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गुजरात:  फिर वही “राम मंदिर, आतंकवाद, 370’’ ...27 साल का रिपोर्ट कार्ड कहां है?

बेरोज़गारी, महंगाई, हैप्पी इंडेक्स, दलितों का शोषण, मुस्लिम बस्तियों की जर्जर हालत, स्वास्थ्य की ख़राब स्थिति की बातों छोड़कर प्रधानमंत्री और भाजपा के प्रचारक सारी बातें कर रहे हैं।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

130 करोड़ से ज्यादा लोगों के प्रधानमंत्री इन दिनों एक राजनीतिक दल को एक राज्य में जिताने के लिए अपना तो सर्वोच्च न्योछावर किए ही हुए हैं, साथ में गृह मंत्री समेत लगभग पूरे मंत्रिमंडल को भी भाषणों में लगा रखा है। सिर्फ प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल ही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और असम के मुख्यमंत्री समेत तमाम बड़े राजनेता इन दिनों अपना-अपना कार्यक्षेत्र छोड़कर गुजरात में डेरा डाले हुए हैं।

हालांकि ये राजनीतिक दलों का अपना प्रोटोकॉल है कि उनका नेता देश के किसी भी पद पर पदस्थ हो, वो पार्टी के लिए प्रचार तो करेगा ही, लेकिन यही प्रचार जब ज़मीनी मुद्दों से खिसककर नाजायज़ बातों का अड्डा लगने लग जाए, तब सवाल जन्म लेता है कि आपने 27 सालों तक लगातार सत्ता में रहते हुए आख़िर क्या किया? शायद, अगर इसका जवाब होता तो सरकारी रिपोर्ट्स इस बात का शोर नहीं मचा रही होतीं, कि 7 नवम्बर से अभी तक महज़ तीन सप्ताह में राज्य से 13.5 हजार करोड़ रुपये की अवैध शराब पकड़ी जा चुकी है। इस शराब की अवैध तस्करी के सिलसिले में 29 हज़ार 800 लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। ये दावा एक मीडिया रिपोर्ट्स के ज़रिए किया गया है।

आप ये नहीं कह सकते कि ये अभियान केवल शराब को फोकस करके चलाया गया था। यूं समझिए कि पकड़ी गई शराब एक व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के अंदेशे में 10.5 हजार करोड़ रुपये की नगदी और ज्वैलरी भी जब्त की गई है। छिटपुट शराब जो पकड़ी गई है, उसके मामले में 24 हजार लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं और 51 हजार लोगों को अभी तक विभिन्न मामलों में हिरासत में लिया जा चुका है।

अब आप ख़ुद समझ सकते हैं, गुजरात वह राज्य है जहां पिछले कई सालों से शराब बंदी है, देश के प्रधानंमत्री यहीं से आते है, गृह मंत्री यहीं से आते हैं... इन सबके बावजूद धड़ल्ले से नियमों को धराशाई किया जा रहा है।

कहने का अर्थ ये है कि देर से ही सही लेकिन प्रधानमंत्री और उनके प्रचारक इन बुराइयों को सुधारने की भी बातें रख सकते थे, लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से लगातार आंतकवाद जैसे मुद्दों को उछाला जा रहा है, जिनमें अहमदाबाद और सूरत के सीरियल बम धमाके, दिल्ली का बाटला हाउस एनकाउंटर, सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सारी चीजें बारी-बारी से गिनाई जा रही हैं।

इन घटनाओं के ज़रिए प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर कांग्रेस को निशाने पर रखा और कहा कि कांग्रेस आंतकवाद छोड़कर मुझपर हमला कर रही है।

न्यूज़क्लिक ने जब प्रधानमंत्री के इस तरह के प्रचार के बारे में गुजरात कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व नेता विपक्ष अर्जुन मोडवाडिया से बातचीत की, तब उन्होंने कहा कि “आतंकवाद का मुद्दा सिर्फ भाजपा के शासन में है, 27 साल हो गए हैं प्रदेश में राज करते हुए, अब भी आतंकवाद की बात कर रहे हैं, ख़ुद से सवाल क्यों नहीं पूछते? जबकि 14 साल वो ख़ुद मुख्यमंत्री रहे।”

अर्जुन ने कहा कि “प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि अभी तक बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और लॉ एंड ऑर्डर में सुधार क्यों नहीं हुआ। शायद इसीलिए क्योंकि पूरी गुजरात भाजपा ही भ्रष्टाचार में लिप्त है, और इसी का उदाहरण है कि पार्टी द्वारा पूरी कैबिनेट को बदलना पड़ा था।”

न्यूज़क्लिक ने अर्जुन मोडवाडिया से जब भाजपा के मेनिफेस्टों में शामिल कॉमन सिविल कोड को लेकर सवाल किया तब उन्होंने कहा “कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दे राज्य के हैं ही नहीं, ये तो केंद्र के मुद्दे हैं, जो पार्लियामेंट में पेश किए जाते हैं, लेकिन इन्हें राज्य में पेश कर जनता के भीतर भ्रम फैलाया जा रहा है।”

कांग्रेस नेता अर्जुन मोडवाडिया की बातों पर मुहर इसलिए लग जाती है, क्योंकि बेरोज़गारी, महंगाई, हैप्पी इंडेक्स, दलितों का शोषण, मुस्लिम बस्तियों की जर्जर हालत, स्वास्थ्य की ख़राब स्थिति की बातों को छोड़कर प्रधानमंत्री और भाजपा के प्रचारक सारी बातें कर रहे हैं।

आपको बता दें कि भाजपा ने इन चुनावों में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया है, जबकि महिलाओं की भागीदारी भी बहुत कम है।

हमने जब कांग्रेस के एक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष माधव सिंह सोलंकी से प्रधानमंत्री के मुद्दा भटकाने वाले भाषणों पर बातचीत की तब उन्होंने कहा कि “भारतीय जनता पार्टी घबराई हुई है, 27 सालों की लंबी इनिंग के बाद अब भाजपा को समझ आ गया है कि जनता इनकी नाकामियों के कारण इन्हें सत्ता से उखाड़ फेंकेगी। क्योंकि ये लोग गुजरात को हर तरह से पीछे ले गए हैं।”

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लगातार आंतकवाद और बम धमाकों का ज़िक्र किया जा रहा है, कांग्रेस पर हमला किया जा रहा है, दूसरी ओर गृह मंत्री अमित शाह भी हिंदुत्व वाला कार्ड फेंक चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर वोटबैंक की राजनीति करने और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, अयोध्या में राम मंदिर और समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर अपील की थी। एक रैली में उन्होंने 2002 गुजरात दंगों का भी जिक्र कर कहा था कि कैसे दंगाइयों को उस वक्त सबक सिखाया गया था।

जिन ऐतिहासिक हालात और घटनाओं का जिक्र प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के भाषणों में किया जा रहा है, उससे इतना तो साफ है कि गुजरात के सत्ता पक्ष की ओर से ज़मीनी मुद्दे फिलहाल वीरान हो चुके हैं। और ये गुजरात मॉडल पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न भी लगाता है।

इसके बावजूद इन चुनाव में राज्य के नहीं बल्कि देश से जुड़े मुद्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

आतंकवाद का मुद्दा, यूनिफॉर्म सिविल कोड, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दों का इस्तेमाल कर भाजपा सीधे तौर पर मुस्लिमों को भी टारगेट कर रही है, फिर दूसरी तरफ भाजपा का कोई मुस्लिम उम्मीदवार भी नहीं है।

तो ऐसे में सवाल उठता है कि मुसलमानों का वोट आख़िर जाएगा किस ओर?

इसका जवाब ढूंढने जाएंगे, तो कह सकते हैं कि मुस्लिमों की पहली पसंद कांग्रेस हो सकती है, लेकिन आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम भी इन्हें बांटने में कामयाब हो सकती हैं। लेकिन ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि केजरीवाल ने नोटों पर गणेश-लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की अपील के साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड, नवरात्रि के दौरान मुस्लिम युवकों की पिटाई, बेट द्वारका में मुस्लिम के अतिक्रमण को गिराना और बिलक़ीस बानो के दोषियों की रिहाई के मामले पर चुप्पी से अल्पसंख्यकों के बीच अपनी धर्मनिरपेक्ष साख खो दी है।

दूसरी ओर मुद्दाविहीन राजनीति पर उतारू भाजपा ने भी तथाकथित गुजरात मॉडल की तस्वीर साफ कर दी है, जिसके बाद विकास की सच्चाई धीरे-धीरे बाहर आने लगी है।

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