Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

संसद सुरक्षा में हुई चूक से क्या सीखने की ज़रूरत?

हमारे देश को हर तरह से सुरक्षित रखने के लिए, सभी प्रकार की सुरक्षा चूकों से बचाने के लिए, हुकूमत चाहे जिसकी भी हो उसे नेहरू द्वारा प्रस्तावित ‘उद्देश्य-प्रस्ताव’ में निर्धारित मूल्यों को बनाए रखना होगा।
Parliament
फ़ोटो: PTI

यह बड़ी राहत की बात है कि बुधवार, 13 दिसंबर, 2023 को संसद सुरक्षा में हुई चूक से किसी को नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, यह एक दुखद संयोग है कि यह चूक उसी दिन हुई जिस दिन 2001 में संसद पर घातक और दुखद हमला हुआ था।

बुधवार को, दर्शक दीर्घा से दो व्यक्तियों ने लोकसभा सदन में घुसकर धुआं छोड़ दिया था। इक्कीस साल पहले भी, 13 दिसंबर को बड़े पैमाने पर सुरक्षा में चूक हुई थी। तब हथियारबंद आतंकवादियों ने संसद परिसर में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकारियों और लोकसभा के निहत्थे वॉच एंड वार्ड कर्मचारियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी तथा राज्यसभा सचिवालयों को शीर्ष विधायिका का सुरक्षा जिम्मा सौंपा गया था।   

लेकिन आज, हमें इतिहास में थोड़ी और गहराई में जाना होगा: 13 दिसंबर, 1946 को, भारत की अंतरिम सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण उद्देश्य-प्रस्ताव पेश किया था, जो अंततः हमारे संविधान की प्रस्तावना बन गया था। 

उद्देश्य प्रस्ताव में कहा गया:

भारत एक संप्रभु, स्वतंत्र गणराज्य है,

भारत को एक संघ होना चाहिए जिसमें पूर्व ब्रिटिश भारतीय इलाके, भारतीय राज्य और ब्रिटिश भारत के बाहर के अतिरिक्त इलाके और उन भारतीय राज्य को शामिल होना चाहिए जो भारतीय संघ में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं, 

संघ में शामिल इलाके स्वायत्त इकाइयां होंगी, जो संघ में निर्दिष्ट या निहित इलाकों को छोड़कर सरकार और प्रशासन की सभी शक्तियों और जिम्मेदारियों का इस्तेमाल करेंगी।

सभी संप्रभु और स्वतंत्र भारत की शक्तियाँ और अधिकार, साथ ही इसका संविधान, लोगों के जरिए हासिल होना चाहिए,  

सभी भारतीयों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक निष्पक्षता की गारंटी दी जानी चाहिए; स्थिति और अवसर की समानता; कानून के सामने समानता; और बुनियादी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए जो अभिव्यक्ति, आस्था, विश्वास, पूजा, व्यवसाय, संघ और कार्रवाई की - कानून और सार्वजनिक नैतिकता के अधीन होगी,

अल्पसंख्यकों, पिछड़े और आदिवासी समुदायों, गरीबों और अन्य वंचित समूहों को बेहतर ढंग से संरक्षित किया जाना चाहिए, 

गणतंत्र की क्षेत्रीय अखंडता, साथ ही भूमि, समुद्र और वायु पर इसके संप्रभु अधिकारों को सभ्य देश होने के नाते न्याय और कानून के अनुसार संरक्षित किया जाना चाहिए,

देश, विश्व-शांति की प्रगति और मानवता की भलाई के लिए पूर्ण और स्वेच्छा से योगदान देगा।

राष्ट्रपति केआर नारायणन की टिप्पणियां

25 जनवरी 2002 को, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर दिए अपने भाषण में, दिसंबर 2001 के सुरक्षा उल्लंघन के संदर्भ में उद्देश्य- संकल्प को लागू करने का आह्वान किया था। उन्हें बड़ा दुःख हुआ कि नेहरू द्वारा प्रस्ताव पेश करने की वर्षगांठ पर आतंकवादी हमला हुआ था। अपने भाषण में, उन्होंने राष्ट्र से लोकतांत्रिक तरीकों को अपनाकर और किसी भी आस्था में विश्वास रखने के बावजूद लोगों की एकता को बनाए रखते हुए, लोकतंत्र को आतंकवाद से बचाने की अपील की थी।

नारायणन ने हमारे नागरिकों के कुछ वर्गों को उनकी आस्था के आधार पर आतंकवाद के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराए जाने का भी जिक्र किया था और राष्ट्र से ऐसे पूर्वाग्रहों को त्यागने का आग्रह किया था। आज, संसद की सुरक्षा के उल्लंघन के संदर्भ में, हुकूमत को नागरिकों को शारीरिक नुकसान से बचाने के प्रति सचेत रहना चाहिए - शुक्र है कि बुधवार को सुरक्षा में हुई चूक बिना किसी नुकसान के टल गई – अन्यथा कुछ भी हो सकता था। 

दरअसल, अगर संसद की सुरक्षा की रक्षा नहीं की जा सकती है, तो सवाल यह उठाता है कि  राजनीतिक हुकूमत लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकती है जिससे उसकी क्षमता पर सवाल उठता है।

सुरक्षा के मामले में देश के अल्पसंख्यकों सहित हमारे विशाल वंचित वर्गों की सुरक्षा और देखभाल शामिल है। यह सब, विशेष रूप से संसद और उसके सदस्यों और कर्मचारियों सहित, देश के हर कोने को भौतिक रूप से सुरक्षित करने के साथ-साथ राज्य के कर्तव्यों का हिस्सा है।

आज उद्देश्य-संकल्प का उल्लेख करने का कारण यह है कि ऐतिहासिक जाति-आधारित भेदभाव के कारण कई अधिकार खतरे में हैं क्योंकि बहुसंख्यकवाद सत्तारूढ़ शासन की नीतियों को तेजी से परिभाषित और निर्देशित कर रहा है।

क्या देश के सभी संस्थानों की अखंडता में आई गिरावट पर ध्यान दिए बिना, घटना की बरसी पर उसी पवित्र स्थल पर एक दुखद घटना का होना, संसद में सुरक्षा में आई चूक को देखना वास्तव में संभव है?

हमारे संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा को लेकर खतरे की घंटी बज रही है। हमारे इतिहास में 13 दिसंबर का बड़ा महत्व है। इसलिए, हमारे देश को हर तरह से सुरक्षित रखने के लिए - सभी प्रकार की सुरक्षा चूकों से दूर रखने के लिए – हुकूमत जिसकी भी हो उसे नेहरू द्वारा 13 दिसंबर, 1946 को प्रस्तावित उद्देश्य-प्रस्ताव में निर्धारित मूल्यों को बनाए रखना होगा। 

(लेखक भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटि रह चुके हैं। विचार निजी हैं।) 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

What to Learn From Parliament Security Breach

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest