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कुंभ, कोरोना और राजनीति के बीच हरिद्वार में हुए कोविड टेस्ट की जांच शुरू

उत्तराखंड में 4 अप्रैल से 12 जून, 2021 के दौरान पॉजिटिविटी रेट 10.10% रहा। जबकि इसी दौरान हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट मात्र 3.99 % प्रतिशत दर्ज किया गया।
हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड टेस्ट में फ़र्ज़ी रिपोर्ट बनाने के मामले की जांच शुरू
हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड टेस्ट में फ़र्ज़ी रिपोर्ट बनाने के मामले की जांच शुरू

उत्तराखंड अपने चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। सबकुछ सामान्य रहा तो दिसंबर में राज्य में आचार संहिता लागू हो जाएगी। ये सबको मालूम है कि इस बार कुंभ 11वें वर्ष में आयोजित किया गया। जो आमतौर पर 12 वर्षों के अंतराल पर होता है। बताया गया कि खगोलीय स्थिति के चलते इस बार कुंभ 11वें वर्ष में पड़ा। इससे पहले 1939 में ऐसा हुआ था। चुनावी स्थिति के लिहाज से भी कुंभ के आयोजन के लिए यही सही साल था। लेकिन कोरोना के लिहाज से बिलकुल नहीं।

मार्च 2020 से गलत-सही फ़ैसलों के साथ कोरोना प्रबंधन का अनुभव ले चुके त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ के सांकेतिक आयोजन का फ़ैसला लिया था। इसके लिए लगातार साधु-संतों को मनाया जा रहा था। कुंभ गंगा स्नान के साथ ही साधु-संतों और उनके अखाड़ों के दिव्य-भव्य शक्ति प्रदर्शन का ज़रिया भी होता है। कुंभ का आयोजन सांकेतिक रखने के फ़ैसले पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोकर खामियाजा भुगतना पड़ा। उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को चुनावी वर्ष में सत्ता मिली। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत हरिद्वार में कुंभ के महा-आयोजन से की।

ये महा-आयोजन अपने साथ कोरोना का महा-संकट लेकर आया। कुंभ आधिकारिक तौर पर 1 से 30 अप्रैल के बीच मनाया गया। ये वही समय था जब उत्तराखंड समेत देशभर में कोरोना के आंकड़े नई ऊंचाइयां छूने लगे। अस्पतालों-श्मशान घाटों की ह्रदय-विदारक तस्वीरों से टेलीविज़न स्क्रीनें चीखने लगीं।

कुंभ के दौरान फ़र्ज़ी कोविड टेस्ट?

लेकिन हरिद्वार में सबकुछ शांत दिखाया जा रहा था। पूरे उत्तराखंड में कोविड के आंकड़े नए रिकॉर्ड बना रहे थे। अल्मोड़ा, पौड़ी जैसे ज़िलों में स्थिति बिगड़ रही थी। हरिद्वार से सटे देहरादून में कोरोना बम फूट रहा था। लेकिन हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आए और हज़ारों की संख्या में टेस्ट दिखाए गए, पॉज़िटिव केस बेहद कम थे।

कुंभ के दौरान पंजाब में मौजूद शख्स के पास हरिद्वार के निजी पैथॉलजी लैब से कोविड-19 टेस्ट का एसएमएस आया। जिसमें लिखा था कि कोविड-19 टेस्ट के लिए आपका सैंपल लिया गया है। इस व्यक्ति ने ई-मेल के ज़रिये आईसीएमआर को सूचना दी। आरोप लगाया कि फ़र्ज़ी टेस्ट के लिए उनके मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया है।

हरिद्वार प्रशासन की शुरुआती जांच में इस निजी लैब में इस तरह के एक-दो नहीं हज़ारों फ़र्ज़ी टेस्ट और उनकी रिपोर्ट की बात आयी। यही नहीं ज़िले की अलग-अलग निजी लैब से ऐसे तकरीबन एक लाख फ़र्ज़ी कोविड टेस्ट का आंकलन है। शुरुआती जांच में पाया गया कि अलग-अलग फ़ोन नंबर और उनके आधार नंबर के आधार पर फ़र्ज़ी कोविड टेस्ट रिपोर्ट तैयार की गई। मामले की जांच के लिए मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। जो 15 दिनों के भीतर इस फर्जीवाड़े पर अपनी रिपोर्ट देगी।

दरअसल नैनीताल हाईकोर्ट ने कुंभ के दौरान आने वाली लाखों की भीड़ को देखते हुए हरिद्वार में रोज़ाना 50 हज़ार कोविड टेस्ट के निर्देश दिए थे। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने अदालत में यह तक कहा था कि इतने टेस्ट कराना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है। 22 निजी लैब को भी कोविड टेस्ट की अनुमति दी गई। इसके लिए उन्हें भुगतान किया गया।

चौंकाने वाले रहे हरिद्वार के आंकड़े

कोविड डाटा का विश्लेषण कर रही देहरादून की एसडीसी फाउंडेशन ने बीते 4 अप्रैल से 12 जून 2021 के बीच यानी 10 सप्ताह के दौरान उत्तराखंड में किये गये कुल कोविड टेस्ट का विश्लेषण किया। इस दौरान राज्य में किए गए कुल टेस्ट का 38 प्रतिशत सिर्फ हरिद्वार जिले में किया गया। लेकिन आश्चर्यजनक तौर पर इस दौरान हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 60 प्रतिशत कम रहा।

उत्तराखंड में 4 अप्रैल से 12 जून, 2021 के दौरान पॉजिटिविटी रेट 10.10 % रहा। जबकि इसी दौरान हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 3.99 % प्रतिशत दर्ज किया गया।

4 अप्रैल से 12 जून, 2021 के 10 सप्ताह (70 दिन) की अवधि के दौरान पूरे उत्तराखंड में कुल 23,25,968 टेस्ट किए गए और 2,34,902 मामले सामने आए।

4 अप्रैल से 12 जून, 2021 के 10 सप्ताह (70 दिन) की अवधि के दौरान हरिद्वार जिले में कुल 8,82,382 टेस्ट किए गए और 35,168 मामले सामने आए।

1-30 अप्रैल के बीच हरिद्वार में 70 लाख श्रद्धालु आए। उत्तराखंड समेत देशभर में महामारी चरम पर थी। लेकिन कुंभ नगरी में पॉजिटिविटी रेट बहुत कम थ।

ये विश्लेषण स्वास्थ्य विभाग की ओर से रोजाना जारी होने वाले हेल्थ बुलेटिन के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। मेला अधिकारी का ज़िम्मा संभाल रहे दीपक रावत ने न्यूज़क्लिक को बताया था कि हेल्थ बुलेटिन में कुंभ क्षेत्र में किए जा रहे टेस्ट को शामिल नहीं किया गया है। 

निष्पक्ष जांच ज़रूरी

एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल कहते हैं कि यदि वास्तव में हरिद्वार में कोविड टेस्ट में अनियमितता बरती गई है तो इसका बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ सकता है। इससे राज्य पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आंकड़ों को फिर से जांचने और जरूरत और इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि जांच का दायरा और बढ़ाया जाए।

वह कहते हैं कि झूठे आंकड़े (यदि कोई हैं तो) राज्य में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ चल रही लड़ाई को जीतने में बाधक होंगे। इसके साथ ही संभावित तीसरी वेव की तैयारियों के संदर्भ में लिये जाने वाले निर्णयों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में गलतियां स्वीकार करने और उनमें बदलाव करने में किसी तरह का कोई संकोच नहीं किया जाना चाहिए।

(देहरादून स्थित वर्षा सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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