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बलात्कार/हत्या के आरोपियों के बचाव में किया गया 'जम्मू बंद' नाकामयाब

क्षेत्र से रोहिंग्या और बकरवाल को खदेड़ने की कोशिश करने वाली हिंदुत्व सेनाओं को जनता ने दुत्कारा।
jammu and kashmir

बुधवार को आसिफा बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपपत्र दाखिल करने के विरोध में बार एसोसिएशन द्वारा 'जम्मू बंद’ के आह्वान  की क्षेत्र में थोड़ी सी प्रतिक्रिया पैदा हुई। कुछ वकीलों ने सड़कों पर बाहर आकर शहर में व्यावसायिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिश की लेकिन जीवन सामान्य रूप से जारी रहा। हड़ताल से खुद को अलग रखते हुए, जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने 'बंद' को 'अनुचित' कहा।

जेसीसीसीआई के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि हड़ताल उचित नहीं है क्योंकि बार एसोसिएशन जो दो मूदे उठा रहा है - रोहंग्या और असिफा हत्याकांड दोनों ही मुद्दे न्यायलय में विचारधीन हैं और इसलिए इन मुद्दों पर सड़क पर उतरना सही नहीं है।

कुछ वकील, राजनीतिज्ञ और दक्षिण पंथी हिंदुत्व सेना द्वारा समर्थित नागरिक समाज के सदस्य जम्मू प्रांत से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को निकालने की 'बदनाम योजना' के तहत  बलात्कार और हत्या के आरोपियों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। आसिफा की बर्बर हत्या और बलात्कार की जांच की उच्च न्यायालय ने निगरानी रखी है। फिर भी वकीलों ने जांच का विरोध करने का संकल्प किया है कि यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए।

 "बार एसोसिएशन के समर्थकों की योजना ही प्रक्रिया में देरी करने और आरोपी को बचाने के लिए है," एक कार्यकर्ता और वकील तालिब हुसैन ने कहा जोकि बकरवाल समुदाय से संबंधित है।

सूत्रों का कहना है कि राजनेताओं के साथ वकीलों द्वारा सीबीआई जांच के पक्ष में स्थानीय लोगों में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस बीच, अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र स्पष्ट रूप से बलात्कार और हत्या के पीछे अंतर्निहित साजिश का खुलासा करता है "संजी राम (मुख्य षड्यंत्रकार) ने बकरवाल समुदाय को रासाना क्षेत्र (कथुआ जिला) से बेदखल की योजना तैयार करने का निर्णय लिया, जो कि कुछ समय से उनके मन में चल रहा था और उसके बाद उन्होंने दीपक खजुरिया, पुलिस विभाग में एक एसपीओ और जेसीएल [एक किशोर] को साजिश के हिस्से के रूप में उन्हें अलग-अलग कार्य सौंपा, "आरोपपत्र में कहा गया है। कुछ विरोध करने वाले वकीलों के साथ संजी राम भी हिंदू एकता मंच के सदस्य हैं, और जिसके लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में एसपीओ खजुरिया की रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन किया था।

अब तक, इस भयानक अपराध के सिलसिले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनमें से चार पुलिस अधिकारी हैं जो जांच से जुड़े थे।

अंग्रेजी दैनिक कश्मीर टाइम्स के राजनीतिक विश्लेषक और कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन जमवाल ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, " इस मामले की पूरी बहस समाज में बढ़ती सांप्रदायिकता की मात्रा को दर्शाता है। यह लिंगवादी पूर्वाग्रह को भी बताता है जब मामला इस  स्तर पर पहुंच गया है जहां आरोप पत्र दाखिल किया गया है, तो इसके खिलाफ अभियान पर  कानूनी प्रश्न उठाए गए हैं। यहाँ कानून की उचित प्रक्रिया चल रही है। यदि संदेह है तो आप इससे असंतुष्ट हो सकते हैं। जहां तक मैंने इस मामले का अध्ययन किया है, अब तक मुझे इस प्रक्रिया पर शक करने का कोई कारण नज़र नहीं आता है। "

"अगर आप उनसे पूछते हैं कि प्रक्रिया में क्या गलती है, तो वे कहेंगे कि केवल एक समुदाय को लक्षित किया गया है। कानून जनसांख्यिकी के अनुसार नहीं, साक्ष्य के अनुसार काम करता है जांच एजेंसी बहुत व्यवस्थित रूप से काम कर रही है। यहां तक कि अगर कोई संदेह है, तो आप इस मामले पर बहस कर सकते हैं। उनको सज़ा के बाद, फिर से अपील हो सकती है। कानूनी प्रणाली के भीतर पहले से ही यह सुविधा उपलब्ध हैं। यह पूरा अभियान और विरोध अवैध है, अनैतिक और गैर-लोकतांत्रिक है, "भसीन जमावाल ने कहा।

इसके अलावा, फ्रिंज समूहों के साथ मिलकर वकील प्रांत में "जनसांख्यिकीय परिवर्तन" के एक धमाकेदार, सांप्रदायिक और इस्लामफ़ोबिक अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। वकीलों की मांगें सिर्फ असिफा के मामले तक ही सीमित नहीं हैं लेकिन जम्मू प्रांत में जनसांख्यिकीय बदलाव के लिए भी है।

वकील की एक अन्य मांग के बारे मे, भसीन ने कहा, "एक बैठक थी जिसे मध्य फरवरी में आयोजित किया गया था। बैठक में जनजातीय समुदाय के उत्पीड़न और उत्पीड़न के व्यक्तिगत मुद्दे सामने आए। जनजाति ज्यादातर भूमिहीन लोग हैं और अभी तक वन कानून को अद्यतन नहीं किया गया है और कोई भी आदिवासी नीति नहीं है। इसलिए, इस संदर्भ में, सीएम मेहबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जब तक कोई आदिवासी नीति नहीं है, तब तक किसी भी व्यक्ति को आदिवासी मामलों के विभाग की जानकारी के बिना बेदखल नहीं किया जाएगा। यह एक ऐसे संदर्भ में कहा गया था लेकिन इस पर बेतुका बवाल मचा दिया गया। यह स्पष्ट रूप से उनकी   सांप्रदायिक विचारों और सोच को दर्शाता है "।

जम्मू, एक बहुलवादी समाज है, यहाँ अब दक्षिण पंथी ताकतों द्वारा सांप्रदायिक नफरत फैलायी जा रही है,  जो सांप्रदायिक आधार पर राज्य को विभाजित करने और जनसांख्यिकीय बदलाव के बारे में बांटने के 'भेदभाव' भरे सिद्धांत का प्रयोग कर रहे हैं, वे कहते हैं कि गहरी साजिश के तहत हिंदुओं से जमीन छिनना चाहते हैं। उनके मुताबिक़ जनसांख्यिकीय में बदलाव के दावे के आधार को रोहिंग्यास बस्तियों के लिए इस्तेमाल किया गया है जोकि अपने आप में बेबुनियाद है।

आज के विरोध में, 'रोहिंग्या, जाओ जाओ!' के नारे लगाए गए थे। इस बारे में और हालिया रैलियों में भाजपा नेताओं की भागीदारी के बारे में बात करते हुए, भसीन ने कहा, "हिंदू एकता मंच और उन रैलियों की रचना जहां लोग तिरंगे लिए हुए थे, उनके दिमाग में क्या चल रहा तह, यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह भाजपा की टीम है जो यह सब कर रही है। बीजेपी इस क्षेत्र में  सांप्रदायिकता कार्ड खेल रही हैं क्योंकि चुनाव पास हैं। सबसे चौंकाने वाली बात है कि कांग्रेस ने इस पर कोई स्टैंड नहीं लिया है क्योंकि वे स्वयं इस मुद्दे पर विभाजित हैं।

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