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मिस्रः जेल में बंद एक्टिविस्ट की मां का इंटरव्यू लेने पर पत्रकार गिरफ़्तार, ज़मानत पर रिहा

मिस्र के स्वतंत्र समाचार संस्थान 'मादा मस्र' की पत्रकार, एक्टिविस्ट अला अब्देल फत्ताह की मां लैला सोइफ से तोरा जेल परिसर के बाहर बात कर रही थीं। फत्ताह पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।
Egypt

मिस्र के स्वतंत्र मीडिया संस्थान 'मादा मस्र' की एडिटर-इन-चीफ और को-फाउंडर लीना अत्तालाह को रविवार 17 मई को मिस्र की सुरक्षा सेवाओं द्वारा तोरा जेल परिसर के बाहर से गिरफ़्तार किया गया था। अत्तालाह जेल में बंद मिस्र के एक्टिविस्ट अला अब्देल फत्ताह की मां लैला सोइफ़ के साथ साक्षात्कार कर रही थीं। एक्टिविस्ट वर्तमान में कोरोनावायरस COVID19 महामारी से लड़ने के उपाय के रूप में वकील के दौरे और अदालत के सत्रों को रद्द करने के सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए पिछले 35 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे हैं।

मादी अभियोजक के कार्यालय द्वारा रिहा करने के आदेश से पहले अताल्लाह को मादी पुलिस स्टेशन ले जाया गया और तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। उन्हें 2000 मिस्री पाउंड (127 डॉलर) की ज़मानत राशि देने का आदेश दिया गया।

मादा मस्र के अनुसार, ये गिरफ़्तारी रविवार दोपहर 12 बजे के आसपास हुई। सुरक्षा अधिकारियों ने पहले उनसे अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा जिसके बाद उन्होंने उनका फोन ज़ब्त कर लिया। फिर उन्हें गिरफ़्तार किया गया और पूछताछ के लिए अभियोजक के कार्यालय भेज दिया गया।

अधिकारियों ने उन्हें अपने वकील से बात करने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया और उनकी अचानक और न्यायेतर गिरफ़्तारी का कारण बताने से इनकार कर दिया।

उनकी गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए संस्थान ने अपने फेसबुक पेज पर एक संदेश पोस्ट किया था जिसमें कहा गया, “मादा मस्र की एडिटर-इन-चीफ लीना अत्तालाह को केवल पत्रकारिता करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था। हम अधिकारियों को उनके हित के लिए ज़िम्मेदार मानते हैं और उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हैं।”

अत्तालाह की गिरफ़्तारी की ख़बर ने दुनिया भर के पत्रकारों और प्रेस की आज़ादी के पैरोकारों को सोशल मीडिया पर अपनी चिंता व्यक्त करने और निंदा करने के लिए प्रेरित किया। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में अत्तालाह की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की।

मिस्र में "स्वतंत्र प्रेस का आखिरी रक्षक" होने के रूप में दुनिया भर में प्रशंसा किए जाने वाले ‘मादा मस्र’ को राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी के अधीन मिस्र सरकार द्वारा कई ग़ैरक़ानूनी और दमनकारी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। पिछले साल नवंबर 2019 में मादा मस्र के कार्यालयों पर मिस्र की पुलिस द्वारा छापा मारा गया था और इस समाचार संस्थान के कई फोन, लैपटॉप और अन्य संपत्ति को अवैध रूप से उनके द्वारा ज़ब्त कर लिया गया था।

मादा मस्र 500 से अधिक उन समाचार वेबसाइटों में से एक है जिनपर वर्तमान में मिस्र के अंदर रिपोर्टिंग और प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा है। देश के अधिकांश समाचार संस्थान पर ऐसे किसी भी लेख और रिपोर्ट को प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है जो सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसके गड़बड़ी का खुलासा करते हैं और देश में नागरिक और मानवाधिकारों की व्यापक, क्रूर दमन का खुलासा करते हैं।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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