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गलवान की गफ़लत बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा पर सियासत नहीं!

गलवान घाटी के दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के शुक्रवार को दिए बयान पर विपक्ष आक्रामक नजर आ रहा है. बयान पर पीएमओ को सफाई देनी पड़ी

गलवान घाटी के दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के शुक्रवार को दिए बयान पर विपक्ष आक्रामक नजर आ रहा है. बयान पर पीएमओ को सफाई देनी पड़ी. पर इससे भी बड़ा सवाल है कि भारत और चीन के बीच हाल‌ के कुछ वर्षों में सीमा-विवाद की 22 आधिकारिक वार्ताएं हो चुकी हैं. सन् 2014 से अब तक प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच तकरीबन 18 मुलाकातें हो चुकी हैं! इनमें कुछ वन-टू-वन रहीं तो कई बहुस्तरीय सम्मेलनों के दौरान हुईं. फिर बात गलवान घाटी के भीषण घटनाक्रम तक कैसे पहुंची? गलवान घाटी प्रकरण के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जो कुछ हुआ और हो रहा है, उसमें कितनी गंभीरता है? चीनी उत्पादों के बहिष्कार के आह्वान का क्या मतलब है और इससे भारत को क्या फायदे होंगे? 'चुनावी लाभ' लेने के आरोपों में कितना दम है? ऐसे कुछ सवालों पर टिप्पणी कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश:

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