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भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
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विश्व भर में भारत में मुंह के कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। धुआं रहित तंबाकू, सुपारी, अत्यधिक शराब पीने और मुंह की अस्वच्छता सहित तंबाकू का सेवन कुछ ऐसे खतरे हैं जो मुंह के कैंसर के अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। मुंह के कैंसर के रोगियों की मृत्यु दर को कम करने के लिए बीमारी की शुरुआत में ही पहचान होना बेहद अहम है। ज्ञात हो कि हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर विशेषज्ञों ने तंबाकू के सेवन से होने वाले मुंह के कैंसर के भारत में बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि दांतों के नियमित जांच और तंबाकू को छोड़कर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।

पटना स्थित एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर का कहना है कि भारत में मुंह के कैंसर में 5 प्रतिशत सिगरेट, 10 प्रतिशत बीड़ी और 85प्रतिशत धुआं रहित तंबाकू का योगदान है। प्रोफेसर आगे कहते हैं कि भारत में पुरूषों में सबसे ज्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रुप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।

 

विश्व में 8 मिलियन लोगों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की बात करें तो तंबाकू से हर वर्ष दुनिया भर में 8 मिलियन लोग मरते हैं। इनमें से 7 मिलियन से अधिक मौत तंबाकू के सीधे इस्तेमाल के कारण होता है वहीं करीब 1.2 मिलियन मौत वैसे लोगों की होती है जो तंबाकू का इस्तेमाल नहीं करते हैं लेकिन तंबाकू वाले पदार्थ जैसे सिगरेट-बीड़ी से निकलने वाले धुंओं की चपेट में आ जाते हैं।

भारत में हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

प्रख्यात एमिडिमियोलॉजिस्ट चंद्रकांत लहरिया एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहते हैं, " हर जिंदगी कीमती है। हम लोग भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों खो रहे हैं। कैंसर के अलावा तंबाकू क्रॉनिक तथा जान का जोखिम में डालने वाली स्थितियों जैसे फेफड़े की बीमारी, कार्डियोवैस्कुलर रोग तथा अन्य आघात का प्रमुख कारक है।"

वर्ष 2020 में भारत में मुंह तथा ओठों का कैसर तमाम कैंसर के प्रकार में सामान्य था। विश्व भर में प्रत्येक वर्ष भारत में मुंह के कैसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। धुम्रपान न करने वालों की तुलना में धुम्रपान करने वालों में मुंह के कैंसर का खतरा करीब दस गुना ज्यादा होता है।

भारत में 15 से 49 वर्ष के बीच के 57 प्रतिशत पुरूष तथा 11 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू के विभिन्न प्रकार का इस्तेमाल करते हैं। धुंआं रहित तंबाकू तथा जरदा के साथ पान का इस्तेमाल भारत के कई हिस्सों में आम है।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा तंबाकू का इस्तेमाल

ग्लोबल एडल्ट टोबैको (जीएटी) की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में तंबाकू का इस्तेमाल देश भर में सबसे ज्यादा होता है। राज्य में 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। तंबाकू इस्तेमाल करने का राष्ट्रीय औसत 28.4 प्रतिशत है।

सात फीसदी ऐसे लोग थे जिन्होंने 15 साल की उम्र से पहले तंबाकू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था, 29 फीसदी लोगों ने15-17 साल की उम्र से और 35.4 फीसदी लोगों ने 18-19 साल की उम्र में तंबाकू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। औसतन उन्होंने 18.5 साल की उम्र में तंबाकू का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। जीएटी की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 14 वर्ष से कम आयु वर्ग में तंबाकू व सिगरेट का इस्तेमाल भारत में सबसे ज्यादा है।

सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम(सीओटीपीए) में कुछ प्रमुख प्रावधान हैं जो कि सरकारी स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू की बिक्री, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान, कार्यालय परिसर में तंबाकू और इसके उत्पादों जैसे सिगरेट के इस्तेमाल को लेकर सख्त हैं। हालांकि ये नियम सिर्फ कागजों पर ही दिखाई पड़ते हैं।

एक साल के भीतर 50 % मरीजों की मौत

बीते वर्ष मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर के अध्ययन को लेकर जारी रिपोर्ट में पाया गया था कि देश भर में मुंह के कैंसर के मरीजों में करीब 50 प्रतिशत मरीजों की मौत एक साल के भीतर हो जाती है। इन मरीजों की उम्र 30-50 वर्ष के बीच होती है।

क्या होता है मुंह का कैंसर?

मुंह का कैंसर मुंह में ऊतकों की असामान्य वृद्धि है जो कैंसर में बदल जाती है। यह मुंह से नाक, गर्दन और शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। शुरुआत में मुंह में सफेद या लाल धब्बे, जीभ, ओंठ या मुंह पर घाव, मुंह में खून बहना, मुंह के भाग में सूजन और निगलने में कठिनाई हो सकती है। एशियाई कैंसर संस्थान के ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुहास आगरे इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं यह भारत में बेहद अहम स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है क्योंकि यह एक बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाले सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है।

तंबाकू का इस्तेमाल मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण

तंबाकू का इस्तेमाल मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण रहा है। गुटखा, जर्दा, खर्रा, खैनी, सिगरेट, बीड़ी और हुक्का जैसे विभिन्न रूपों में तंबाकू का इस्तेमाल युवा और वयस्कों दोनों में मुंह के भीतर ट्यूमर के विकास का एक प्रमुख कारण है। डॉ आगरे कहते हैं, “मुंह का कैंसर सिर और गर्दन के कैंसर की श्रेणी में आने वाले कई प्रकार के कैंसर में से एक है। तंबाकू सभी आयु समूहों में मुंह के कैंसर की घटना का प्रमुख कारण है। सिगरेट, सिगार, चबाने वाले तंबाकू और सूंघने सहित सभी तंबाकू उत्पादों में जहरीले पदार्थ (विषाक्त पदार्थ), कैंसर पैदा करने वाले एजेंट (कार्सिनोजेन्स) और निकोटीन नशीला पदार्थ होता है। सिगरेट और अन्य प्रकार के तंबाकू उत्पादों में कम से कम 70 खतरनाक रसायन पाए जाते हैं। इन रसायनों के संपर्क में आने से मुंह का कैंसर हो सकता है।

मुंह के कैंसर को रोका जा सकता है। तंबाकू छोड़ कर तथा जागरूक हो कर कैंसर की रोकथाम को सुनिश्चित किया जा सकता है।

 

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