नागरिकता का संकट और रोज़ी-रोटी के सवाल : दोनों के बीच जूझ रहा है उत्तराखंड
इस समय का संघर्ष देश में खुद की नागरिकता और पहचान बचाए रखने का है। नागरिकता बचेगी तो रोटी बचेगी। नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी को लेकर देशभर में स्वत:स्फूर्त आंदोलन शुरू हुआ। ये आंदोलन अभी जारी है और रोज़ कमाने-खाने वाले भी निज़ाम की ओर देख रहे हैं। उत्तराखंड जैसे राज्य की आर्थिकी बहुत हद तक पर्यटन पर टिकी है। मसूरी, नैनीताल जैसे कई शहर इस समय पर्यटकों की राह देखते हैं। इस समय की आमदनी अगले कुछ महीनों के लिए राहत लेकर आती है। लेकिन इस समय नैनीताल के लोग नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं। झील किनारे ये बैनर फहराया जा रहा है “वो तुम्हें हिंदू-मुस्लिम बताएंगे, लेकिन तुम भारतीय होने पर अड़े रहना”। लखनऊ में लोग पुलिस की लाठियां खा रहे हैं। छोटे-छोटे व्यापारी माहौल ठीक होने की उम्मीद तो कर ही रहे है। मोदी-शाह की जोड़ी शायद नए डिंटेशन सेंटर की प्लानिंग कर रही होगी।
नैनीताल में आज, मंगलवार को कई संस्थाओं-संगठनों, हर धर्म और वर्ग से जुड़े शहर के आम लोगों ने मौन जुलूस निकाला। सीएए और एनआरसी के विरोध में इस जुलूस में शामिल लोगों ने मल्लीताल पंत पार्क में संविधान की शपथ ली और तल्लीताल में गांधी जी की मूर्ति के पास भारत माता की जय के नारों के साथ जुलूस समाप्त हुआ। राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि देश में महंगाई-बेरोजगारी जैसे मुद्दे चरम पर हैं, लेकिन इस पर सरकार कुछ नहीं कर रही। वे नए कानून से लोगों को डराना चाहते हैं।
नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश शाह भी कहते हैं कि नए कानून से हमारा कारोबार बहुत प्रभावित हुआ है। वह कहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है। हमारे लिए दिसंबर का आखिरी हफ्ता बिजनेस के लिहाज़ से अमूमन काफी अच्छा रहता है। लेकिन रामपुर में लोग सड़कों पर हैं। हल्द्वानी में लोग अपनी नागरिकता बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। नैनीताल आऩे के सभी मार्गों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। तो इसका असर पड़ रहा है। होटलों की बुकिंग कैंसिल हो रही हैं। जो होटल इस समय 80-90 प्रतिशत तक बुक रहते थे, इस समय 30-35 प्रतिशत तक ही बुकिंग है। वह बताते हैं कि नैनीताल में धारा-144 लगने की गलत सूचना के चलते भी पर्यटन प्रभावित हुआ। बाद में प्रशासन ने ये स्पष्ट किया कि यहां ऐसी स्थिति नहीं है। लेकिन तब तक बहुत सी बुकिंग कैंसिल हो गई थीं।
नैनीताल के साथ ही रामनगर में कार्बेट टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों की संख्या भी प्रभावित हुई है।
हरिद्वार आने वाले पर्यटक भी इस समय ठिठके हुए हैं। यहां ट्रेनें कैंसिल होने से भी दिक्कत आ रही है।
मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रजत अग्रवाल कहते हैं कि क्रिसमस और नए वर्ष को देखते हुए इस बार अब तक व्यापार में 30-35 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा रही है। हालांकि उम्मीद के रूप में एक हफ्ता अभी बचा हुआ है। रजत कहते हैं कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों से अधिक पर्यटक आते हैं। उत्तराखंड आने के लिए सभी को उत्तर प्रदेश से होकर आना पड़ता है। चूंकि वहां अभी कई जगह धारा 144 लगी है। माहौल शांत नहीं है। इसलिए पर्यटन इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है। वह बताते हैं कि 16-31 दिसंबर तक आमतौर पर मसूरी में अच्छा कारोबार चलता है। लेकिन अभी लोग यात्राएं करने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। देहरादून रेलवे स्टेशन पर पुनर्निर्माण के चलते ट्रेनों का संचालन भी बंद हैं, इसका असर भी पड़ रहा है। देहरादून तक आने वाली ट्रेनें इस समय हरिद्वार तक ही चल रही हैं।
रजत बताते हैं कि छोटा व्यापारी इस समय कमेटी से लोन लेकर अपना कारोबार बढ़ाता है। अगर ये हफ्ता अच्छा नहीं गया तो उस पर फर्क पड़ना लाजिमी है। पर्यटन के लिहाज से जनवरी-फरवरी शांत महीने होते हैं। बड़े कारोबारी तो नुकसान झेल लेते हैं लेकिन छोटे कारोबारी प्रभावित होंगे। उनके मुताबिक वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के समय पर्यटन के लिहाज से व्पायारियों को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। उसके बाद नोटबंदी ने सबकुछ ठप कर दिया था। उस समय व्यापारियों का कारोबार 50 फीसदी तक प्रभावित हुआ। अब ये नया कानून आम आदमी की रोज़ी-रोटी को प्रभावित कर रहा है। रजत कहते हैं कि कल क्रिसमस है, हमें नहीं पता कि मसूरी के मॉल रोड पर भीड़ जुटेगी या नहीं।
उत्तराखंड होटल एसोसिशन के अध्यक्ष संदीप साहनी कहते हैं कि होटलों में करायी गई पिछली बुकिंग दस प्रतिशत तक रद्द हुई है और इस समय पर्यटन स्थलों पर आने की इनक्वायरी के लिए जो फोन कॉल्स आती थीं, वो बिल्कुल बंद हो गईं। इसका असर आने वाले हफ्ते पर पड़ेगा।
ये स्थिति सिर्फ उत्तराखंड की ही नहीं है। कई देशों ने भारत आने वाले यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 को लेकर देशवासियों में उपजे असंतोष को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, सउदी अरेबिया, रूस, ऑस्ट्रेलिया और इज़राइल ने अपने देशवासियों को सावधान किया है। खासतौर पर पूर्वोत्तर के राज्यों में जाने से बचने की सलाह दी है।
पर्यटन कारोबारियों के लिए मुश्किल जरूर है लेकिन ये समय अस्तित्व को बचाने का भी है। दुष्यंत कुमार की ग़ज़ल की ये पंक्तियां शायद कुछ राहत दे सकें कि....भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ, आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ। ...दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो, उनके हाथों में है पिंजरा, उनके पिंजरे में सुआ।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।