Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पहलवानों ने मनाया ‘ब्लैक-डे’, आंदोलन में शामिल लोगों ने कहा “सरकार बेटियों को अकेला न समझे”

“पूरा देश आज ब्लैक बैच लगा कर विरोध दर्ज करा रहा है, 18 दिन हो गए, इतनी गर्मी में हमारे स्पोर्ट्स आइकन यहां बैठे हैं। आने वाले दिनों में ये आंदोलन और भी तेज़ होगा और जन दबाव के आगे सरकार को झुकना ही पड़ेगा।”
wrestlers protest

आज सुबह जंतर-मंतर पर साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट के साथ ही दूसरे पहलवान एक-दूसरे को काली पट्टी बांधते दिखाई दिए, सुबह जैसे ही हम जंतर-मंतर पर पहुंचे, एक बुजुर्ग हाथ में ढेर सारी काली पट्टी थामे दिखे। जैसे-जैसे लोगों की भीड़ बढ़ रही थी वहां मौजूद लोग एक-दूसरे के हाथ में काली पट्टी बांधते दिखाई दिए। इस दौरान धरना स्थल के एंट्री गेट पर एक वालंटियर, धरने में आए 10-11 साल के लड़के की कलाई पर काली पट्टी बांधते हुए उसे समझा रहे थे कि, "ये काली पट्टी देश की बेटियों को न्याय दिलाने की लड़ाई का हिस्सा है, क्या ये तुम्हें याद रहेगा?”

उनका ये वाक्य शाहीन बाग़ के उस तराने की याद दिला रहा था जिसकी एक लाइन थी "सब याद रखा जाएगा", लेकिन वक़्त के साथ इतना कुछ होता चला जा रहा है अब तो ऐसा लगता है कि आख़िर क्या-क्या याद रखा जाएगा? क्या वाकई देश सब कुछ याद रख पाएगा?

भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग के साथ 23 अप्रैल से धरने पर दोबारा बैठे दोबारा पहलवानों ने 19वें दिन को 'ब्लैक-डे' के तौर पर मनाया।

बजरंग पुनिया की अपील

सुबह-सुबह मीडिया के सामने आए बजंरग पुनिया ने कहा, "बृजभूषण के ख़िलाफ़ बेटियों की न्याय की लड़ाई में आज हम सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक ब्लैक-डे मना रहे हैं। मैं पूरे देश से अपील करना चाहता हूं कि भारत की बेटियों की न्याय की लड़ाई में हमारा साथ दें, जितने जोश से देश ने कैंडल मार्च किया था उतने ही जोश से आज ब्लैक-डे मनाएं, आप सभी से निवेदन है कि आप अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर हमें टैग करते हुए शेयर करें।"

इसे भी पढ़ें : पहलवानों ने बृजभूषण को नार्को टेस्ट कराने की चुनौती दी

"आरोपी सत्तारूढ़ पार्टी से है इसलिए कार्रवाई में देरी हो रही है"

साक्षी मलिक ने आरोप लगाते हुए कहा, "कार्रवाई उचित तरीके से नहीं हो रही है। शक है कि आरोपी को बचाने की कोशिश की जा रही है लेकिन हमें जब तक न्याय नहीं मिल जाता हम बैठे हैं फिर जितना भी वक़्त लगे, जितने भी दिन, महीने या साल लगें। सुनवाई ठीक से नहीं हो रही है। आरोपी सत्तारूढ़ पार्टी से है इसलिए कार्रवाई में देरी हो रही है। आरोप लगाने वाली लड़कियों के नाम लीक हो रहे हैं, ऐसे केस में तो नाम का खुलासा नहीं किया जाता, तो ये दिखाता है कि कार्रवाई उचित ढंग से नहीं हो रही है।"

"अंधेरा हो रहा है, हमारे लिए भी और देश के लिए भी"

न्याय मिलने में हो रही देरी से उदास विनेश फोगाट ने कहा, "ये पट्टी इसलिए बांधी है क्योंकि न्याय नहीं मिल रहा है, इसलिए हम ब्लैक-डे मना रहे हैं, बिल्कुल अंधेरा हो रहा है हमारे लिए भी और देश के लिए भी।" विनेश ने उन लोगों को भी घेरा जो बृजभूषण शरण सिंह का समर्थन कर रहे हैं उन्होंने कहा कि "जो बृजभूषण शरण सिंह को समर्थन दे रहे हैं उनके घर शायद बहन-बेटियां नहीं हैं।"

धरने को समर्थन देने के लिए आस-पास के इलाकों से खाप और किसान संगठनों के साथ ही मज़दूर और दूसरे सामाजिक संगठन भी पहुंचे। आज इस ब्लैक-डे को समर्थन देने के लिए हरियाणा से सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) के बैनर तले कई संगठन धरना स्थल पहुंचे। साथ ही जनवादी महिला समिति (AIDWA) की कार्यकर्ता और जन हस्तक्षेप संगठन के अलावा कई छात्र और दिल्ली की आम जनता भी यहां मौजूद रही। इस दौरान जंतर-मंतर पर हमें पूर्वांचल (उत्तर प्रदेश) से आए खेलों से जुड़े लोग भी मिले जो इन पहलवानों को समर्थन देने पहुंचे थे।

CITU हरियाणा के उपाध्यक्ष सतबीर सिंह ने बताया कि आज उनके साथ हरियाणा के 21-22 जिलों से क़रीब 500 से ज़्यादा लोग जतंर-मंतर पहुंचे हैं जिनमें महिलाओं की संख्या ज़्यादा है, साथ ही आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील वर्कर्स भी शामिल हैं, इन सभी लोगों ने जल्द से जल्द महिला पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग की। सतबीर सिंह ने कहा कि "इस संघर्ष में समाज के सभी वर्गों, मज़दूर, किसान, छात्र, नौजवान, महिला और व्यापारियों को साथ आना होगा तभी बेटियों को न्याय मिल पाएगा।"

"सरकार बेटियों को अकेला न समझे"

आशा वर्कर्स यूनियन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हरियाणा की राज्य महासचिव सुनीता ने कहा, "हरियाणा की, खासतौर पर महिला संगठन की कार्यकर्ता आज यहां आई हैं और हम लगातार इस आंदोलन को हरियाणा के स्तर पर सफल बनाने की योजना बना रहे हैं। हम यहां आकर ये कहना चाहते हैं कि ये सरकार इन बेटियों को अकेला न समझे और इस आंदोलन को जाति, धर्म या राज्य का आंदोलन न बनाए। ये आंदोलन यौन शोषण के ख़िलाफ़ है जिस पर सरकार को जल्द से जल्द एक्शन लेना चाहिए था। हमारी सरकार से मांग है कि ये आंदोलन जिस मुद्दे पर है उस मुद्दे पर ध्यान दें, सही जांच करवा कर दोषियों के ऊपर कार्रवाई करें।"

इसे भी पढ़ें : पहलवानों का प्रदर्शन : किसान और खाप पंचायतों के बाद मज़दूर संगठनों ने भी दिया समर्थन

"जन दबाव के आगे सरकार को झुकना ही पड़ेगा"

वहीं भारतीय भीम अवार्डी, अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने कहा, "पूरा देश आज ब्लैक बैच लगा कर विरोध दर्ज करवा रहा है, 18 दिन हो गए, इतनी गर्मी में हमारे स्पोर्ट्स आइकन यहां बैठे हैं। बहुत ज़्यादा गुस्सा है और आने वाले दिनों में ये आंदोलन और भी तेज़ होगा और जन दबाव के आगे सरकार को झुकना ही पड़ेगा। 'बहुत हुआ नारी पर वार अब की बार मोदी सरकार' का नारा देकर ये सरकार में आए थे, जनता ने केंद्र में बीजेपी की सरकार ला दी अब वो कर क्या रही है? वो, पूरे देश में जो भी महिलाओं के साथ यौन हिंसा कर रहे हैं, चिन्मयानंद जैसों के साथ खड़ी है। कश्मीर में बलात्कारियों के लिए तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं, यहां हरियाणा में खेल मंत्री है उसको नहीं हटाया जा रहा, बृजभूषण के ख़िलाफ़ तो FIR तक दर्ज नहीं करने दे रहे थे तो अब उन नारों की पोल खुल रही है और पूरे देश की महिलाएं और नागरिक ये देख रहे हैं।"

इस आंदोलन को किसान संगठनों का भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। 7 मई को इस मामले में 'महापंचायत' भी हुई थी जिसमें सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था। और उस दिन के बाद से ही हर दिन किसानों और खापों के जत्थे जंतर-मंतर पर पहुंच रहे हैं। आज जंतर-मंतर पर अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि "ये बात सच है कि खिलाड़ियों को अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़नी चाहिए, हम तो उन्हें आश्वासन देते हैं कि वे चाहें तो अपनी प्रैक्टिस में लग सकते हैं, हम उनकी जगह यहां बैठ जाएंगे, हम इस जगह को खाली नहीं छोड़ेंगे, मैं किसान सभा की तरफ से कहना चाहता हूं कि लगातार जत्थों के आने का सिलसिला जारी रहेगा।" इसके अलावा उन्होंने आगे कहा, "हम आपका समर्थन करने नहीं आए हम तो आपको शुक्रिया कहने आए हैं कि आपने इस मुद्दे को उठाया देश बचाने के लिए।"

इंद्रजीत सिंह ने ये भी कहा कि, "ये सवाल सिर्फ़ इन बच्चियों का नहीं है, आपको याद होगा जब तीन महीने पहले ये धरने पर बैठे थे तो बृजभूषण ने कहा था कि मैं मुंह खोलूंगा तो सुनामी आ जाएगी, तो कई बड़े सवाल इस मामले में छुपे हैं इसलिए वे इतना ज़ोर लगा रहे हैं लेकिन इन्हें झुकना तो पड़ेगा।"

आंदोलनकारियों के मजबूत इरादे और बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई में देरी आगे चलकर इस आंदोलन को क्या रंग देने वाली है इसका अंदाज़ा फिलहाल किसी को नहीं है। बहरहाल इन सबके बीच बीते कई दिनों से धरने पर बैठे पहलवान अपनी मांग के साथ डटे हुए हैं।

जंतर-मंतर पर आज की तस्वीरें 

हरियाणा के से आए सीटू कार्यकर्ता 

एवडा कार्यकर्ता भी जंतर-मंतर पहुंची  

बृजभूषण शरण सिंह से जुड़ा एक पोस्टर 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest