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दिल्ली: एसएससी जीडी भर्ती 2018 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन

प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का आरोप है कि एसएससी जीडी 2018 भर्ती में 60210 पदों पर भर्ती निकली थी। लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी अभी भी हज़ारों पदों पर नियुक्ति नहीं की गई है। प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मांग है कि इन पदों पर मेडिकल फिट युवाओं को तत्काल प्रभाव से नियुक्ति दी जाए।
SSC GD 2018

कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की वर्ष 2018 की जीडी भर्ती में नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने आज, यानी मंगलवार को, जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से प्रदर्शनकारी पहुंचे थे। उनके इस प्रदर्शन को भीम आर्मी और आज़ाद समाज पार्टी ने भी समर्थन दिया। भीम आर्मी चीफ चंद्र शेखर भी इस प्रदर्शनकारियों के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचे हुए थे।

प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों का आरोप है कि एसएससी जीडी 2018 भर्ती में 60210 पदों में लगभग हज़ारों अभ्यर्थियों ने नियुक्ति नहीं ली है। उनकी जगह मेडिकल फिट युवाओं को तत्काल प्रभाव से नियुक्ति दी जाए।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि जुलाई 2018 में SSC ने कॉन्स्टेबल GD की एक भर्ती निकाली। ये भर्ती पैरामिलिट्री फोर्सेज (CRPF, ITBP, BSF, CISF, NIA और असम राइफल्स) में सिपाहियों के 54 हजार पदों पर निकाली गयी थी। जिसके बाद इसे बढ़ाकर 60210 पद कर दिया गया। भर्ती के तीन चरण होते हैं, रिटन एग्जाम, फिजिकल टेस्ट और मेडिकल टेस्ट। जुलाई 2018 में एप्लिकेशन प्रोसेस स्टार्ट हुआ। फरवरी 2019 में रिटन एग्जाम हुआ। अगस्त-सितंबर 2019 में फिजिकल टेस्ट हुआ। जनवरी 2020 में मेडिकल हुआ। तीनों टेस्ट हो चुके हैं। करीब 85-90 हजार अभियर्थी ऐसे हैं, जो तीनों स्टेज पास कर चुके हैं, लेकिन अब तक यानि दिसंबर 2021 तक उन्हें नियुक्ति नहीं मिली है। ऐसे में यह अभ्यर्थी सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

अब मामला यहां अटका हुआ है कि कुल पोस्ट थी लगभग 60 हज़ार, कुल पास हुए अभियर्थी करीब 85-90 हजार थे। सरकार ने जॉइनिंग दी मात्र 56 हज़ार के आसपास इसमें से भी कई हज़ार छात्रों ने ज्वाइन किया ही नहीं। यानी अभी भी इस ग्रुप में हज़ारो हज़ार पद खाली पड़े हैं। इस हालात में जो योग्य और सरकार परीक्षा पास कर चुके अभियर्थी हैं, यानी तीनों एग्जाम पास कर चुके कैंडिडेट्स की मांग है कि सभी को नौकरी दी जाए। यह मांग इसलिए की जा रही है क्योंकि पैरामिलिट्री फोर्सेज में बड़ी संख्या में सिपाहियों के पद खाली हैं।

अभियर्थी आर पार के लड़ाई को तैयार

देशभर से आए अभियर्थी जंतर मंतर पर आर-पार की लड़ाई तय कर के आए थे। वो अपने साथ एक सांकेतिक अर्थी भी लाए थे और नारा लगा रहे थे कि "सरकार उन्हें वर्दी दे वरना अर्थी दे।"

बिहार के मधुबनी से आए चंदन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि वो पिछले 11 महीने से अपने हक़ की नौकरी के लिए दिल्ली की सड़कों पर भटक रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वो बेहद ही साधारण परिवार से आते हैं। परिवार ने बड़ी ही आशा से उन्हें पढ़ाया था और जब तीन साल पहले परीक्षा पास की तो लगा की जीवनभर की मेहनत सफल हो गई। लेकिन वो सब बस सपना बनकर रह गया है।

चंदन ने कहा कि तीन साल की लंबी प्रक्रिया के चलते 75 फीसदी युवाओं की उम्र अब भर्ती के लिए निकल गई है। आखिर उसके लिए जिम्मेदार कौन है? 2018 में आई भर्ती नवंबर 2020 तक पूरी नहीं हो पाई है। भर्ती में लेटलतीफी की वजह से सबसे बड़ी समस्या उन कैंडिडेट्स के लिए है जो ओवरएज हो चुके हैं या होने वाले हैं। SSC GD में शामिल होने के लिए जो एज लिमिट है, वो 18-23 की है। तीन साल तक भर्ती के लटकने की वजह से काफी कैंडिडेट्स ओवरएज हो गए हैं। यानी कि ये अगली भर्ती में शामिल नहीं हो पाएंगे।

मध्य प्रदेश नकस्ल प्रभावित बालघाट से मेघा देहरवाल जो कि एक मज़दूर परिवार से आती हैं। इनके पिता एक दिहाड़ी मज़दूर हैं और ये तीन बहने हैं जिसमें सबसे बड़ी मेघा ही है। वो इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए 1500 किलोमीटर दूर से आई हैं। उन्होंने बताया कि वो पहली बार नहीं, बल्कि पिछले सालभर में सात बार दिल्ली आ चुकी हैं।

उन्होंने कहा कि, “ये पूरी प्रक्रिया अपने आप में एक प्रताड़ना बन गई है। हम 100 नंबर के एग्जाम में 87 नंबर लेकर भी बेरोजगार हैं। जबकि सरकार इन्हीं पदों के लिए दूसरी भर्ती निकालकर 37 नंबर लाने वालो को वर्दी (नियुक्ति) दे रही है।

मेघा ने आगे बताया, “हमें पिछले 323 दिनों से प्रदर्शन कर हैं। इस दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद रे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हमे आश्वाशन दिया, लेकिन आजतक नियुक्ति नहीं मिली। हम इनके आश्वासनों पर विश्वास करके अपने घर लौट जाते थे, परन्तु इस बार हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। जब तक नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

इसी तरह छत्तीसगढ़ से आई सोनिया कहती हैं, “परिवार भी अब शादी का दबाव बना रहा है। एक तरफ मोदी सरकार कहती है बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, दूसरी तरफ जब हम पढ़-लिख कर अपने लिए नौकरी मांग रहे हैं, तब वो हमें लाठी मार रही है। हम साफ कहना चाहते हैं कि अब हम अपनी नौकरी लेकर ही जाएंगे।

इसी तरह राजस्थान, तेलंगाना, बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे तमाम राज्यों से आए अभ्यर्थियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर नारेबाजी की और भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतवानी दी। 

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