बिहार: सुशासन बाबू के राज में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल
आज नही आएगा बिहार परीक्षा मैट्रिक के परिणाम , पहले यह रिजल्ट 20 जून बुधवार को जारी किया जाना था। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB),पटना की मैट्रिक परीक्षा 2018 का परिणाम अब 26 जून 2018 को घोषित करेगा । उत्तरपुस्तिकाओं चोरी होने के बाद बढ़ते हंगामे के बीच बिहार बोर्ड ने 10वीं का रिजल्ट अब 26 जून को जारी करने का फैसला किया है ।
इन सब में सबसे चिंता की बात यह है की उत्तरपुस्तिका चोरी का ये मामला इतना सरल है नही जितना बतया जा रहा है | ये करबी 17.70 लाख छात्रो के भविष्य का सवाल है ,जिन्होने मैट्रिक की परीक्षा में भाग लिया था |
उत्तरपुस्तिकाऐ गायब होने का मामला गोपालगंज के एक सरकारी स्कूल, एस एस बालिका इंटर कॉलेज का है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है और स्कूल प्रिंसिपल समेत कुल 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रिंसिपल के अलावा स्कूल के नाइट गार्ड पूजन सिंह और अधिकारी छत्तू सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। मामले में 17 जून को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। एस एस बालिका इंटर कॉलेज से उत्तरपुस्तिकाओं के 213 बैग गायब हो गए थे। एक बैग में दो सौ कॉपियां होती हैं। कुल गायब हुईं कॉपियों की संख्या 42,705 है । इसमें मजे की बात यह है की पहले प्राथमिकी स्कूल प्रिंसिपल ने ही दर्ज़ कराई थी | जिन्हें कल गिरफ्तार कर लिया गया है |
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा, लेकिन यह साफ कर दिया है कि उत्तरपुस्तिकाओं के गायब होने से बोर्ड के रिजल्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा| इससे टॉपर लिस्ट में भी किसी तरह का बदलाव नहीं होगा, क्योंकि बोर्ड के पास उन सारी उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद अंक व मार्क्स फ्वाईल आ गयी थी | इसलिए किसी भी छात्र के रिजल्ट में गड़बड़ी नहीं होगी | बोर्ड की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि गोपालगंज के डीएम व एसपी को जांच के आदेश भी दिये गये हैं |
बोर्ड के अधिकारियो का ये कहना की इससे कोई फर्क नही पड़ेगा परिणाम इसी आधार पर जारी होगा | उन्होंने दोषियों पर कारवाई की है,और जो भी दोषी होगा उस पर करवाई होगी | ये कहकर अपना पल्ला छाड़ रहे ,परन्तु इस घटना के मुख्य दोषी कौन है ? ये नही बतया |
हम सब जानते है की सुशासन बाबु के राज में बिहार में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है | बिहार की इस तरह की परीक्षा में धांधली अब आम बात हो गई है |
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बिहार परीक्षा मुल्यांकन समिति के सदस्य श्री शाहजफर इमाम ने बतया की बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने कल स्वीकार किया ही की उत्तरपुस्तिकाओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की है | क्योंकि हमारे यंहा अधिकांश विद्यालयों में उतने कमरे नही है जिसमे उत्तरपुस्तिकाओं को एकत्रित कर बंद करके उसकी निगरानी की जाए | इसी का फयदा बिचौलिए और शिक्षा माफिया उठाते है जो की हर जगह सक्रिय है |
आगे उन्होंने बतया की सरकार मूल्यांकन केंद्र बनती है और फिर उत्तरपुस्तिकाओं को वही छोड़ देती है | फिर निजी ठेकदारो के माध्यम से उत्तरपुस्तिकाओं किसी अन्य स्थान पर ले जाती है | परन्तु सत्य यह है की कॉपियां कई कई महीनों तक ऐसे ही पड़ी रहती | जबकी मूल्यंकन के बाद ही उत्तरपुस्तिकाओं को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को अपने देखरेख में सुरक्षित रखना चाहिऐ |
फिर उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा की हम इसकी उच्च स्तरीय जाँच की मांग करते है | ये बिहार विद्यालय परीक्षा समिति अध्यक्ष अपनी नाकमी को छुपाने के लिए रोज़ तरह –तरह के बयान दे रहे है | इनके अध्यक्ष पर कई अन्य महत्वपर्ण विभागों का भी कार्यभार है | इस पर सरकार को किसी शिक्षाविद को नियुक्त करना चाहिए | क्योंकि परीक्षा लेना उत्तरपुस्तिकाओं की जाँच करना और परिणाम जारी करना पठन पाठन का हिस्सा है ,इसे शिक्षकों पर ही छोड़ देना चाहिए |
श्री इमाम ने बताया की मुल्यांकन के बाद सरकार निजी ठेकेदारों के द्वारा रिजल्ट तैयार करवाती है | वो मुनफे के चक्कर मे इस तरह की गलतियाँ करते है | क्योंकि वो आनफान में , अपने लाभ के लिए कार्य करते है | उन्हें किसी अन्य बात से उनका कोई लेना देना नही होता है | इन पर कोई सरकारी निगरानी नही है |
छात्रो का कहना है की “उनके साथ ये नितीश सरकार बद्दा मजाक कर रही है | छात्रो के जो अधिकार है की वो अपने परिणाम से असंतुष्ट है तो वो उसका पुन:मूल्यांकन करा सकते थे | लेकिन सरकार ने उनके उत्तरपुस्तिकाओं को ही गायब करबा दिया है ,तो वो चाहते हुए भी ऐसा नही कर सकते है” |
बिहार वामपंथी छात्रनेता का कहना है की “नितीश बाबू ने बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय शर्म का विषय बना दिया है | ये कैसा सुशासन है की जिन पर लाखो छात्रो के भविष्य की सुरक्षा का दायित्व है ,वो सरकार उनकी उत्तरपुस्तिकाओं को भी सुरक्षित नही रख पा रही हैं | नितीश सरकार पूरी तरह से बिहार के शिक्षा को बर्बाद कर दिया है ,इनकी नाकामी के करण हमें बाहर जा कर ये कहने पर कलंकित होना पड़ता है | जब हम ये कहते ही हमने बिहार से पढाई की है,तो लोग हमे शक की निगाहों से देखते है”|
बिहार की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का एक और उदाहरण देते हुए इमाम ने जो बताया वो बिहार की शिक्षा की स्थित और भी भयावह स्थिति को दिखता है | वो जिस कॉलेज में है वो बिहार के उत्तर में समस्तीपुर जिला में है | वहां करीब 5000 से अधिक छात्र है ,वहां प्रिंसिपल को लेकर केबल 9 ही शिक्षक है |
जब हमने उन से पुछा की आप लोग इतनी बड़ी भीड को पढ़ते कैसे है “उनका जबाब और भी दिलदहलने वाला था | उन्होंने कहा की यहाँ पढ़ना क्या है ?वहां केबल ही तीन ही कम होता है एडमिशन,एग्जामिनेशन और पब्लिकेशन ऑफ़ रिजल्ट इन सब के बिच केबल एजुकेशन और टीचिंग नहीं होता है” |
श्री इमाम आगे बतया की बिहार में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 90% हेडमास्टर के पद खली पड़े है | फिर उन्होंने बोला की उनके पुरे जिले में 111 माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में केबल 9 हेडमास्टर ही है | वो खुद ही 26 विद्यालयों के प्रभारी (DDO)है |उनके सभी प्रशासनिक कार्य उनकी ही ज़िम्मेदारी है |
बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ये हाल तब है जब की बिहार सुशासन और विकास से ओतप्रोत राष्ट्रवादी नितीश और भाजपा की सरकार है | जिसे ये लोग डबल इंजन की सरकार कहते है परन्तु वास्तव में ऐसा लगता है इनके दोनों इंजन ख़राब है |
बिहार के छात्रो का कहना है की बिहार के लगभग 95% छात्र अपनी मेहनत से पढ़ते है परन्तु प्रशासन और शिक्षा माफिया की मिलीभगत के करण उत्पन्न त्रुटियों का हर्जाना पुरे बिहार के ईमानदार छात्रो को चुकाना पड़ता है | इसका जीता जागता उदाहरण NEET की परीक्षा है जिसमे बिहार की एक छात्रा ने ही टॉप किया है |
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