनऊ: कथित वेतन कटौती को लेकर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के संविदा कर्मचारियों ने बुधवार को ट्रॉमा सेंटर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। 20 दिसंबर, 2023. (फोटो:PTI)

लखनऊ: लखनऊ में किंग्स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लगभग 2,000 संविदा कर्मचारी वेतन कटौती और वेतन भुगतान में देरी के विरोध में बुधवार को हड़ताल पर चले गए। हड़ताल के परिणामस्वरूप बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) और संबंधित सेवाएं बंद हो गईं। केजीएमयू ने कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए जिम्मेदार एजेंसी की जांच शुरू कर दी है।

अस्पताल प्रशासन और सेवा प्रदाता कंपनी जेम(XEAM) वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ नारे लगाते हुए आंदोलनकारी संविदा कर्मचारी केजीएमयू अधीक्षक कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और ओपीडी की ओर मार्च किया। आंदोलनरत कर्मचारियों ने उन्हें काम पर रखने वाली भर्ती एजेंसी पर वादे से कम वेतन देने का आरोप लगाया।

प्रदर्शन कर रहे संविदा कर्मियों ने ट्रॉमा सेंटर के प्रवेश द्वार भी बंद कर दिए जिससे आपातकालीन मरीजों को पिछले दरवाजे से प्रवेश लेना पड़ा।

कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया गया जबकि सार्वजनिक छुट्टियों के लिए वेतन काटा गया। उन्होंने श्रम कानूनों के तहत कैशलेस चिकित्सा उपचार, मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधाओं की भी मांग की।

"केजीएमयू में पूर्णकालिक कर्मचारियों की तुलना में संविदा कर्मचारी अधिक हैं जो इसके सुचारू संचालन में बड़ा योगदान दे रहे हैं लेकिन हमें केवल कम वेतन दिया जाता है। हमारा मानदेय बढ़ाने के बजाय हमारा वेतन काटा जा रहा है। हमने पहले भी कई विरोध प्रदर्शन किए। हाल ही में नवंबर में, केजीएमयू विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने एक बैठक में हमें साप्ताहिक अवकाश के लिए बिना कटौती के पूरा वेतन देने का वादा किया था। लेकिन मुझे कुछ कटौतियों के बाद अपना भुगतान मिला,'' एक लैब तकनीशियन अमित ने कहा, जिन्हें 12,000 रुपये देने का वादा किया पर दिसंबर के वेतन के रूप में 8,700 रुपये ही मिले थे।

अमित ने विश्वविद्यालय अधिकारियों पर सरकार द्वारा घोषित छुट्टियों पर काम पर नहीं आने का भी आरोप लगाया। इसलिए उन दिनों के लिए कोई कटौती नहीं होनी चाहिए।

एक अन्य संविदा कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया, "अगर केजीएमयू अपने इलाज के लिए प्रसिद्ध है तो इसका श्रेय सुचारू रूप से काम करने के लिए भी हमें जाता है। लेकिन जब हमें भुगतान करने की बात आती है तो हम हमेशा अपनी मेहनत की कमाई के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है। कोविड-19 के दौरान सरकार ने हमें प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था लेकिन यह झूठा वादा था।”

कर्मचारियों को यह आश्वासन दिए जाने के बाद कि उनके सभी लंबित बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा हड़ताल समाप्त कर दी गई। कर्मचारियों के वेतन प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एजेंसी ने वेतन कटौती की जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है और स्थिति को सुधारने का वादा किया है।

हालांकि, ज़ेम वेंचर्स के प्रबंधक संजय श्रीवास्तव ने कहा, "हमने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि संबंधित विभागाध्यक्षों (विभागों के प्रमुखों) द्वारा अनुमोदित उनकी मैन्युअल उपस्थिति के आधार पर राशि में किसी भी अंतर का भुगतान जल्द ही किया जाएगा ताकि यह दोहराया न जाए। हम यह सुनिश्चित करेंगे।" उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की अन्य मांगों पर विचार किया जाएगा और समुचित उपाय किए जाएंगे।

केजीएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर सुधीर सिंह ने भी प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

श्री सिंह ने कहा, "विश्वविद्यालय इन कर्मचारियों को एक कंपनी के माध्यम से काम पर रखता है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि कर्मचारियों के मुद्दों का समाधान किया जाए। एक व्यापक जांच के बाद, यह निर्धारित किया गया कि जेम वेंचर्स, अनुबंध श्रमिकों के पेरोल को संभालने के लिए प्रभारी सेवा प्रदाता है तथा अनजाने में वेतन कटौती के लिए जवाबदेह है।”

गौरतलब है कि केजीएमयू के बाह्य रोगी विभाग में प्रतिदिन औसतन लगभग चार हजार नए मरीज आते हैं। हर दिन, अस्पताल में कम से कम 500 मरीज़ भर्ती होते हैं, जिसमें कुल 4,500 बिस्तर हैं। जब अचानक हड़ताल बुलाई गई तो ब्लॉक में दर्जनों अन्य नैदानिक सुविधाओं के अलावा, कम से कम 2,000 लोग ओपीडी में थे।

पिछले सप्ताह, कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड हॉस्पिटल (KSSSCIH) के सौ से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन में कटौती और मानदेय में वृद्धि और संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस (SGPGIMS) में अपने समकक्षों के समान वेतन के खिलाफ हड़ताल पर जाने के बाद स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं। वही जेम वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी यहां नियुक्ति प्रक्रिया और प्रबंधन संभालती है।

मार्च में, KSSSCIH नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ ने वेतन कटौती के खिलाफ काम का बहिष्कार किया और कहा कि यह बिना किसी पूर्व सूचना के किया गया था।

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

UP: KGMU Contract Workers on Strike Against Salary Deduction, Demands Basic Facilities

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