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प्राकृतिक आपदाओं के कारण 2022 में भारत में 25 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए: रिपोर्ट

‘‘सभी देशों में बाढ़ की वजह से विस्थापन हुआ, लेकिन पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे। सर्वाधिक पलायन जून और सितंबर के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान हुआ।’’
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

प्राकृतिक आपदाओं ने, विशेष रूप से बाढ़ और चक्रवाती तूफानों ने 2022 में भारत में करीब 25 लाख लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होने पर मजबूर किया। जिनेवा से संचालित ‘इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर’ ने एक रिपोर्ट में यह बात कही।

दक्षिण एशिया में पिछले साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण 1.25 करोड़ लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे और इनमें से 90 प्रतिशत लोगों को बाढ़ के कारण पलायन करना पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘सभी देशों में बाढ़ की वजह से विस्थापन हुआ, लेकिन पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। सर्वाधिक पलायन जून और सितंबर के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान हुआ।’’

पिछले साल, भारत और बांग्लादेश में मानसून के मौसम की औपचारिक शुरुआत से पहले ही तेज बारिश और बाढ़ की घटनाएं देखी गयीं।

असम में मई में बाढ़ का प्रकोप देखा गया और जून में भी इसी क्षेत्र में बाढ़ हुई।

भारत में मई में हुई मूसलधार बारिश की वजह से नदियां उफान पर बह रहीं थीं और बांग्लादेश में बाढ़ आने से करीब 5,500 लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा।

चक्रवाती तूफानों की वजह से पिछले साल पूरे दक्षिण एशिया में करीब 11 लाख लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होना पड़ा।

केंद्र के अनुसार बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में आई आपदाओं की रिपोर्ट केवल मध्यम से बड़े स्तर की घटनाओं के लिए तैयार की जाती हैं। इसका आशय हुआ कि छोटी-मोटी आपदाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता जो मिलकर विस्थापन के आंकड़े को बढ़ा सकती हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर के अनुसंधानकर्ताओं ने पिछले साल एक रिपोर्ट में कहा था कि जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और लू जैसे मौसम संबंधी आपदाओं की आवृत्ति भविष्य में कई गुना बढ़ सकती है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी ‘भारत की जलवायु पर वार्षिक वक्तव्य-2022’ के अनुसार 2022 में अत्यधिक बारिश या गर्मी जैसे मौसम के घटनाक्रम के कारण 2,227 लोगों के हताहत होने के मामले दर्ज किये गये।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2021 में यह संख्या 1,750 और 2020 में 1,338 रही थी।

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