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सीएए-एनआरसी: बीजेपी ने विरोध और प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने वाले वीडियो किए जारी

22 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की दिल्ली रैली के बाद पार्टी ने सीएए के समर्थन में बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया और टेलीफोन मुहिम शुरू कर दी है।
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नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपीने इस क़ानून को लेकर देश में "व्यापक" समर्थन जुटाने के लिए एक मुहिम शुरु की है।

इस क़ानून के ख़िलाफ़ पूरे देश में बड़े पैमाने पर जारी विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैशटैग इंडियासपोर्टसीएए के साथ मुहिम की शुरूआत की

प्रधानमंत्री की आधिकारिक वेबसाइट ने ट्वीट किया कि सीएए "सताए गए शरणार्थियों को नागरिकता देने को लेकर है न कि किसी की नागरिकता लेने के लिए है"। इसके बाद आध्यात्मिक गुरु 'सद्गुरुजग्गी वासुदेव का एक वीडियो भी ट्वीट किया गया जिसमें उन्होंने "सीएए के संबंधित पहलुओं की स्पष्ट व्याख्याऔर "निहित स्वार्थ समूहों द्वारा गलत सूचना को फैलानेके बारे में कहा था।

सत्तारूढ़ दल विपक्षी दलों पर नए क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में जारी विरोध प्रदर्शनों को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है। ये क़ानून धर्म के आधार पर नागरिकता देने को लेकर भेदभाव करता है। बीजेपी ने कहा है कि यह क़ानून तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तानअफगानिस्तान और बांग्लादेश में सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए लाया गया है।

झूठ और भाषा की शैली

22 दिसंबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री की रैली के बाद पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब हैंडल पर इस क़ानून के समर्थन में वीडियो की एक श्रृंखला जारी की गई थी। इस मुहिम का उद्देश्य "आदर्श भारतीय" के विचारों को बढ़ावा देना है जो सरकार और सीएए के साथ हैं।

इनमें से एक वीडियो का शीर्षक है, "एक पूर्व प्रदर्शनकारी बताती हैं कि वे अब प्रदर्शन क्यों नहीं कर रही हैं।एक टेलीविजन शैली की बातचीत होती है और पूर्व प्रदर्शनकारी बताती हैं कि केवल तीन-चार प्रकार के लोग हैं जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें वे लोग शामिल हैं जो इंस्टाग्राम (सोशल मीडियासेलेब्रिटी हैं और राजनीतिक रूप से सक्रिय होना चाहते हैं और उनके भक्त जिनके पास कोई ज्ञान नहीं है और वे इस प्रकार "अंध भक्तबने हुए हैं। इस सूची में आगे शहरी नक्सली की चर्चा की जाती है जो अराजकता पैदा करना चाहते हैंसड़कों पर हिंसा फैलाना चाहते हैं और इस्लामी मानसिकता वाले हैं।

प्रदर्शनकारियों में शामिल ऋतुपर्णा बोराह ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए न्यूज़क्लिक से कहा, “हम बच्चे नहीं हैं कि हमें गुमराह किया जाएगा। हम विनाशकारी नतीजों को समझते हैं जो ये क़ानून हमारे देश के लिए लाएगायही कारण है कि हम यहां हैं। हमने अपनी नौकरीअपने बच्चों कोयहां आने के लिए और जो हम मानते हैं उसके साथ खड़े होने के लिए छोड़ दिया है।”

विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों में बड़े पैमाने पर सामने ई पुलिस की बर्बरताओं को बेतुका बताने के प्रयास में इस वीडियो में बताया गया है कि वे प्रदर्शनकारी हैं जो सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर रहे थे और अपने घरों को "जलारहे थे। पार्टी का कहना है कि सड़कों पर उतरे लोग संपत्ति नष्ट कर रहे हैं और हिंसा को अंजाम दे रहे हैं।

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बीजेपी ने इस मुहिम के लिए दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और ट्विटर का सहारा लिया है प्रसारित किए जा रहे वीडियो के साथ हैशटैगसबठीकहै चलाया जा रहा है। पार्टी के सदस्यों द्वारा 'फूल नहीं कूल बानो' (मूर्ख मत बनोशांत रहोको बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जा रहा है। इसके अलावाएक टोल-फ्री नंबर भी प्रसारित किया गया है जिसके साथ लिखा गया है कि सीएए के समर्थक इस नंबर मिस्ड कॉल करें।

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हालांकिप्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या इस तरह की मुहिम से अप्रभावित दिखाई दे रही है जो उन्हें कुचलने की कोशिश करता है। सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए रैली में महिलाओं के साथ मंडी हाउस आईं 85 वर्षीय सोनिया कपूर कहती हैं: "मैं यह किसी और के लिए नहीं कर रही हूं या 'शांतहोने के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए और अपने परिवार के लिए कर रही हूं क्योंकि हम उस भेदभाव को समझते हैं जो इस सरकार की नीतियां ला रही है और साथ ही उसकी विभाजनकारी राजनीति को भी समझते हैं।

एक वीडियो क्लिप में अभिनेता कहता है: "ये वही लोग हैं जो बुनियादी नागरिक नियमों को नहीं समझते हैं और अब सीएए की वैधताओं की व्याख्या करते हुए वे सड़कों पर उतर आए हैं।"

इन वीडियो में बीजेपी-आरएसएस द्वारा बढ़ाए गए अतिराष्ट्रवादी एजेंडे का बखान भी किया गया है जिसमें कहा गया है कि "जो भारतीय हैं उन्हें डरने की कोई बात नहीं है और अगर आप डरते हैं तो क्या आप भी भारतीय हैं?"

बीजेपी का सोशल मीडिया मुहिम जो मुख्य रूप से प्रदर्शनकारियों को कुचलने का प्रयास करता है वह प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाले पार्टी नेताओं द्वारा सावधानी के साथ खड़े किए गए झूठ पर आधारित है।

इस वीडियो में प्रधानमंत्री के भाषण के अंश का इस्तेमाल किया गया है जिसमें सीएए द्वारा सताए गए अल्पसंख्यकों को "नागरिकता देने" की बात कही गई न कि नागरिकता लेने की। ये झूठ साफ तौर पर बोला जा रहा है कि अब अप्रवासियों को लेकर सीएए की धारा बी में संशोधन किया गया है। सीएए में खंड बी को शामिल किया गया हैजिसमें “अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से संबंधित कोई भी व्यक्ति जो दिसंबर 2014 से पहले या इस महीने तक भारत में आए है उनको अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा।"

सीपीआईएम द्वारा तथ्यों की जांच में कहा गया, “इस संशोधन के द्वारा स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार धर्म भारत का नागरिक बनने का एक आधार बन रहा है। ऐसा कहें कि दो व्यक्ति हैं जो भारत में समान दस्तावेज और अपने निवास के प्रमाण के साथ निवास कर रहे हैं लेकिन उनके पूर्वजों के संबंध में कोई प्रमाण नहीं है। यदि वह व्यक्ति गैर-मुस्लिम है तो वह "वैधहो जाता है और यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम है तो उसे अवैध माना जाता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 पर हमला है जो सभी व्यक्ति कानून से समक्ष समान हैं और यह संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है।”

ये प्रदर्शनकारी सरकार से यह स्पष्ट करने को कह रहे हैं कि उसने इन तीन देशों को ही क्यों चुनाश्रीलंका से तमिल शरणार्थी या म्यांमार से रोहिंग्या के बारे में क्या विचार हैपाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर क्या करना हैप्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये क़ानून चयनात्मक है और इसलिए भेदभावपूर्ण है।

बीजेपी वीडियो में विरोध प्रदर्शन को एनआरसी के बारे में "अनुचित हंगामाकरना बताया गया है जिसकी घोषणा अभी नहीं की गई है और इसका सीएए से कोई संबंध नहीं है। यह एक और झूठ है क्योंकि भाजपा सरकार और संसद के संयुक्त सत्र को राष्ट्रपति के संबोधन में स्पष्ट रूप से एक दूसरे का संबंध बताया गया है।

अप्रैल 2019 में अमित शाह ने खुद कहा, “पहले सीएबी आएगा। सभी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। फिर एनआरसी आएगा। यही कारण है कि शरणार्थियों को चिंता नहीं करनी चाहिएलेकिन घुसपैठियों क लिए चिंता की बात है। क्रोनोलॉजी को समझेंपहले सीएबी आएगा और फिर एनआरसी। एनआरसी सिर्फ बंगाल के लिए नहीं हैयह पूरे देश के लिए है।”

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

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