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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर एक बार फिर जुटे किसान, कहा ‘मुद्दे हल होने पर ही हटेगा मोर्चा’

16 सितंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ किसानों का समझौता हुआ था। समझौते पर कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए किसानों ने एक बार फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।
Farmers Protest

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में एक बार फिर हजारों किसानों ने 30 जनवरी को हल्ला बोल दिया। किसानों ने एक बार फिर पक्का मोर्चा लगाया और इस दौरान पुलिस से उनकी कुछ झड़प भी हुई। किसान सभा ने 10 प्रतिशत प्लॉट एवं नए कानून को लागू करने की मांग के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान सभा ने कहा कि वे आंदोलन के दूसरे चरण में आ चुके हैं।  गौरतलब है कि 16 सितंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ किसानों का समझौता हुआ था। समझौते में सभी 21 मुद्दों पर लिखित सहमति बनी थी जिसमें 10% आबादी प्लॉट और नए कानून को लागू करने के संबंध में 28 नवंबर को प्राधिकरण बोर्ड से प्रस्ताव पास होकर दिसंबर महीने में शासन के अनुमोदन के लिए गया।

इस दौरान किसान सभा की जिला कमेटी ने आईडीसी मनोज कुमार सिंह से भी मुलाकात कर 10% आबादी प्लॉट के प्रस्ताव को अनुमोदित करने का निवेदन किया लेकिन आरोप है कि 20 दिन गुज़र जाने के बाद भी शासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है इसलिए किसान सभा ने 30 जनवरी से पक्का मोर्चा लगाने का फैसला किया। किसान सभा का कहना है कि मोर्चा तभी हटेगा जब किसानों के मुद्दे अंतिम तौर पर हल हो जाएंगे।

इस धरने को किसान सभा के राष्ट्रीय वित्त सचिव पी कृष्णप्रसाद, समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष सुधीर भट्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अजय चौधरी, किसान सभा के सीकेसी सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी, किसान सभा गौतमबुद्ध नगर के जिला अध्यक्ष डॉ. रूपेश वर्मा, सीटू के नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा, AIDWA की आशा यादव सहित कई अन्य नेताओं ने संबोधित किया।

किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन की घोषणा करते हुए सभी ट्रेड यूनियनों, जन संगठनों महिलाओं, युवाओं और राजनीतिक दलों से समर्थन देने और आने वाले दिनों में संघर्ष को तेज करने के लिए इसमें शामिल होने की अपील की।

किसानों को संबोधित करते हुए किसान सभा, गौतमबुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ. रूपेश वर्मा ने कहा कि आंदोलन अपना हक लेकर ही खत्म होगा। बीर सिंह नागर ने कहा कि आंदोलन के पहले चरण में 21 मुद्दे पर लिखित समझौता हुआ जिसमें प्राधिकरण स्तर की मांगों पर कुछ काम हुआ है, बाकी पर तेज कार्रवाई को लेकर हमारी मांग है। जगबीर नंबरदार ने कहा कि लड़ाई अब आर-पार की है। जीत कर ही दम लेंगे।

रुपेश वर्मा ने कहा कि "सरकार हमेशा की तरह किसानों के मुद्दों की उपेक्षा कर रही है। प्राधिकरण स्वायत्त संस्था है, कोई वजह नहीं है कि प्राधिकरण के द्वारा पास प्रस्ताव को शासन स्तर पर लंबित रखा जाए।”

किसानों ने उनके भूमि अधिकार सुनिश्चित करने में 'विफलता' के लिए स्थानीय सांसद और विधायकों की आलोचना की और घोषणा की कि जब तक योगी सरकार आश्वासन लागू नहीं करती तब तक इन सांसदों, विधायकों और भाजपा नेताओं को गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि "जनप्रतिनिधि किसानों के मसलों के अलावा अन्य सभी अपने निजी मसलों में गंभीर हैं। जनता ने उन्हें समस्याओं के हल के लिए चुना है न कि खुद के बिज़नेस और व्यापार बढ़ाने के लिए। हम कई बार जन प्रतिनिधियों से मिलकर अपनी समस्याओं के समाधान का निवेदन कर चुके हैं परंतु वे इसे लेकर जरा भी गंभीर नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में किसान सभा जनप्रतिनिधियों का पर्दाफाश करेगी और लोगों को प्रचार करके बताएगी कि हमारे जनप्रतिनिधियों ने हमारी समस्याओं को लेकर कभी कोई गंभीरता नहीं दिखाई और न ही आज तक कोई कार्रवाई की है।"

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