हरियाणा: किसानों की एक और जीत, एक अक्टूबर से धान की ख़रीद प्रक्रिया होगी शुरू
किसानों ने एक और मोर्चा फतेह किया। हरियाणा के किसान जिन्होंने बारिश और तूफान के बीच दिन रात का जो धरना लगाया था। उसे अपनी जीत के बाद समाप्त किया।
सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद के लिए प्रति एकड़ उपज की सीमा बढ़ाने का आश्वासन दिए जाने के बाद किसानों ने शनिवार को अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
सरकार से धान की खरीद तत्काल शुरू करने की मांग को लेकर, हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) की अगुआई में किसानों ने शुक्रवार को शाहाबाद के समीप दिल्ली और चंडीगढ़ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 को जाम कर दिया था।किसानों के जाम के बाद नेशनल हाईवे ने यहां दिल्ली के सिंघु और टिकरी बार्डर का रूप ले लिया था। किसानों के साथ प्रशासन की पांच बार हुई वार्ता विफल रही, जिसके बाद किसानों ने हाईवे के बीच ही टेंट लगा लिए, जहां रात को रहने व भोजन सहित अन्य जरूरी व्यवस्था भी कर ली। हालांकि शनिवार को छठे दौर की वार्ता में सरकार ने किसानों की लगभग सभी मांगों को मान लिया तब जाकर किसानों ने अपना मोर्चा छोड़ा और घरों को वापस हुए।
हरियाणा में धान समेत खरीफ फसलों की खरीद एक अक्टूबर से शुरू होगी।
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार द्वारा 22 क्विंटल के बजाय 30 क्विंटल धान प्रति एकड़ की खरीद पर विचार करने को लेकर सहमति जताने के बाद प्रदर्शन समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह निर्णय लिया गया कि मुख्य धान उत्पादक जिलों में एमएसपी पर 30 क्विंटल प्रति एकड़ और अन्य धान उत्पादक जिलों में 28 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज पर विचार किया जाएगा।’’
चढूनी ने आशा व्यक्त की कि इस फैसले के बाद, किसानों को अपनी अधिकांश उपज एमएसपी पर बेचने में मदद मिलेगी।
कुरुक्षेत्र के उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि सरकार एक अक्टूबर से खरीद प्रक्रिया शुरू होने तक किसानों को उनके धान को अनाज मंडियों में रखने में मदद करने के लिए सहमत है।
चढूनी ने कहा कि यह समस्या इस साल सरकार के उस आदेश के कारण पैदा हुई है, जिसमें कहा गया था कि चावल मिलों सहित कोई भी एक अक्टूबर से पहले किसानों से धान नहीं खरीद सकता है।
उन्होंने कहा कि पहले चावल मिलें और दलाल किसानों से धान खरीदते थे, लेकिन खरीद शुरू होने के बाद ही सरकारी एजेंसियों को इसकी आपूर्ति करते थे।
इस बीच, शुक्रवार दोपहर से किसानों के प्रदर्शन के कारण वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही। प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने ट्रैक्टरों से राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था, जिसे बाद में हटा लिया गया।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति आलोक जैन की पीठ ने मध्यरात्रि की सुनवाई में राज्य सरकार को वाहनों की सुचारू ढंग से आवाजाही को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
विवादित तीन कृषि कानूनों की वापसी का जो आंदोलन किसानों ने लड़ा और जीता उसके बाद देशभर के किसानों को यह एहसास हो गया है की वो अपनी एकता से सरकार को झुका सकते और जीत सकते। खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों ने एक साल के केन्द्र सरकार लंबा संघर्ष जीतने के बाद राज्यों में अपनी सरकारों के खिलाफ कई संघर्ष लड़े और जीते। कुरुक्षेत्र में किसानों की जीत भी किसानों के सांझ संघर्ष की जीत है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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