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‘मुझे अलर्ट पार्लियामेंटेरियन होने की सज़ा मिली’: दानिश अली से ख़ास बातचीत

संसद के विशेष सत्र के दौरान भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की टिप्पणी और उसके बाद दानिश अली की भावुक तस्वीरें...संसद में 21 सितंबर की घटना से जुड़े तमाम पहलुओं को समझने के लिए हमने सांसद दानिश अली से मिलकर ख़ास बातचीत की।
Danish Ali

18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। संसद की नई इमारत में हुआ ये सत्र ऐतिहासिक रहा। दशकों के इंतज़ार के बाद आख़िरकार महिला आरक्षण बिल पास हो गया, हालांकि अभी उसके लागू होने के लिए और इंतज़ार करना होगा। लेकिन सत्र ख़त्म होते-होते लोकसभा में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इतिहास में जब भी इस विशेष सत्र को याद किया जाएगा, रमेश बिधूड़ी का व्यवहार शर्मसार करने वाला होगा।

22 सितंबर की सुबह जिसने भी अपना मोबाइल खोला और सोशल मीडिया पर नज़र डाली, वो हैरान रह गया, लोकसभा का एक वीडियो बहुत ही तेज़ी से वायरल हो रहा था जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद रमेश बिधूड़ी, यूपी के अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद कुंवर दानिश अली के लिए बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे।

घटना को भले ही वक़्त गुज़र चुका है लेकिन अभी तक मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में विपक्ष और सत्तापक्ष के कई सांसदों की शिकायतों पर विचार करने के लिए लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की पहली बैठक 10 अक्टूबर को होगी। 

इस मामले में सांसद दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को शिकायत की और साथ ही प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा। जबकि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी दानिश अली पर प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। वहीं दानिश अली ने भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर रमेश बिधूड़ी का एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि "आज भाजपा के कुछ नेता एक नैरेटिव चलाने का प्रयास कर रहे हैं कि संसद में, मैंने श्री रमेश बिधूड़ी को भड़काया जबकि सच्चाई यह है कि मैंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को बचाने का काम किया और सभापति जी को मोदी जी से संबंधित घोर आपत्तिजनक शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की थी।"

21 सितंबर की घटना के बाद दानिश अली की भावुक तस्वीरें वायरल हुईं। उन्हें ये तक कहते हुए सुना गया कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वे भारी मन से अपनी सदस्यता तक छोड़ने पर विचार करेंगे। संसद में हुई उस घटना को वक़्त हो चुका है, दानिश अली क्या सोचते हैं और उस दिन संसद में क्या कुछ हुआ था हमने उनसे मिलकर जानने की कोशिश की।

सवाल: कहते हैं कि वक़्त के साथ ज़ख़्म भर जाते हैं, आप अभी कैसे हैं?

जवाब: ठीक हैं, जो हुआ उसे भुलाया तो नहीं जा सकता लेकिन जो लोग रात-दिन हेट फैलाने का काम करते हैं, उन्हें एक्सपोज़ करना है। वैसे तो ये ख़ुद ही पूरे देश और दुनिया के सामने एक्सपोज़ हो चुके हैं। 

सवाल: ऐसा क्या हो गया था कि वे इतने तैश में आ गए थे?

जवाब: बीजेपी के सांसदों ने मेरे ऊपर आरोप लगाने शुरू किए कि मैं तो लगातार टोका-टाकी करता हूं, प्रधानमंत्री को टोकता हूं, गृहमंत्री के बीच भी टोका-टाकी करता हूं और जो बीजेपी के नेता हैं, सबको टोकता हूं, इसी का अवॉर्ड उन्होंने मुझे दिया है। लेकिन विपक्षी नेता के नाते मैं तो सिर्फ़ अपनी पार्लियामेंट्री ड्यूटी निभा रहा हूं।

“मैं अलर्ट पार्लियामेंटेरियन हूं और अपनी ड्यूटी समझता हूं और यही वजह है कि उस रात भी मैं हाउस में 11 बजे तक बैठा था वर्ना चंद्रयान पर मेरा भाषण 6 बजे ख़त्म हो गया था, ये घटना तो 10:52 की है। मैं समझता हूं जा कर खाली साइन करके घर नहीं आना चाहिए और इनको ये अच्छा नहीं लगता। इस दौर में विपक्ष में एक ऐसा पार्लियामेंटेरियन और वो भी जिस समाज से आता है, मुस्लिम पार्लियामेंटेरियन, इनको तो ये लगता है कि मुस्लिम MP मतलब ये है कि आए साइन करे और चला जाए, ज़्यादा से ज़्यादा हज और वक्फ पर बोल ले, इससे ज़्यादा कोई और सवाल हमारे डोमेन में नहीं है। पर मैं इनके पाले में जाकर गोल करता हूं।”

सवाल: आपने टोका-टाकी की बात की, लेकिन फिर इस तरह के व्यवहार को कैसे उचित ठहराया जा सकता है? आप क्या सोचते हैं?

जवाब : मैं वही तो कह रहा हूं, मेरे प्रति इतना इनटॉलेरेंस है क्योंकि ये लोग असहिष्णु हैं, इनको ये अच्छा नहीं लगता है। लेकिन हम आपके गुरुकुल में तो पढ़ने आए नहीं हैं, पार्लियामेंट में आए हैं, हम अपने निर्वाचन क्षेत्र और अपनी कम्युनिटी के लिए ज़िम्मेदार हैं।

“उस दिन रमेश बिधूड़ी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में की गईं अपमानजनक टिप्पणियों का ज़िक्र सदन में कर रहे थे। इस पर मैंने आपत्ति जताई कि कम से कम सदन के अंदर उन अपमानजनक टिप्पणियों को नहीं दोहराया जाना चाहिए, आख़िर वे देश के प्रधानमंत्री हैं। बस वही मेरा अपराध हो गया जिसके बाद वो अपना आपा खो बैठे और गाली गलौज करने लगे।”

सवाल: ख़बर चली कि उन्हें राजस्थान में टोंक का प्रभारी बना दिया गया, इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब: देखिए, ये तो इस बात को दर्शाता है कि पार्लियामेंट के अंदर जो उन्होंने कहा वो इसलिए क्योंकि वो RSS के पुराने कैडर हैं, तो RSS की शाखाओं में शायद यही सिखाया जाता होगा, मोदी जी की पाठशाला में यही पढ़ाया जाता होगा।

सवाल: कुछ दिन पहले आपने प्रधानमंत्री को भी ख़त लिखा था, क्या उसका कोई जवाब आया?

जवाब: उसका कोई जवाब नहीं आया, न उसका जवाब आया है न कहीं से कोई बात हुई है। वो ऐसा करके नफरत फैलाने वालों को सर पर चढ़ा रहे हैं।

सवाल: आपकी पार्टी की तरफ से जिस तरह की प्रतिक्रिया आई, क्या आप उससे संतुष्ट हैं? 

जवाब: (गहरी सांस लेते हुए) ठीक है, हर किसी का, हर लीडर का अपना स्टाइल होता है। न तो मैं संतुष्ट हूं और न ही असंतुष्ट, मेरे पास बहुत लोगों के फोन आए, लोग घर पर आए, मैं ख़ुश हूं।  लोगों ने मेरे साथ एकता दिखाई लेकिन ये है कि इनका (बीजेपी) चेहरा बेनकाब हुआ है।

सवाल: घटना के बाद के इंटरव्यू में आपने कहा कि मेरी लिंचिंग तक हो सकती है, ऐसा क्यों? 

जवाब: देखिए, उन्होंने जो कहा वो मौखिक लिंचिंग थी, और फिर जिस तरह से बीजेपी के कुछ सांसदों ने मेरे ऊपर आरोप लगाया, ख़ासकर निशिकांत दुबे ने जो ख़त लिखा कि मैंने प्रधानमंत्री के बारे में कुछ ऐसा कहा जिसके रिएक्शन में बिधूड़ी ने वो बातें कहीं, तो ये प्रधानमंत्री के फॉलोवर्स को भड़काने से कम नहीं है, तो मैं ये सोचता हूँ ये एक बड़ी साज़िश हो सकती है। 

हमसे बातचीत के दौरान, संसद दानिश अली संसद में इस्तेमाल की गई इस तरह की भाषा का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, “सड़क पर तो रोज़ होता है। वही चीज़ इन्होंने पार्लियामेंट के अंदर की है। इन्होंने ये नहीं सोचा होगा कि एक इतना वोकल मुस्लिम पार्लियामेंटेरियन इस चीज़ को बर्दाश्त कर पाएगा। इन्हें लगा कि मैं आक्रोश में आकर कुछ अलग और ग़लत तरह से रिएक्ट कर दूंगा और फिर इसके बाद ये मुसलमानों के कैरेक्टर को जस्टिफाई करने की कोशिश करते, और देश और दुनिया को बताते कि देखिए जो वे कह रहे थे, सही है। लेकिन मुझे ऊपर वाले ने हिम्मत दी कि मैं उस अपमान को सह सका और उस पर पॉजिटिव तरीके से रिएक्ट किया। मैं कुछ नहीं बोला यहां तक की सदन में, मैंने उन शब्दों तक को नहीं दोहराया क्योंकि मैं पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में विश्वास रखने वाला हूं। मैं भारत के संविधान में विश्वास रखने वाला हूं। तो जो पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी है जिसको आप 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' कहते हैं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी का टेंपल बोलते हैं तो उसमें हम तो इतना मानते हैं कि हमने अपने मुंह से वो अल्फ़ाज़ भी रिपीट नहीं करे।”

सवाल: राजनाथ सिंह ने उठकर माफ़ी मांगी लेकिन आपके साथ जो लोग बैठे थे उन्होंने विरोध नहीं किया तो आपको नहीं लग रहा था कि बाद में जो रिएक्शन हो रहे थे वो उसी वक़्त होने चाहिए थे? 

जवाब: जो मेरे साथ बैठे थे, उनमें ज़्यादातर साउथ के लोग थे, केरल और तमिलनाडु के, जो विपक्ष की बेंच पर थे, उनको तो समझ ही नहीं आया कि बोला क्या गया है। इसके अलावा न तो लोगों ने हेडफोन लगा रखे थे, और जिन्होंने हेडफोन्स लगा भी रखे थे तो मुझे लगता है वो गालियां ट्रांसलेटर ने ट्रांसलेट ही नहीं की होंगी, लेकिन जब मैं प्रोटेस्ट कर रहा था तो DMK और कांग्रेस के मेंबर्स ख़ासकर कनिमोझी और ज्योति मणि, वे खड़ी हुईं।

सवाल: हमने कुछ चेहरे बिधूड़ी जी के साथ मुस्कुराते हुए भी देखे, इस पर आपको कुछ कहना है?

जवाब: वो एन्जॉय कर रहे थे और यही कैरेक्टर है उनका जो शाखा में जाते हैं,। इस घटना से सब बेनकाब हो गए।

सवाल: इस घटना के बाद उन पत्रकारों ने भी आपके फेवर में ट्वीट किए थे, जिनपर अक्सर नफ़रत फैलाने के आरोप लगते हैं, तो इसे लेकर आप क्या सोचते हैं?

जवाब: ये गुनहगार हैं और ये निंदा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो अपनी पत्रकारिता को लेजिटिमाइज़ करना चाहते हैं। ये और अच्छी तरह से लोगों के दिमाग में हेट पैदा करना चाहते हैं ताकि वो जो कहें लोगों को सच लगे। उन्होंने समाज को इतना बांट दिया है रात-दिन। उन ट्वीट्स से पहले पिछले 9-10 साल से उन्होंने यही काम किए हैं और उन ट्वीट्स के 24 घंटे बाद भी वही काम कर रहे हैं। 

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सवाल: इन सबसे गुज़रने के बाद, क्या आपको लगता है कि आप में कोई बदलाव आया, अपने आप को कहां देखते हैं?

जवाब: मैं टूटा नहीं हूं लेकिन मुझे इस बात का संतोष है कि ऊपर वाले ने मुझे वो ताकत दी कि मैं वो अपमान सह गया, मैं अपनी कम्युनिटी का पॉज़िटिव चेहरा पार्लियामेंट में अपने व्यवहार से दिखा पाया। इससे पता चलता है कि इस मुल्क में मुसलमानों के साथ क्या हो रहा है रोज़, और हम कैसे सहन कर रहे हैं। हम कहते हैं कि हम गांधी के फॉलोवर्स हैं, और ये गोडसे के फॉलोवर्स हैं, तो लड़ाई गांधी के फॉलोवर्स और गोडसे के फॉलोवर्स में है।

सवाल: देश ही नहीं दुनियाभर की मीडिया ने इसे कवर किया, तो अगर दुनिया देखेगी तो हमारे देश की कैसी छवि बनेगी?

जवाब: इन लोगों ने इस देश की पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी पर एक दाग लगा दिया, इनको कोई फर्क नहीं पड़ता, इनके लिए वोट, वोट और सिर्फ़ वोट! इन्हें किसी भी तरह से सत्ता हासिल करना है!

सवाल: वीडियो वायरल हुआ, आप बहुत इमोशनल लग रहे थे लेकिन फिर शाम होते-होते राहुल गांधी आपसे मिलने आए, क्या उनका आना आपको हैरान कर गया? 

जवाब: मैं इमोशनल था उस दिन, राहुल जी जब आए और बहुत लोग आए, लगा कम से कम इस देश में अभी कुछ लोग हैं जो हमारे साथ हैं। इस मुल्क की डेमोक्रेसी के साथ, इस मुल्क की डेमोक्रेटिक वैल्यू के साथ, मोरल वैल्यू के साथ खड़े हैं। वो बहुत ही प्यारा जेस्चर (भाव) था जिसका मैं शब्दों में शुक्रिया नहीं कर सकता।

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सवाल: आगे चलकर जब हम पलटकर इस दौर को देखेंगे, तो इसे कैसे याद किया जाएगा?

जवाब: बहुत ही बुरा इंपैक्ट जा रहा है और अगर रमेश बिधूड़ी पर बीजेपी कोई कार्रवाई नहीं करती, अगर लोकसभा से कोई कार्रवाई नहीं होती है तो ये एक दाग़ होगा हमारे पार्लियामेंट्री सिस्टम पर क्योंकि इसी लोकसभा ने देखा है कि जब कैश फॉर क्वेश्चन्स में कुछ सांसदों का स्टिंग हुआ तब लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने लोकसभा के 10 सदस्यों को एक साथ निष्कासित कर दिया था, तो वो लोकसभा थी आज उससे कई गुना ज़्यादा बड़ा क्राइम करने के बाद, फ्लोर पर हेट स्पीट करने के बाद उन्हें (बिधूड़ी ) बचाने की कोशिश हो रही है।

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