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"यूपी सरकार का आंगनवाड़ी कायाकल्प अभियान चुनावी हथकंडा"

राज्य सरकार की योजना आंगनवाड़ी केंद्रों को सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के मामले में सरकारी संस्थानों के बराबर लाने की है।
Anganwadi Kayakalp Campaign
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य आंगनवाड़ी कायाकल्प अभियान के तहत पीने योग्य पानी, बच्चों के लिए सुलभ शौचालय, हाथ धोने के सामूहिक स्‍थान और बच्चों के अनुकूल अन्य सुविधाओं में सुधार के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों के बुनियादी ढांचे को बदलना है।

एक प्रेस रिलीज के अनुसार सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के मामले में आंगनवाड़ी केंद्रों को सरकारी संस्थानों के बराबर लाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है।

सोमवार को लखनऊ में आयोजित एक कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा, ''बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने में आंगनवाड़ी केंद्रों का कायाकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इन केंद्रों पर बच्चों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, पोषण और शिक्षा सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए सभी विभाग के अधिकारियों को मिलकर काम करना चाहिए।'’

छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को आवश्यक बाल देखभाल सेवाएं, पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करने वाले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगभग 1,89,000 आंगनवाड़ी केंद्रों को बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कहा, "आंगनबाड़ी कायाकल्प अभियान के माध्यम से सुविधाओं और सेवाओं को बच्चों के अनुकूल और जीवंत बनाकर इस सपने को साकार किया जा सकता है।"

एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने कहा, "आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियां की जा रही हैं।"

उन्होंने कहा कि परिवर्तन 18 संकेतकों के आसपास किया जाएगा जिसमें बच्चों के अनुकूल शौचालय, मूत्रालय, सामूहिक हाथ धोने की इकाइयां, पीने के पानी का प्रावधान, बिजली, मौजूदा संरचनाओं की मरम्मत और नवीकरण और अन्य बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं। "यह अभियान क्षमता निर्माण और बेहतर सेवाओं के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की सहायता पर भी केंद्रित है।"

उन्होंने आगे कहा,186000 आंगनवाड़ी केंद्रों का बेसलाइन सर्वे किया जा चुका है। “राज्य के हर ब्लॉक में मॉडल आंगनवाड़ी कायाकल्प लर्निंग लैब बनाई जा रही हैं। समग्र शिक्षा अभियान और यूनिसेफ के साथ संयुक्त रूप से राज्य में वास्तविक समय डैशबोर्ड के साथ 18 प्रमुख कायाकल्प संकेतकों पर एक ऑनलाइन मूल्यांकन-सह-योजना उपकरण शुरू किया गया है।”

यूनिसेफ के कुमार बिक्रम ने कहा कि स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण हर बच्चे का अधिकार है। “आकर्षक आंगनवाड़ी केंद्र और बच्चों के अनुकूल जल और स्वच्छता बच्चों को बीमारियों और कुपोषण से बचाने में मदद करेंगे और बच्चों को आंगनवाड़ी की ओर आकर्षित करेंगे। ये सभी सुविधाएं बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं सुनिश्चित करेंगी और उसके विकास में योगदान देंगी।”

अधिकारियों के मुताबिक, स्वच्छता कार्य योजना 2017-2020 के तहत आंगनवाडी केंद्रों पर 12 हजार रुपये में शौचालय बनाया जाना था। लेकिन सरकारी मानक के अनुरूप राशि कम होने के कारण कई आंगनवाडी केंद्रों पर शौचालय का निर्माण नहीं हो सका।

राज्य भर में 1,85,67,797 आंगनवाड़ी लाभार्थी हैं जिनमें छह साल से कम उम्र के बच्चे उनमें से कुछ गंभीर रूप से कम वजन वाले और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताएं शामिल हैं। जबकि 199 और केंद्रों के लिए बजट को मंजूरी दे दी गई है जिन जिलों में उन्हें स्थापित किया जाएगा और श्रमिकों और प्रदान की जाने वाली सेवाओं की क्षमता तय की जानी बाकी है।

बुन्देलखंड के बांदा जिले में मवेशियों के चारे और गोबर का भंडारण करने वाले कई आंगनवाड़ी केंद्रों को दो महीने पहले बंद कर दिया गया जिससे छह महीने से छह साल तक के बच्चों को ICDSके तहत मिलने वाले राशन से वंचित कर दिया गया।

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स की सचिव वीना गुप्ता ने अभियान को "एक और चुनावी हथकंडा" करार दिया। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया,“राज्य सरकार के अनुसार, लगभग 60,000 आंगनवाड़ी केंद्र सहायकों और कार्यकर्ताओं की कमी के कारण निष्क्रिय हैं। हमारे अनुमान के अनुसार, ऐसे एक लाख केंद्र हैं।''

उन्होंने आरोप लगाया,“राज्य सरकार ने 55,000 सहायकों और कार्यकर्ताओं के लिए पदों का विज्ञापन दिया था लेकिन यह एक नौटंकी थी। लोकसभा चुनाव करीब है सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के घावों पर नमक छिड़क रही है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले संघ को धमकी दी थी कि विरोध करने पर भर्ती रोक दी जाएगी। साथ ही उन्‍होंने पूछा,“आंगनबाड़ी केंद्रों की बुनियादी आवश्यकता बच्चों की देखभाल करने वाले सहायक और कार्यकर्ता हैं। जब केंद्र बंद हैं तो शौचालय बनाने और पीने का पानी उपलब्ध कराने का क्या मतलब है?”

राज्य में आंगनबाडी केन्द्रों की स्थिति:

परिचालन केंद्र: 1,86,000

सरकारी भवन में: 44,011

किराये की इमारतों में: 12,000

पंचायत भवनों में: 27,972

स्कूलों में: 1,02,017

पूर्वांचल और सोनभद्र क्षेत्र के अधिकांश केंद्रों को या तो अपने भवनों की आवश्यकता है या वे बंद हैं।

गोरखपुर में आंगनवाड़ी सहायिका सोनी ने न्यूज़क्लिक को बताया, ''केंद्रों का कायाकल्प लंबे समय से कागजों पर होता आ रहा है। एक केंद्र को केवल एक सहायक और एक कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है लेकिन अधिकांश बिना कर्मचारियों के हैं।”

मूल अंग्रेजी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

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