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  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : साधने चले आए हैं गणतंत्र को, लो फिर से भारत के किसान
    24 Jan 2021
    केंद्र के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो महीने से डटे हैं और अब 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में जुटे हैं। इसी को अपनी कविता में रेखांकित कर रही हैं उषा बिंजोला। आइए ‘इतवार…
  • माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    माना कि राष्ट्रवाद की सब्ज़ी भी चाहिए/ लेकिन हुज़ूर पेट में रोटी भी चाहिए
    17 Jan 2021
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं संजीव गौतम के नए ग़ज़ल संग्रह ‘बुतों की भीड़ में’ से कुछ चुनिंदा ग़ज़लें जो हालात-ए-हाज़रा का आईना हैं।
  • जाति
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?
    10 Jan 2021
    इतवार की कविता में आज पेश है कुमार अंबुज की कविता 'तुम्हारी जाति क्या है'।
  • सावित्रीबाई फुले
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    सावित्रीबाई फुले : खेती ही ब्रह्म, धन-धान्य है देती/अन्न को ही कहते हैं परब्रह्म
    03 Jan 2021
    आज भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। वे एक शानदार कवि भी थीं। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी कुछ कविताओं के अंश-
  • ग़ालिब 223वीं जयंती पर विशेष
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    'तन्हा गए क्यों अब रहो तन्हा कोई दिन और' ग़ालिब 223वीं जयंती पर विशेष
    27 Dec 2020
    मिर्ज़ा ग़ालिब 1797 में 27 दिसंबर को आगरा में पैदा हुए। आज उनकी 223वीं जयंती है। आइये आज पढ़ते हैं उनकी वह ग़ज़ल जो उनके भतीजे की मौत पर लिखी गई थी।
  • मंगलेश डबराल
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    …दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है
    13 Dec 2020
    हमारे प्यारे कवि मंगलेश डबराल इसी 9 दिसंबर को हमें छोड़कर चले गए। अब उनका नंबर भी मिलाने पर भी यही आवाज़ आएगी- दिस नंबर डज़ नॉट एग्ज़िस्ट, यह नंबर मौजूद नहीं है। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी यही…
  • Diego Maradona
    न्यूज़क्लिक टीम
    नशा और होश : विश्व नागरिक माराडोना को समर्पित कविता
    29 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में साम्राज्यवाद, दमन-शोषण के ख़िलाफ़ जब-तब बोलने वाले विश्व नागरिक डिएगो माराडोना (30 अक्टूबर 1960-25 नवंबर, 2020) को समर्पित कवि-पत्रकार उपेंद्र चौधरी की कविता।
  • मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    “तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई…”
    22 Nov 2020
    भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ मशहूर शायरा फ़हमीदा रियाज़ की 21 नवंबर को दूसरी बरसी थी। आज ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं उनकी एक मशहूर नज़्म।
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक टीम
    इतवार की कविता: …लौ भर उम्मीद
    15 Nov 2020
    इस मुश्किल समय में भी दीपावली पर हम सबने दीये जलाए, और बेहतर कल की कामना की। शायद यही है लौ भर उम्मीद...। इसी उम्मीद को नये आयाम, नये अर्थों में कविता में ढाला है पत्रकार उपेंद्र चौधरी ने। आइए इतवार…
  • इतवार की कविता
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    ...कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ
    08 Nov 2020
    ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं मशहूर शायर हबीब जालिब की वो मशहूर ग़ज़ल जो हर राजनीतिक और सामाजिक जलसे में सबसे ज़्यादा दोहराई जाती है। ख़ासकर मतला जो यूं है- “तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त…
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