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कोरोना का असर : नियोक्ता अपने घरों से काम करने वाले कर्मचारियों पर दूर से नज़र रखते हैं

चूंकि कोविड-19 महामारी ने ज़्यादातर लोगों को घर से काम करने के लिए मजबूर कर दिया है, इसलिए नियोक्ताओं ने उन पर नियंत्रण बढ़ाने और उत्पादकता को बनाये रखने के लिए डिजिटल निगरानी तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
कोरोना का असर

पूरी दुनिया में वैश्विक महामारी की शुरुआत से काम का एक नये तरह का भविष्य तय होने लगा है। लेकिन,सवाल है कि क्या यह स्थिति रोज़गार को घर से काम करने वाले कर्मचारियों के लिए के एक सुखद अहसास में बदल रही है ? या फिर उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन के हवाले कर दिया गया है,जो उनकी ज़िंदगी पर पूरा नियंत्रण रख रहा है ?

नियोक्ताओं द्वारा डिजिटल निगरानी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से दूरदराज़ में काम करने वाले कर्मचारियों की परेशान बढ़ती जा रही है और इससे उनके लिए ख़तरे की घंटियां बजने लगी हैं। इस महामारी के फ़ैलने के साथ ही दफ़्तर से दूर काम करने वाले कर्मचारियों की तादाद बढ़ती ही जा रही है और इसके साथ-साथ अमेरिका के 42 प्रतिशत कर्मचारी अब अपने रसोई, रहने वाले कमरे और घर स्थित दफ़्तरों से अपना काम कर रहे हैं, कई नियोक्ताओं ने तो अपने कर्मचारियों को उनके लैपटॉप और स्मार्टफ़ोन में निगरानी सॉफ़्टवेयर डाउनलोड करने की ज़रूरत की शुरुआत कर दी है। कारोबार को लेकर इस पहल का मक़सद महज़ इतना ही है कि वे दूरदराज के कर्मचारियों पर इस बात को लेकर नज़र रखे कि कर्मचारी पूरे दिन क्या करते हैं, उनका प्रदर्शन और उनकी उत्पादकता की स्थिति क्या है और ये कर्मचारी कथित "साइबर संसाधनों का इस्तेमाल दफ़्तर के कार्यों के अलावे किसी दूसरे कार्य(cyber slacking) के लिए तो नहीं कर रहे हैं।

हबस्टाफ़ के पेशेवर सॉफ़्टवेयर उत्पाद, जो किसी कर्मचारी के माउस की गतिविधियों, कीबोर्ड स्ट्रोक, विजिट किये गये वेबपेजों, ईमेल, फ़ाइल ट्रांसफ़र और इस्तेमाल किये गये एप्लिकेशन का ट्रैक करते हैं, इसलिए इस सॉफ़्टवेयर की बिक्री में बढ़ोत्तरी हो रही है। इस तरह,उन टीशीटों की बिक्री भी बढ़ रही है, जिन्हें कर्मचारियो के उनके स्मार्टफ़ोन में डाउनलोड करवाया जाता है ताकि नियोक्ता उनके लोकेशन को ट्रैक कर सकें।

एनपीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक अन्य उत्पाद, जिसे टाइम डॉक्टर कहा जाता है,वह "कर्मचारियों की स्क्रीन का वीडियो डाउनलोड करता है" और "हर एक 10 मिनट में कर्मचारी की तस्वीर लेने के लिए किसी कंप्यूटर के वेबकैम का इस्तेमाल करता है।" । एक कर्मचारी ने एनपीआर को बताया, "अगर आप कुछ मिनटों के लिए काम नहीं कर रहे हैं, अगर आप बाथरूम जाते हैं या... (रसोई  जाते हैं) तो एक पॉप-अप आयेगा और यह कहेगा, 'आपके पास काम फिर से शुरू करने के लिए 60 सेकंड का समय हैं,या हम आपका समय पॉज़ करने जा रहे हैं। ''

एक अन्य सिस्टम, जिसे इंटरगार्ड कहा जाता है,उसे चुपके से कर्मचारियों के कंप्यूटरों में लगाया जा सकता है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह "मिनट-दर-मिनट उस हर एक ऐप और वेबसाइट की टाइमलाइन बनाता है,जिन्हें कर्मचारी इस्तेमाल करते हैं, यह सिस्टम हर एक काम को 'उत्पादक' या 'अनुत्पादक' के तौर पर श्रेणीबद्ध करता है और कर्मचारियों की उत्पादकता स्कोर के आधार पर उन्हें रैंकिंग देता है।" दूसरे नियोक्ता जो कमतर तकनीकी तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे श्रमिकों को पूरे दिन जूम जैसी टेलीकांफ़्रेंसिंग सेवा में लॉग इन रहने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं, ताकि कर्मचारियों पर लगातार नज़र रखी जा सके।

एक निगरानी कंपनी,अवेयरनेस टेक्नोलॉजीज का कहना है कोविड-19 के प्रकोप के बाद उसने अपनी बिक्री में तिगुना इज़ाफ़ा होते हुए देखा है। हबस्टाफ़ और टेरामाइंड के अधिकारियों का भी कहना है कि उनकी कंपनियों के निगरानी उत्पादों की मांग तीन गुना बढ़ गयी है। "यूएसए में कर्मचारी निगरानी सॉफ़्टवेयर" दिखाने वाली एक वेबसाइट में ऐसे उत्पादों की बिक्री वाली लगभग 70 कंपनियों सूचीबद्ध हैं।

पुराने क़ानून इसे अब भी क़ानूनी बनाये हुए हैं

ऑनलाइन निगरानी गतिविधि में इस उछाल के बावजूद, इस समय यह संयुक्त राज्य अमेरिका में एक क़ानूनी गतिविधि है। नेशनल वर्कस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष,लुईस माल्टबी कहते हैं कि अलग-अलग राज्यों में इस बात को लेकर अलग-अलग क़ानून  हैं कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों को सूचित करना चाहिए कि वे ट्रैकिंग सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में "जब आप अपने दफ़्तर के कंप्यूटर पर कार्य कर रहे होते हैं, तो आपके पास कोई गोपनीयता नहीं होती है।" "जो कुछ भी आप कर रहे होते हैं, उसे संभवतः आपके बॉस की तरफ़ से निगरानी की जा रही होती है।"

मौजूदा क़ानून बहुत पुराने हो चुके हैं, क्योंकि वे इलेक्ट्रॉनिक संचार गोपनीयता अधिनियम, 1986 पर आधारित हैं। यह वह दौर था,जब इलेक्ट्रॉनिक संचार का प्राथमिक रूप टेलीफ़ोन था। वह समय कल्पना से भी परे था,जब डेस्कटॉप कंप्यूटर पहले लोकप्रिय हो रहे थे, और तब तक स्‍मार्टफ़ोन स्‍टीव जॉब्‍स की निगाह में नहीं आया था।

और अब तो काम काज के लिहाज से कोरोनोवायरस प्रकोप से पार पाने के लिए प्राइसवाटरहाउस कूपर्स और सेल्सफ़ॉर्स जैसी कंपनियों ने कर्मचारियों के घरों में घुसपैठ करने वाले ऐसे एप्लिकेशन विकसित कर लिये हैं,जो कंपनियों को अपने कर्मचारियों की स्वास्थ्य स्थिति को लगातार ट्रैक करने में सक्षम बनाते हैं। वे किसी दफ़्तर के भीतर कर्मचारियों के बीच संपर्क पर नज़र रखने के लिए अक्सर एक सिस्टम का सहारा लेते हैं और उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक मोबाइल ऐप इस्तेमाल करते हैं।

अमेज़ॉन, वॉलमार्ट, होम डिपो और स्टारबक्स सहित कई बड़े-बड़े अमेरिकी नियोक्ता अपने कर्मचारियों को काम करने की अनुमति देने से पहले उनका तापमान ले रहे हैं। निश्चित रूप से ख़ासकर इस महामारी को देखते हुए नियोक्ताओं को अपने कार्यस्थलों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी डेटा एकत्र करने की एक वैध ज़रूरत है। मगर,सवाल है कि "स्वास्थ्य घुसपैठ" का उपयुक्त स्तर क्या हो ? इसमें कर्मचारियों की भागीदारी कितनी स्वैच्छिक है, और किसे फ़ैसला लेना है ?

लोगों के घरों में निगरानी रखते हुए इस निरंतर नियंत्रण रखने वाले लोगों या सगठनों की हक़ीक़त यह है कि दूरदराज से काम करने वाले दर्जनों कर्मचारियों ने शिकायत करना शुरू कर दिया है कि वे इस दबाव से परेशान हो गये हैं। प्रमुख कंपनियों के कर्मचारियों के हालिया फिशबोएल सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस सर्वेक्षण में भाग लेने  वालों में से तीन-चौथाई कर्मचारियों ने "किसी ऐप या डिवाइस का इस्तेमाल करने का विरोध किया था,जो अपनी कंपनी को सहयोगियों के साथ अपने संपर्कों का पता लगाने की अनुमति देते हैं।"

इसके अलावे,कई लोग इस बात से डरते हैं कि अगर वे बोलेंगे तो उन्हें एक संकट पैदा करने वाले के तौर पर चिह्नित किया जायेगा या उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। चूंकि दूरदराज़ से काम करने वाले कर्मचारी मुश्किल से एक-दूसरे को देख पाते हैं और अपने कई सहकर्मियों को जानते भी नहीं हैं,ये ऐसे कारक हैं,जो श्रमिकों के संगठित होने और सामूहिक कर्मचारी सशक्तिकरण को तेज़ी से चुनौतीपूर्ण बना देंगे।

इन पुराने क़ानूनों के नवीनीकरण को लेकर अमेरिकी श्रमिक संगठनों की मांग सुस्त रही है। यूनाइटेड इलेक्ट्रिकल, रेडियो, एंड मशीन वर्कर्स ऑफ़ अमेरिका नामक एक यूनियन इसकी बहुत बुरी तरह से आलोचना करता रहा है। श्रम को लेकर अनुकूल रवैया दिखाने वाले मीडिया से भी इस तरह की रिपोर्टें नदारद रही हैं। यूनियनों को न सिर्फ़ इन क़ानूनों को अपडेट करने और डिजिटल निगरानी पर प्रतिबंध लगाने की वक़ालत करनी चाहिए, बल्कि उन्हें इस बात की मांग क्यों नहीं करनी चाहिए कि घर पर रहकर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके घर, वहां की सुविधाओं और इंटरनेट के इस्तेमाल किये जाने के लिए नियोक्ताओं द्वारा मुआवज़ा दिया जाये ? और यह भी कि नियोक्ता कर्मचारियों के घर में भी उपकरण और एक सुरक्षित कार्यस्थल प्रदान करने के लिए ज़िम्मेदार है ?

दूर स्थित कर्मचारी- नये बनते हालात ?

जैसे-जैसे दूरदराज़ से काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे श्रम की वक़ालत करने वालों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है कि यह नयी स्थिति तेज़ी से "सामान्य स्थिति" बनती जा रही है। गार्टनर, इंक के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 74 प्रतिशत कंपनियां अपने कार्यबल के कुछ अनुपात को स्थायी दूरस्थ स्थिति में रखने का इरादा रखती हैं, लगभग एक चौथाई उत्तरदाताओं का कहना है कि वे दफ़्तर में काम करने वाले अपने कर्मचारियों के कम से कम 20 प्रतिशत को स्थायी दूरस्थ स्थिति में स्थानांतरित कर देंगे।

गूगल अल्फ़ाबेट ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अपने 200,000 पूर्णकालिक और अनुबंध कर्मचारियों को कम से कम जुलाई 2021 तक घर पर रखेगा, और आधे फ़ेसबुक कर्मचारी अगले दशक में घर से ही काम करेंगे। ग्लोबल इंश्योरेंस ब्रोकरेज कंपनी,हब इंटरनेशनल ने अपने 12,000 कर्मचारियों में से 90 प्रतिशत को दूरस्थ स्थिति में स्थानांतरित कर दिया है। सोशल यूरोप के मुताबिक़,दुनिया की सबसे बड़ी कॉल-सेंटर कंपनी, "टेलीपरफ़ॉर्मेंस का अनुमान है कि उसके लगभग 150,000 कर्मचारी (दुनिया भर के इसके कुल कर्मचारी का कार्यबल का तक़रीबन आधा) भौतिक कार्यस्थल में वापस नहीं लौटेंगे।"

स्टैनफ़र्ड के अर्थशास्त्री,निकोलस ब्लूम कहते हैं,“हाल ही में अटलांटा फ़ेडरल रिज़र्व और शिकागो विश्वविद्यालय के साथ किये जाने वाले बिज़नस अनसर्टेंटी के सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों के लिए किये गये एक अलग सर्वेक्षण से यह संकेत मिलता है कि घर पर बिताये गये कार्य दिवसों की हिस्सेदारी कोविड से पहले के स्तर से चार गुना,यानी 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।

“मैंने जिन दर्जनों कंपनियों से बात की है, उनकी विशिष्ट योजना यही है कि कर्मचारी हफ़्ते में एक से तीन दिन घर से काम करेंगे, और बाक़ी दिन दफ़्तर आयेंगे।”

लेकिन,घर से काम करने वाले सभी कर्मचारी ऐसा ही नहीं करेंगे। ब्लूम आगे कहते हैं,“ यह स्थिति कुल मिलाकर ग़ैर-बराबरी वाला एक टाइम बम पैदा कर रहा है। हमारे परिणामों से पता चलता है कि ज़्यादा शिक्षित, ज़्यादा कमाई करने वाले कर्मचारी की घर से ही काम करने की बहुत ज़्यादा संभावना है,इसलिए किउन्हें वेतन का भुगतान होता रहता है, वे अपने कौशल का विकास करते रहते हैं और अपने करियर को आगे बढ़ाते रहते हैं। इसी तरह, अपनी नौकरियों की प्रकृति के कारण, या उपयुक्त स्थान या इंटरनेट कनेक्शन की कमी के कारण जो लोग घर से काम करने में असमर्थ हैं,वे पीछे छूटते जा रहे हैं। अगर बढ़ते शटडाउन और इससे बाद भी उनके कौशल और कार्य अनुभव घटते जाते हैं,तो उन्हें धूमिल संभावनाओं का सामना करना पड़ेगा।”

काम का भविष्य पहले से कहीं ज़्यादा अनिश्चित हो गया है। इस "साहसी नयी दुनिया" में श्रमिक संघों और उनकी वक़ालत करने वालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दफ़्तर से बाहर काम करने वाले कर्मचारियों की स्थिति ख़राब करने को लेकर इस महामारी का दुरुपयोग व्यावसाय करने वालों द्वारा किसी बहाने के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। यह कल्पना करना आसान है कि 'दफ़्तर से दूर घरों से किये जाने वाले ' कार्यों और 'प्लेटफ़ॉर्म' से किये जाने वाले कार्य के बीच की रेखायें कैसे धुंधली हो सकती हैं, जिस कारण ज़्यादा 'उबरीकरण'(टैक्सी कंपनी उबर से बना शब्द, जिस कंपनी ने इस बिज़नेस मॉडल को आगे बढ़ाया,जिसके तहत बीच के कर्मचारियों की भूमिका को दरकिनार कर दिया जाता है) हो सकता है, क्योंकि काम 'स्वतंत्र' अनुबंधों, फ़र्ज़ी स्व-रोज़गार और 'प्रोजेक्ट के हिसाब से भुगतान' व्यवस्था में चला जाता है,जिसे आसानी से दूर स्थित (और कम-लागत वाले) जगहों से आउटसोर्स किया जा सकता है।

कर्मचारियो की वक़ालत करने वालों को एक मज़बूत और आधुनिक क़ानूनी डेटा सुरक्षा ढांचे के लिए ज़ोर लगाना चाहिए। इसके अलावे, इसमें गोपनीयता के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लागू किये जाने वाली एक ऐसी प्रभावी प्रणाली को शामिल करने की मांग करनी चाहिए, जो ग़ैर-क़ानूनी निगरानी वाले व्यवहार को हतोत्साहित करती हो। दूर से किये जाने वाले कार्य को धीरे-धीरे ऐसे रूप में नहीं बदल दिया जाना चाहिए,जो किसी कारोबारी या संगठन की पैनी नज़र रखने वाला कोई क़ैदखाना हो, जो हमारे घरों सहित समाज में पहले से कहीं ज़्यादा गहराई से घुसपैठ कर रहा है।

स्टीवन हिल (www.Steven-Hill.com) Raw Deal: How the Uber Economy and Runaway Capitalism Are Screwing American Workers(रॉ डील: कैसे उबर अर्थव्यवस्था और भगोड़ा पूंजीवाद अमेरिकी श्रमिकों पर शिकंजा कस रहे हैं)  और Expand Social Security Now: How to Ensure Americans Get the Retirement They Deserve(अब सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करें: कैसे अमेरिकियों की उस सेवानिवृत्ति को सुनिश्चित करें,जिसका वे हक़दार हैं)

यह लेख इकोनॉमी फ़ॉर ऑल की प्रस्तुति है, जो इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूशन की एक परियोजना है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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