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डेटिंग ऐप्स जितने मज़ेदार हैं, उतने ही रिस्की भी!

इंटरनेट के तेजी से हो रहे प्रसार के साथ ही इन ऐप्स के जरिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आंकड़े भी आसमान छू रहे हैं।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

ऑनलाइन डेटिंग के बाद ऑफलाइन मुलाकात कोई नई बात नहीं है। कई ऑनलाइन डेटिंग साइट्स जैसे टिंडर, मीट पीपल, त्वू जैसी साइट्स और मोबाइल ऐप्स हैं जहां लोग अपनी प्रोफ़ाइल बनाकर अन्य यूज़र्स के साथ चैटिंग करते हैं और उनसे इंटरनेट की जादुई दुनिया के बाहर भी मुलाकात करते हैं। हालांकि इंटरनेट के तेजी से हो रहे प्रसार के साथ ही इन ऐप्स के जरिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आंकड़े भी आसमान छू रहे हैं। हमें ये समझने की जरूरत है कि डेटिंग ऐप्स जितनी मज़ेदार हैं, उतनी ही रिस्की भी हैं।

कहा जाता है कि इंटरनेट पर आप बहुत कुछ सीख सकते हैं तो वहीं बहक भी सकते हैं। कई अलग-अलग शोध से पता चलता है कि आधे से ज़्यादा महिलाओं को ऑनलाइन प्रताड़ना और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इनमें से 76 फ़ीसदी महिलाएं 30 साल से कम उम्र की हैं। हालांकि हाल के कुछ सालों में ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी इन डेटिंग ऐप्स के चलते महिलाओं का शोषण-उत्पीड़न देखने को मिला है।

बता दें कि हाल ही में दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में कथित तौर पर रेप का मामला सामने आया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी की पीड़ित महिला से डेटिंग ऐप के जरिए जान पहचान हुई थी। इसके बाद लड़के ने लड़की को 5 स्टार होटल में मिलने बुलाया और यहीं महिला के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया गया।

डेटिंग साइट्स के चलते आफत

बीबीसी के एक सर्वे के मुताबिक डेटिंग इंडस्ट्री 2014 से 2019 की शुरुआत तक 11 फ़ीसदी बढ़ी लेकिन बाद में ऐसे संकेत मिलने लगे कि कई लोग इसे नापसंद कर रहे हैं। हालांकि महामारी के समय में नए लोग इसकी ओर आकर्षित हुए और एंड्रॉयड पर ऐसे डेटिंग ऐप्स की संख्या भी बढ़ी जो आपको अपने पसंद के दोस्त ढूंढने में मदद कर सकें। लेकिन डेटिंग ऐप के बारे में बताने से पहले ये बताना ज़रूरी है कि आप यहां अपनी सुरक्षा के लिए भी सावधान रहें। अनजान लोगों से अनजान बन कर बात करने के इस 'थ्रिल' के चलते कई बार युवा खासकर महिलाएं इन डेटिंग साइट्स के चलते आफत में पड़ जाती हैं।

कई जानकारों और इसे इस्तेमाल करने वालों का मानना है कि इन ऐप्स पर कभी पसंद के साथी नहीं मिलते और कभी ढेर सारे साथी मिल जाते हैं। वहाँ के प्रोफ़ाइल धोखा देने वाले होते हैं, सुरक्षा चिंताएं होती हैं, नस्लीय टिप्पणियाँ होती हैं और गैर-ज़रूरी विवरण होते हैं। भ्रमित करने वाले डिजिटल व्यवहार के कारण ही घोस्टिंग, कैटफ़िशिंग, पिंगिंग और ऑर्बिटिंग जैसे नये शब्द भी बने हैं।

ब्लैकमेल और शोषण का जरिया

दिल्ली की 28 वर्षीया एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को अपने साथ हुई घटना को साझा करते हुए बताया, "मैं एक डेटिंग मोबाइल ऐप के ज़रिए एक युवक से बात किया करता थी जो अपने आप को कॉलेज का स्टूडेंट बताता था, 6 महीने तक बात करने के बाद जब हम मिले तब मुझे पता चला कि वो एक लड़का नहीं बल्कि 50 वर्षीय एक उम्रदराज आदमी है जो बाद में कई दिनों तक मेरे पीछे पड़ा रहा।"

छात्रा ने आगे बताया, “उसने मुझे कुछ तस्वीरों को लेकर ब्लैकमेल करने की बात भी कही, लेकिन जैसे ही उसे मेरे साइबर सेल में कनेक्शन की भनक लगी, वो एकदम फरार हो गया। लेकिन उस दौरान मेरे मन में एक डर जरूर बैठ गया था कि कहीं वो सच में कोई उल्टी-सीधी हरकत ना कर बैठे"।

बैंगलोर की एक टेक कंपनी में काम रहीं 30 साल की एक महिला ने बताया कि वो पहले अधिकतर अकेले रहती थीं। जिसके चलते उन्होंने इन डेटिंग ऐप्स को ट्राई करने के बारे में सोचा। लेकिन जल्द ही ऐसे-ऐसे मैसेज आने लगे कि लगा मानो यहां बिल्कुल कोई बदतमीजी की सीमा ही नहीं है।

महिला बताती हैं, “एक दिन किसी अजनबी का मैसेज आया, जो कुछ समय तक जवाब न देने पर पागल सा हो गया। वो गालियां देने लगा, खुद को या मुझे मरने-मारने की धमकी देने लगा। आखिर अंत में खत हार कर मैंने अपनी अकाउंट ही डिलीट कर दिया।"

सावधानी, सतर्कता है ज़रूरी

मालूम हो कि मैनेजमेंट साइंस' ने 2017 में ऑनलाइन डेटिंग पर एक रिसर्च छापी थी जिसमें कहा गया था कि संभावित साथी की संख्या बढ़ने से पसंद पर सकारात्मक असर होता है लेकिन प्रतिस्पर्धा बढ़ने का नकारात्मक असर भी होता है। 'ग्लोबल डेटिंग इनसाइट्स' के संपादक स्कॉट हार्वी का कहना था कि एक साथी तलाशने के लिए ढेरों स्वाइप करने पड़ते हैं। नंबर तलाशना, मैसेज करना और सही पार्टनर ढूंढ़ना बड़ी मेहनत का काम है और इसमें खीझ हो सकती है।

गौरतलब है कि इन डेटिंग साइट्स पर केवल ख़राब लोग ही नहीं हैं बल्कि दुनिया भर में इंटरनेट से हज़ारों रिश्ते भी बने हैं और बन रहे हैं। इसने लोगों को आवाज़ दी है। लेकिन आवाज़ के साथ ही इसने मासूम लोगों के साथ बदतमीजी और शोषण का एक नया हथियार भी दिया है। ऐसा नहीं कि सिर्फ़ महिलाएं या लड़कियां ही इसका शिकार हो रही है, कई मर्द भी इससे त्रस्त हैं। लेकिन उनकी संख्या अभी भी महिलाओं की तुलना में कम है। ऐसे में जरूरी है इन ऐप्स को इस्तेमाल करते समय सावधानी और सतर्कता बरती जाए। ताकि इसका सही इस्तेमाल हो सके।

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