Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

बनारसः 'बीएचयू बना भ्रष्टाचार का अड्डा' ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप; सियासत तेज़

''सरकारी धन का गोलमाल करने के लिए जेम पोर्टल पर एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों के नाम पर कुछ सही और कुछ फ़र्ज़ी कंपनियां बनाकर अलग-अलग 11 बिड्स के माध्यम से टेंडर डलवाए गए। इन सभी फ़र्मों में प्रोपराइटर चंद्रभूषण सिंह अथवा उनके पिता हैं।''
banaras

उत्तर प्रदेश के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में बाजार मूल्य से छह गुना अधिक पैसे देकर सीरिंज और दवाओं की खरीद का मामला तूल पकड़ने लगा है। आरोप है कि करोड़ों के टेंडर एक ही परिवार को दिए गए, जिसने अपनी कई शैल कंपनियां बना रखी है। बनारस की महानगर कांग्रेस कमेटी ने मैदागिन स्थित कार्यालय में मीडिया के समक्ष करोड़ों के घपले और घोटालों का पर्दाफाश किया और उसका ब्योरा देते हुए कहा, ''जेम पोर्टल पर दस एमएल की सीरिंज 1.20 रुपये से दो रुपये में उपलब्ध है, जबकि ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी आचार्य डॉ.सौरभ सिंह ने करीब दो लाख सीरिंज 7.96 रुपये में खरीदने का आदेश जारी किया। करोड़ों के भ्रष्टाचार की शिकायत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक से की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।''

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में टेंडर के दौरान फर्मों के चयन समेत कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस बाबत उन्होंने मीडिया के समक्ष कई पुख्ता दस्तावेज पेश किए। सात पेज का आरोप-पत्र जारी करते हुए उन्होंने ट्रॉमा सेंटर प्रभारी आचार्य डॉ.सौरभ सिंह पर करोड़ों का गोलमाल करने का आरोप लगाया। चौबे ने मीडिया से कहा, ''सरकारी धन का गोलमाल करने के लिए जेम पोर्टल पर एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों के नाम पर कुछ सही और कुछ फर्जी कंपनियां बनाकर अलग-अलग 11 बिड्स के माध्यम से टेंडर डलवाए गए। इन सभी फर्मों में प्रोपराइटर चंद्रभूषण सिंह अथवा उनके पिता हैं। अनियमितताओं की अनदेखी करते हुए बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी और सर सुंदरलाल हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.केके गुप्ता ने 103 करोड़ 82 लाख 60 हजार 790 रुपये का टेंडर पास किया। सभी टेंडर एक ही परिवार के सदस्यों को अलग-अलग फर्म के माध्यम से दिए गए। इस तरह की और भी बिड्स हो सकती हैं, जिनकी उच्च स्तरीय जांच जरूरी है। ''

रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष ने मीडिया से यह भी कहा, ''एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन सितंबर, 2022 में होता है और लगभग एक माह में ही अनुभव न होने के बाद भी इसे लगभग 24 करोड़ 68 लाख रुपये का टेंडर ट्रॉमा सेंटर कार्यालय द्वारा दे दिया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह बिड इसी फर्म के लिए बनाई गई। टेंडर में सभी वस्तुएं बाजार मूल्य से तीन से छह गुना दर पर खरीदी गईं। सबसे बड़ा भ्रष्टाचार सीरिंज की खरीद में किया गया है। ट्रॉमा सेंटर में कुल 13 सामानों की खरीदारी कई गुना ज्यादा रेट पर की गई है। यही नहीं, जिस रेट में ब्रांडेड प्रोडक्ट मिल सकते थे, उससे ज्यादा में अन-ब्रांडेड प्रोडक्ट खरीदे गए। ''

''आखिर प्रोपराइटर चंद्रभूषण सिंह में ऐसा क्या है कि सिर्फ उनकी फर्में ही ट्रॉमा सेंटर में दवा और सीरिंज वगैरह की सप्लाई करने के लिए चुनी जाती हैं? सबसे बड़ी बात यह है कि बीएचयू के जिम्मेदार अफसरों को इस भ्रष्टाचार की भनक आखिर क्यों नहीं लगी? कई शैल कंपनियां बनाकर टेंडर हथियाने वाले चंद्रभूषण सिंह को ट्रॉमा सेंटर के लिए दवा और अन्य सामानों की आपूर्ति के ठेके आसानी से कैसे मिल जाया करते हैं? यह कैसे संभव है कि जो प्रोडक्ट जीएम पोर्टल पर बहुत कम दाम पर उपलब्ध है, उसे तीन से छह गुना ज्यादा पर खरीद लिया जाए? हमें लगता है कि प्रोपराइटर चंद्रभूषण सिंह ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी आचार्य डॉ.सौरभ सिंह के रिश्तेदार अथवा मित्र हो सकते हैं, जिनकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।''

मनमाने तरीके से दवाओं की खरीद

राघवेंद्र कहते हैं, ''केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक दवाओं और जरूरी सामानों की खरीद जीएम पोर्टल के जरिये किया जाना चाहिए। ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी आचार्य डॉ.सौरभ सिंह और बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.केके गुप्ता ने मनमाने तरीके से दवाओं व जरूरी सामानों की खरीद की और भ्रष्टाचार के पैसे का बंदरबांट किया। सरकारी धन का गोलमाल करने के लिए शैल कंपनियां बनवाई गईं। जीएम पोर्टल के लूपहोल्स का फायदा उठाकर सिर्फ कुछ चुनिंदा फर्म और लोगों को बिड प्रक्रिया के माध्यम से सभी टेंडर बाजार मूल्य से दो से तीन गुना ज्यादा रेट पर दिए गए। पिछले नौ सालों में बीएचयू के अस्पतालों में अरबों के घपले हुए हैं। भाजपा नेताओं और अधिकारियों के संरक्षण में ट्रॉमा सेंटर करप्शन और मनी लांड्रिंग का एक अड्डा बन चुका है।''

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि "ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ.सौरभ सिंह की नियुक्ति भी अवैध तरीके से की गई है। इनकी योग्यता प्रोफेसर बनाए जाने के काबिल नहीं थी, इसके बावजूद उन्हें पद दे दिया गया। इनके खिलाफ कई अदालतों में केस चल रहे हैं। ऐसे दागी व्यक्ति को ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी आचार्य पद पर क्यों नियुक्त किया गया, यह बात समझ से परे है। ट्रॉमा सेंटर में भ्रष्टाचार की जांच किसी रिटायर्ड जज को सौंपी जाए और यह भी पता लगाया जाए कि ट्रॉमा सेंटर के प्रोफेसर इंचार्ज ने अपने रिश्तेदारों को किस तरह से फायदा पहुंचाया है।"

कांग्रेस नेता चौबे ने न्यूजक्लिक से कहा, ''बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.केके गुप्ता कुछ साल पहले ब्लड बैंक के इंचार्ज थे। उस दौरान उनके खिलाफ धांधली के आरोप लगे तो जांच बैठाई गई और दोषी पाए गए, उन्हें पद से हटा दिया गया। प्रोफेसर वीके शुक्ला आईएमएस के निदेशक और कार्यवाहक कुलपति बने तो दागी डॉ.केके गुप्ता को अस्पताल का सीएमएस बना दिया। डॉ. केके गुप्ता 2014 से 2016 के बीच बीएचयू अस्पताल के एमएस बनाए गए थे। उस दौरान भी ढेरों संगीन आरोपों में उन्हें हटाया गया था। सरकार ने कांग्रेस की मांगें नहीं मानी तो पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन करेंगे।'' प्रेस कांफ्रेंस में फसाहत हुसैन बाबू, डॉ. राजेश गुप्ता, उमेश द्विवेदी, वकील अंसारी, विनीत चौबे, मो. उजैर, कृष्णा, मोहित आदि मौजूद रहे।

ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी का पक्ष

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर प्रभारी आचार्य डॉ.सौरभ सिंह ने कांग्रेस के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ''ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्था प्रभावित करने के लिए सियासत की जा रही है। सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। दवा और अन्य सामानों की खरीद में टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया है। दवाओं की खरीद कंप्यूटर आधारित प्रणाली से की जाती है। सभी सामान ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर से ही लिए जा सकते हैं। ऐसा अनर्गल आरोप कानूनी कार्रवाई का विषय है। संस्थान की प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास है। कोई प्रामाणिक साक्ष्य और सूत्र नहीं है। राजनीति और द्वेषवश आरोप लगाए गए हैं। ''

उल्लेखनीय है कि पहले ट्रॉमा सेंटर के डॉ.संजीव गुप्ता हुआ करते थे। इनके इस्तीफे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने नोटिफिकेशन जारी कर अस्थि रोग विभाग के डॉ. सौरभ सिंह को बीएचयू ट्रॉमा का नया इंचार्ज बनाया था। डॉ.सौरभ सिंह 27 अप्रैल 2023 को तब चर्चा में आए थे जब छात्रों ने उन पर गुंडई करने का आरोप लगाते हुए धरना दिया। बीएचयू के कुछ छात्र एक तीमारदार का इलाज कराने पहुंचे थे। ट्रॉमा सेंटर का स्टाफ जीएसटी नंबर सहित पक्का बिल देने के लिए तैयार नहीं था। स्टाफ और छात्रों में कहासुनी हुई तो डॉ.सौरभ ने सभी गेटों को बंद कर दिया। बाद में लंका थाना पुलिस ने मामले को शांत कराया।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest