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यूपी: परीक्षाओं का पेपर लीक और रद्द होना योगी सरकार की बड़ी विफलता है!

सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरों टॉलरेंस के दावे के बीच बार-बार सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के मामले कैसे सामने आ रहे हैं, क्या सरकार की नीयत और नीति अलग-अलग है?
Yogi

‘रामराज’ में छात्र सरकारी नौकरी की तलाश में सालों-साल तैयारी करते हैं। उम्मीद से परीक्षा देने पहुंचते हैं, और फिर कुछ लोगों की धांधली, भ्रष्टाचार और नकारेपन से हजारों ईमानदार छात्रों की मेहनत, पैसा और समय एक पल में ही सब बर्बाद हो जाता है। ज़रा सोचिए आख़िर इसका जिम्मेदार कौन है?

पेपर लीक होने के चलते उत्तर प्रदेश में रविवार, 28 नवंबर को आयोजित हो रही उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) रद्द हो गई है। इससे पहले इसी साल मार्च में धांधली के कारण 2018 में हुई UPSSSC ग्राम विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा करीब तीन साल बाद निरस्त हो गई थी। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक ओर युवाओं को रोज़गार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार के चलते एक के बाद भर्ती परीक्षाओं को निरस्त कर हज़ारों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। पिछले चार साल में चार लाख नौकरियों का दावा करने वाली बीजेपी की योगी सरकार प्रदेश के युवाओं को रोज़गार देने के नाम पर रोज़ अपनी ही फ़ज़ीहत करवाती नज़र आ रही है।

बता दें कि यूपी में साल 2017 में बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक कई सारी भर्तियां रद्द हो चुकी हैं। साल 2019 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबॉर्डिनेट परीक्षा, सितंबर 2018 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ही नलकूप चालक चयन परीक्षा, 2018 में UPPSC की LT ग्रेड परीक्षा, PCS मेंस, उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपरेशन UPPCL की परीक्षा भी पेपर लीक के कारण रद्द कर दी गई थीं। जुलाई 2017 में दरोगा, पीएसी प्लाटून कमांडर और फायर फायटिंग अधिकारी के 3307 पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन एग्जाम से ठीक पहले भी पर्चा लीक होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद सरकार ने परीक्षा को रद्द कर दिया था। इन सभी भर्तियों में धांधली और पेपरलीक के चलते लाखों अभ्यार्थियों के भविष्य अधर में लटक गए हैं।

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क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से आयोजित की जाने वाली परीक्षा है। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए इस परीक्षा को पास करना जरूरी है। यह परीक्षा साल में एक बार होती है और पास होने पर इसका सर्टिफिकेट हमेशा के लिए मान्य होता है। 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक रविवार, 28 नवंबर को प्रदेश भर में UPTET की परीक्षा आयोजित हो रही थी। अभ्यर्थी अपने केंद्रों पर पेपर देने भी पहुंच चुके थे और कुछ जगहों पर तो परीक्षा शुरू भी हो गई थी। लेकिन परीक्षा शुरू होने से पहले ही पेपर वॉट्सऐप पर लीक हो गया। इसके बाद ये परीक्षा रद्द कर दी गई। UPTET की इस परीक्षा में 21 लाख अभ्यर्थी बैठने वाले थे और ये परीक्षा दो पालियों में आयोजित होने वाली थी। इस मामले में यूपी STF ने अलग-अलग जिलों से लगभग दो दर्जन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इन संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है।

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पेपर लीक होने और परीक्षा रद्द होने के बाद सोशल मीडिया पर #UPTET ट्रेंड कर रहा है। कई लोग इस मुद्दे पर मीम्स शेयर कर रहें हैं, वहीं कई लोग प्रदेश सरकार को कोस रहे हैं। इन सब से उधर दूर-दूर से परीक्षा केंद्र पहुंचे छात्र अपने पैसे और समय की बर्बादी की जवाबदेही सरकार से मांग रहे हैं। कई अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा के लिए UPSI यानी यूपी पुलिस सब इंस्पेक्टर का एग्जाम छोड़ दिया था, क्योंकि SI का एग्जाम भी UPTET के एग्जाम के दिन ही था।

 बलिया से परीक्षा देने बनारस पहुंचे एक अभ्यर्थी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया कि एग्जाम सेंटर तक आने में उनके करीब 4000 रुपये खर्च हो गए। और ऊपर से यूपीएसआई की परीक्षा छूट गई, उसका नुकसान अलग से हुआ।

अभ्यर्थी कहते हैं, “एक तो सरकार ने एक ही दिन दो परीक्षाएं आयोजित कर आधे लोगों का पहले ही नुकसान कर दिया। ऊपर से टीईटी की परीक्षा के उम्ममीद में इतनी दूर मेहनत करके आए वो भी रद्द हो हो गई। ऐसा लगता है कि हर बार का यह पैटर्टन हो गया है। पहले वैकेंसी नहीं निकलती, फिर पेपर भी हो जाए, तो रद्द हो जाते हैं और अगर सबकुछ हो जाए तो भी नियुक्ती लटक जाती है। ऐसा लगता है मानो सरकार चाहती ही नहीं कि हमें नौकरी मिले।"

एक अन्य व्यक्ति जो अपनी बेटी को बहराइच से श्रावस्ती एग्जाम सेंटर पेपर दिलवाने लाए थे, उनका कहना है कि इस पेपर के रद्द हो जाने से उनका पैसा तो बर्बाद हुआ ही साथ में उनका समय भी खराब हुआ। उनका कहना है कि दो साल से कोरोना था तब कोई पेपर नहीं हुआ, अब दो साल बाद जब पेपर हुआ तो ये लीक हो गया। सरकार सिर्फ बड़ी-बड़ी बाते करती है, काम नहीं।

उन व्यक्ति के मुताबिक अभी अगले महीने CTET का पेपर होने वाला है, उसका सिलेबस इससे अलग है, UPTET यूपी के लिए होता है जबकि CTET सेंट्रल है। दोनों के सिलेबस अलग हैं। अब जब ये पेपर भी अगले महीने होगा तो बच्चे एक ही साथ दो अलग पेपर की तैयारी कैसे करेंगे।

इस मामले में अभ्यर्थी सोशल मीडिया के जरिए भी अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। प्रवीण कुमार सिंह नाम के एक अभ्यर्थी ने ट्वीट किया, “यह काफी शर्मनाक है कि सरकार पारदर्शी तरीके से एक एग्जाम भी नहीं करवा पा रही है।”

इसी तरह कुंवर सिंह नाम के यूजर ने ट्वीट किया, “परीक्षार्थी रात दिन कड़ी मेहनत करते हैं। साल भर एग्जाम का इंतजार करते हैं। अचानक से पता चलता है कि पेपर लीक हो गया है। इससे परीक्षार्थियों पर क्या असर पड़ेगा। भ्रष्ट अधिकारी मजे कर रहे हैं। सभी एग्जाम की हालत एक जैसी है।”

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सरकार क्या कह रही है?

सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश द्विवेदी का बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया को बताया कि UPTET की परीक्षा के पेपर लीक होने की सूचना मिली है, इसलिए दोनों पालियों की परीक्षा तत्काल प्रभाव से निरस्त की जा रही है। एक महीने बाद फिर से परीक्षा कराई जाएगी। अभ्यर्थियों से कोई अतिरिक्त फीस नहीं ली जाएगी। मामले की जांच UP STF को सौंपी जा रही है ताकि दोषियों के ऊपर कार्रवाई की जा सके।

वहीं यूपी लॉ एंड ऑर्डर एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि इस पूरे मामले में प्रदेश भर से 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास पेपर की फोटो कॉपी मिली हैं। एक महीने के भीतर दोबारा से पेपर कराया जाएगा।

विपक्ष ने योगी सरकार पर फिर उठाए सवाल

आए दिन कानून व्यवस्था के मामले में विपक्ष के निशाने पर रहने वाली योगी सरकार पेपर लीक मामले को लेकर एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस पूरे मामले में विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी की योगी सरकार को विफल करार देते हुए युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली सरकार बताया है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट के जरिए योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “UPTET 2021 की परीक्षा का पेपर लीक होने की वजह से रद्द होना बीसों लाख बेरोजगार अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बीजेपी सरकार में पेपर लीक होना, परीक्षा और परिणाम रद्द होना आम बात है। उत्तर प्रदेश में शैक्षिक भ्रष्टाचार चरम पर है।”

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, “भर्तियों में भ्रष्टाचार, पेपर आउट ही बीजेपी सरकार की पहचान बन चुका है। आज यूपी टेट का पेपर आउट होने की वजह से लाखों युवाओं की मेहनत पर पानी फिर गया। हर बार पेपर आउट होने पर योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने भ्रष्टाचार में शामिल बड़ी मछलियों को बचाया है, इसलिए भ्रष्टाचार चरम पर है।”

गौरतलब है कि एक के बाद एक परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ी शासन-प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती है। भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करने वाली योगी सरकार हर बार अपनी इस विफलता पर बस जांच की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल ये भी है कि सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरों टॉलरेंस के दावे के बीच बार-बार सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के मामले कैसे सामने आ रहे हैं, क्या सरकार की नीयत और नीति अलग-अलग है?

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