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छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
MGNREGA
फ़ोटो साभार: टाइम्स ऑफ़ छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मी अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर पिछले साठ दिनों यानी 4 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस बीच कई घटनाक्रम हुए हैं। इस हड़ताल को समाप्त करने के लिए उन पर सरकार और प्रशासन की ओर से दबाव भी बनाया गया। इस बीच गत गुरुवार को पत्रवार्ता आयोजित कर मनरेगा कर्मियों के संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि मांग नहीं मानी गई तो प्रदेश के 15 हजार मनरेगा कर्मी इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर ध्यान देना होगा और उन पर दबाव काम नहीं आने वाला है।

पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग

मनरेगा कर्मियों का कहना है कि सरकार चुनावी जन घोषणा-पत्र में किए गए वादों को पूरा करते हुए सभी मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण करे तथा नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए सभी मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी व महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे का कहना है कि 60 दिनों से मनरेगा कर्मी गांधीवादी तरीके से हड़ताल पर हैं। जब तक कांग्रेस घोषणा पत्र के अनुसार नियमितीकरण नहीं करती तथा नियमितिकरण न होने पर सभी मनरेगाकर्मियो को पंचायत कर्मी का दर्जा एवं रोजगार सहायकों के वेतनमान निर्धारण नहीं करती ये कर्मी गांधीवादी तरीके से हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने इनकी मांगों को लेकर अब तक तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई जबकि इसके उलट प्रशासनिक स्तर से 60 दिन चली इस हड़ताल को अब कुचलने की तैयारी है जिससे नाराज मनरेगा कर्मी अब सामूहिक इस्तीफा देने को तैयार हैं।

कोरोना काल में मज़दूरों को काम देने में जान की परवाह नहीं की

महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में हमें नियमित करने का वादा किया था लेकिन साढ़े 3 साल गुजर जाने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है। उनका कहना है कि कोरोना काल में हमने ग्रामीण मजदूरों को काम देने व ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने में अपनी जान की परवाह किए बिना काम किए है जिसके चलते प्रदेश को प्राप्त लक्ष्य के विरुद्ध मात्र पांच महीने में 120 फीसदी उपलब्धि हासिल हुई है।

उन्होंने कहा कि 'आम लोगों के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए हमारे 200 से अधिक मनरेगा कर्मी कोरोना काल में अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन उनके त्याग को भी सम्मान नहीं दिया गया। जान गंवा चुके उन कर्मियों के परिवारों की स्थिति बेहद दयनीय है। लगातार अपनी मांगों को शासन-प्रशासन के सामने हम शांतिपूर्ण तरीके से रखते आए हैं लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। इसके कारण मनरेगा कर्मीयों के मन में नाराजगी बढ़ती गई है।'

इसी नाराजगी के चलते चार अप्रैल से प्रदेश के मनरेगा कर्मी हड़ताल पर चले गए। हड़ताल के दौरान सरकार ने मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और प्रशासनिक अधिकारी सेवा समप्ति की धमकी देकर और डराकर हड़ताल को कुचलने के लगातार प्रयास करते रहे इसके बावजूद 60 दिनों से हड़ताल निरंतर जारी है।

महासंघ के पदाधिकारियों के बयान को नई दुनिया ने प्रकाशित करते हुए लिखा, "अपने अधिकार के लिए कर्मचारी जो हड़ताल में है उनकी आवाज दबाने के लिए प्रशासन अब अलोकतांत्रिक तरीकों से हड़ताल खत्म करने की रणनीति बना रही है। हड़ताल में शामिल मनरेगा अधिकारी कर्मचारी के पद को विलोपित किए जाने का प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। साथ ही हड़ताल वापसी की स्थिति में मनरेगा कर्मचारियों से कभी भी हड़ताल में शामिल नहीं होने का बांड भरवाने की तैयारी है, जो संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है।"

कलेक्ट्रेट का कर चुके हैं घेराव

दो सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से धरना रत मनरेगा कर्मियों ने कुछ दिनों पहले रैली निकाली थी और महासमुदं में कलेक्ट्रेट का घेराव किया था। घेराव करते हुए इन कर्मियों ने प्रशासन की ओर से तहसीलदार प्रेमु साहू को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था। कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट का घेराव कर मनरेगा कर्मचारी वहीं बैठ गए थे।

बता दें कि गत सात अप्रैल को मनरेगा कर्मियों ने छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले पोस्टकार्ड डे मनाया था। इस दौरान कर्मियों ने राज्यपाल अनुसूईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पोस्टकार्ड भेजकर अपनी मांगों और परेशानियों से अवगत कराया था।

ज्ञात हो कि नियमितीकरण की मांग को लेकर 29 अप्रैल को मनरेगा महासंघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात भी की थी। लेकिन सरकार द्वारा मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाएं जाने के कारण महासंघ ने हड़ताल जारी रखी।

कई बार कमेटी का गठन लेकिन नतीजा शून्य

हड़ताल के दौरान राज्य शासन द्वारा कई बार कमेटी का गठन किया जा चुका है। यह कमेटी अलग-अलग अधिकारियों की अध्यक्षता में बनाई गई थी लेकिन नतीजा आज तक कुछ नहीं निकला है। प्रतिवेदन के आधार पर न अब तक नियमितीकरण हुआ है न कोई ठोस कदम राज्य सरकार द्वारा उठाया गया है जिससे कर्मचारियों में भारी नाराजगी है।

बता दें कि सात जनवरी 2014 को लंबे समय से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी संविदा पर कार्यरत तृतीय व चतुर्थ श्रेणी को कर्मचारियों को शासन ने विभिन्न् विभागों में सीधी भर्ती में प्राथमिकता देने की प्रक्रिया शुरू की थी। सामान्य प्रशासन विभाग सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन हुआ था लेकिन आज तक कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया।

कर्मचारियों को विपक्षी दलों का समर्थन

हड़ताल की शुरूआत के कुछ दिनों बाद मनरेगा कर्मियों की मांगों को जायज बताते हुए आम आदमी पार्टी, परिवहन संघ व भाजपा ने समर्थन दिया था। आप के प्रदेश उपाध्यक्ष देवलाल नरेटी ने मनरेगा कर्मियों का समर्थन करते हुए कहा था कि मनरेगा कर्मचारी अधिकारी, ग्राम रोजगार सहायक अपनी ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं लेकिन आज तक किसी भी सरकार द्वारा नियमितीकरण व वेतन विसंगति की मांग को पूरा नहीं करना सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है। उन्होंने कहा था कि मामूली वेतन में काम करना बहुत ही दुखद लगता है। इस दौरान उन्होंने आप पार्टी के हमेशा साथ रहने का वादा व समर्थन किया था।

उधर पिछले महीने बस्तर अधिकार मुक्ति मोर्चा के मुख्य संयोजक एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ के बस्तर जिला अध्यक्ष नवनीत चांद के नेतृत्व में मुक्ति मोर्चा व जनता कांग्रेस के पदाधिकारियों ने मनरेगा व संविदा कर्मचारियों के हडताल को समर्थन दिया था। उनकी मांगो को जायज ठहराते कांग्रेस सरकार व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को मांगे तुरंत कर्मचारी हित में पूरी करने की अपील नवनीत चांद ने की थी।

उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र तैयार किया था। चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने पार्टी के जन घोषणा पत्र को हाथों में गंगाजल लेकर जारी किया गया था । राज्य की जनता से यह वादा किया गया था कि जन घोषणा पत्र में किए गए एक-एक वादे को सरकार बनने के दस दिन के अंदर शत प्रतिशत लागू करते हुए पूरा किया जाएगा।

400 किलोमीटर पैदल यात्रा कर रायपुर पहुंचे

सीएम भूपेश बघेल तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मनरेगा कर्मियों ने गत 12 अप्रैल को दांतेवाड़ा से तिरंगा यात्रा निकाली और भीषण गर्मी 400 किलोमीटर पैदल चलकर 18 दिनों में रायपुर पहुंचे थे। इस यात्रा का नाम उन्होंने दांडी मार्च दिया था। इस यात्रा में 5 हजार से ज्यादा मनरेगा कर्मचारी शामिल हुए थे। एक किलोमीटर लंबी तिरंगा लेकर मनरेगा कर्मचारी काफी परेशानियों के बाद रायपुर पहुंचे थे।

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