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यूपी निकाय चुनाव: भाजपा की शानदार जीत.. बसपा-सपा और कांग्रेस को एक भी मेयर नहीं।

नगर निगम चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है, हालांकि सपा-बसपा कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है।
uttar pradesh

यूपी निकाय चुनाव के रिजल्ट आ रहे हैं, ख़बर आने तक 17 नगर निगम में भाजपा क्लीन स्वीप करती नजर आ रही है। मेयर के चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता कर नहीं खुला। हालांकि एक वक्त पर बसपा जरूर भाजपा को टक्कर देती हुई दिखाई दे रही थी। नगर पालिका और पंचायत में जरूर सपा को बसपा-कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं, लेकिन निर्दलीय को पीछे नहीं छोड़ पाई है।

यूपी में नगर निकाय की कुल 760 सीटों पर चुनाव हुए हैं, जिनमें 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायत की सीटें हैं। इसके अलावा 13 हजार के करीब वार्ड सदस्य की सीटें है।

नगर पालिका अध्यक्ष की 199 सीटों में से भाजपा 88 सीटें और उसके बाद निर्दलीय दूसरे नंबर पर रहे हैं। इसी तरह नगर पंचायत की 544 अध्यक्ष की सीटों में 170 सीटों पर भाजपा और उसके बाद 150 सीट पर निर्दलीय जीत दर्ज करती दिख रही है। बसपा, सपा और कांग्रेस के उम्मीदार निर्दलीय से पीछे दिख रहे हैं।

निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा भाजपा की दांव पर लगी थी, क्योंकि शहरी इलाके हमेशा से भाजपा के गढ़ रहे हैं, पिछली बार भाजपा मेयर चुनाव में बेहतर प्रदर्शन था,  लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ गई थी, इस बार के चुनाव में भाजपा ने मेयर से लेकर नगर पालिका और पंचायत अध्यक्ष सीटों पर भी जीत का परचम फहराया है।

पहली बार ऐसा हुआ था कि भाजपा ने किसी निकाय चुनाव में इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को टिकट दिए थे, यानी इन चुनावों में नगर निकाय चुनाव में पहली बार 350 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे और उसमें 90 फीसदी पसमांदा मुस्लिम थे। नगर निगम में पार्षद उम्मीदवार,  नगर पालिका की छह अध्यक्ष और सभासद सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट दिए। इसी तरह नगर पंचायत में अध्यक्ष पद की 38 सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 18 नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं, ब्रज क्षेत्र में 8, अवध क्षेत्र में 6, गोरखपुर क्षेत्र में दो मुस्लिम चेहरों को प्रत्याशी बना रखा है। सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली, गोरखपुर, जौनपुर, लखनऊ सहित कई जिलों में सभासद और पार्षदों के टिकट भी मुस्लिमों को दिए गए हैं। ये प्रयोग सफल रहा और मुस्लिम बहुल बूथों पर जीत मिली।

वैसे तो भाजपा ने प्रदेश में ज़बरदस्त जीत दर्ज की है, लेकिन प्रयागराज में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के वार्ड 80 मोहत्सिमगंज में भाजपा की शर्मनाक हार हुई। इस वार्ड से निर्दलीय प्रत्याशी कुसुम लता गुप्ता 1674 वोट से जीतीं हैं। जबकि बाजपा प्रत्याशी विजय वैश्य को 1275 वोट मिले हैं। नंदी के 932 नंबर बूथ पर भाजपा को महज 150 वोट मिले। निवर्तमान मेयर और मंत्री नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता ने भी इसी बूथ पर वोट डाला था।

वैसे तो राजनीतिक विश्लेषक और पार्टियां इन्हें 2024 लोकसभा चुनावों से जोड़कर देख रही हैं, क्योंकि लोकसभा से पहले 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में ये आखिरी चुनाव हैं, ऐसे में इन चुनावों के ज़रिए शहरों के गली-मुहल्लों में पार्टी के कार्यकर्ताओं का काम कितना पसंद किया जा रहा है, या उनके काम में कितनी आक्रामकता या तेज़ी दिखाई पड़ रही है, तो उसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश फिलहाल कांग्रेस से तो बहुत दूर जाता दिखा रहा है, दूसरी ओर राज्य की दोनों बड़ी पार्टियां सपा और बसपा भी कुछ खास कमाल दिखा पाने में कामयाब नहीं हो पाईं। ऐसे में विपक्षी दलों को उत्तर प्रदेश के भीतर आत्ममंथन करने की ज़रूरत है।

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