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मणिपुरः दिनभर चली इस्तीफ़े की अटकलों पर सीएम बीरेन सिंह ने लगाया विराम, जानें पूरा घटनाक्रम

दिनभर ये अटकलें थीं कि सीएम बीरेन सिंह अपने पद से इस्तीफ़ा देंगें हालांकि ख़ुद मुख्यमंत्री ने इस पर विराम लगाते हुए इस्तीफ़े से इनकार कर दिया। सोशल मीडिया पर एक फटा हुआ रेज़िग्नेशन लेटर भी वायरल हुआ जिसे लेकर कई दावे किए गए।
CM Biren SIngh
फ़ोटो साभार: PTI

इंफाल: देश का ख़ूबसूरत राज्य मणिपुर बीते कई दिनों से जातीय हिंसा झेल रहा है। गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

सूत्रों ने बताया कि इंफाल में ऐसी अफवाहें ज़ोरों पर थीं कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह बीते बृहस्पतिवार को राज्य में फिर से हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने पर विचार कर रहे हैं। आपको बता दें, बृहस्पतिवार को हुई हिंसा की घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन एन सिंह ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि वह अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के साथ ही उनके इस्तीफ़े संबंधी अफवाहों पर विराम लग गया है।

आपको बता दें, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की इस्तीफ़े पर स्थिति स्पष्ट होने से पहले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के काफिले को राजभवन की ओर बढ़ने से रोक दिया था। उन्होंने महिला प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं दे रहे हैं।

सिंह ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसे संकट के समय में मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा नहीं दूंगा।’’

मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाली महिला नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास से बाहर आकर लोगों को आश्वासन दिया था कि सिंह इस्तीफ़ा नहीं दे रहे हैं।

अपुष्ट ख़बरों में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने एक त्याग पत्र टाइप किया था, जिसे उनके समर्थकों द्वारा फाड़ दिया गया। कुछ महिला प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उन्होंने फटा हुआ पत्र देखा है और सोशल मीडिया पर इसकी प्रतियां भी पोस्ट की हैं जिसके बाद से उनका यह फटा हुआ त्याग पत्र वायरल है। हालांकि न्यूज़क्लिक इस बात की पुष्टि नहीं करता है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर सवालों का जवाब नहीं दिया।

इससे पहले दोपहर में महिलाएं और काली शर्ट पहने सैकड़ों युवा मुख्यमंत्री आवास के सामने धरने पर बैठ गये और मांग की कि बीरेन सिंह को इस्तीफ़ा नहीं देना चाहिए।    

महिला नेता क्षेत्रीमयुम शांति ने कहा, ‘‘इस संकट की घड़ी में, बीरेन सिंह सरकार को दृढ़ रहना चाहिए और उपद्रवियों पर नकेल कसनी चाहिए।’’

अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर के कंगपोकपी ज़िले में सुरक्षा बलों तथा संदिग्ध दंगाइयों के बीच गोलीबारी में घायल हुए एक और व्यक्ति ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, जिससे घटना में जान गंवाने वालों लोगों की कुल संख्या शुक्रवार को बढ़कर तीन हो गई।

हथियारों से लैस दंगाइयों ने बृहस्पतिवार को हरओठेल गांव में बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी। सेना ने कहा कि सुरक्षा बलों के जवानों ने स्थिति से निपटने के लिए उचित तरीके से जवाबी कार्रवाई की।

अधिकारियों के अनुसार, बृहस्पतिवार को मारे गए दो दंगाई जिस समुदाय के थे, उसके सदस्यों ने उनके शव के साथ यहां मुख्यमंत्री सिंह के आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश की।

अधिकारियों के मुताबिक, महिलाओं के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के आवास की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती भी दी। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारी पुलिस की आवाजाही को बाधित करने के लिए सड़क के बीच में टायर जलाते हुए भी देखे गए।

अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षाकर्मियों ने जब प्रदर्शनकारियों को सिंह के आवास तक मार्च करने से रोका, तो वे हिंसक हो गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा।

गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय ज़िलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं।

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय ज़िलों में रहती है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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